सभा-संगोष्ठी

पाब्लो नेरुदा के 100 लव सोनेट्स का हिन्दी अनुवाद ‘ओ प्रिया’ का ऑनलाइन विमोचन

अश्रुतपूर्वा ll 

हिंदी लेखन में प्रकाशन की गति निरंतर बढ़ती जा रही है। इस प्रक्रिया में नोबल पुरस्कार विजेता पाब्लो नेरुदा के 100 सोनेट्स का हिंदी अनुवाद कर विनीत मोहन औदिच्य ने यह प्रमाणित कर दिया है कि साहित्य सरणी के अविरल और अबाधित प्रवाह में साहित्यिक अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका है। अनुवाद के इस विशेष उपलब्धि पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए प्रबुद्ध और लेखन प्रक्रिया में लीन कुछ रचनाकार ऑनलाइन “ओ प्रिया” के विमोचन में सम्मिलित हुए। अनिमा दास इस संयोजन के लिए कई दिनों सक्रिय थीं। रचनाकार जब एकत्रित होकर किसी रचनाकार की कृति पर अपनी राय रखते हैं तब ऐसी रचना मंडली का प्रभाव अति विशिष्ट होता है। ऑनलाइन ऐसे आयोजन प्रायः होते रहते हैं तथा इनमें से कुछ आयोजन ही अपनी विशेष पहचान बना पाते हैं।  अपनी भाषा, अपनी संस्कृति में एक विदेशी भाषा को ढाल देना साहित्य पटल को नव विस्तार देने की प्रक्रिया है।

सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आरंभ हुआ जिसे लिली मित्रा ने लयबद्ध कर सुरीले अंदाज़ में प्रस्तुत किया। इस प्रार्थना ने आयोजन को पूर्णतया “ओ प्रिया” की धूरी पर लाकर खड़ा कर दिया। प्रार्थनाओं का ऐसा असर सदियों से अपनी प्रभुता बनाए हुए है। लिली ने आयोजन के संचालक धीरेन्द्र सिंह का परिचय देते हुए कार्यक्रम को गतिशील और जीवंत बनाए रखने का अनुरोध किया। संचालन आरंभ करते ही धीरेन्द्र सिंह ने कहा कि हिंदी लेखन अपने सीमित दायरे में ही साहित्यिक गतिविधियां संजोए हुए है। वर्तमान हिंदी लेखन से अन्य भारतीय भाषाएं परिचित नहीं हैं। यदि आज के आयोजन में हिंदी के किसी एक पुस्तक के अनुवाद का बीड़ा कोई सम्मिलित रचनाकार उठाए तो यह इस आयोजन की एक विशिष्ट उपलब्धि होगी। आयोजन की प्रथम वक्ता डॉ. शरद सिंह ने सोनेट्स संग पाब्लो नेरुदा के जीवन पर भी प्रकाश डाला। विनीत मोहन औदिच्य के अनुवाद पक्ष की बारीकियों का विश्लेषण करते हुए “ओ प्रिया” के गुणवत्ता की प्रशंसा की। डॉ. शरद सिंह के संबोधन के बाद पुस्तक का विमोचन किया गया।

डॉ. शैलेश गुप्त वीर ने अनुवाद के व्यावहारिक पक्षों तथा अनुवाद में प्रयुक्त सावधानियों को प्रस्तुत किया। डॉ. शैलेश स्वयं कई भाषाओं के साहित्य अनुवाद कर चुके हैं इसलिए बहुत करीब से अनुवाद की नसों के  स्पंदनों को मुखर स्वर में अभिव्यक्ति प्रदान किए । अनुवाद एक कला है इसे खूबसूरती से प्रतिपादित किया। “ओ प्रिया” के अनुवाद की उन्होंने भूरि-भूरि प्रशंसा की। केशव मोहन पांडेय ने अपने संबोधन के आरंभ में साहित्यिक धमाका कर दिया। उन्होंने घोषित किया कि शीघ्र ही “ओ प्रिया” भोजपुरी में अनुदित की जाएगी। केशव मोहन पांडेय हिंदी के अतिरिक्त भोजपुरी लेखन के शीर्ष लेखकों में गिने जाते हैं। इन्होंने अपनी घोषणा के बाद कहा कि “ओ प्रिया” सोनेट्स प्रणय गाथा है इसलिए प्यार अपनी वर्चस्वता जीवन में बनाए रखता है और फिर इनके संबोधन में प्यार की ऐसी बयार चली कि सम्पूर्ण कार्यक्रम प्यार की विभिन्न सुगंध से गुलाबी हो उठा।

वीणा शर्मा वशिष्ठ का सम्बोधन अपनी एक विशेष शैली और अंदाज लिए था। अत्यधिक मासूमियत भरे लहजे में उनका संबोधन था जो इनका स्वाभाविक अंदाज है। “ओ प्रिया” पर बोलते हुए अनुवाद, प्रयुक्त शब्दावली, सम्प्रेषण आदि पर चर्चा करते हुए इतनी भावुक हो उठीं कि प्रण ले बैठीं कि आजीवन “ओ प्रिया” को अपने हृदय में संजोए रखेंगी। वीणा वशिष्ठ का जितना आकर्षक वायदा था उतनी ही मनमोहक वार्ता शैली थी। लिली मित्रा ने कहा कि अनुवाद सेतु के रूप में जोड़ने का कार्य करता है और रचना स्थल के भौगोलिक व सांस्कृतिक परिवेश का भी प्रभावी चित्रण करता है। अनुदित साहित्य एक गहन और सघन वृहद भ्रमण कराता है। लिली मित्रा ने एक विशिष्ट बात कही। उन्होंने कहा कि पाब्लो ने अपनी प्रेयसी के साथ इतना उत्तम और प्रीतपरक व्यवहार किया कि उन्हें पढ़कर प्रेमिकाएं अपने प्रमियों से कुछ अधिक अपेक्षाएं करने लगेंगी।

अनिमा दास जो हिंदी सोनेट्स लेखन की नई पारी की प्रणेता और अग्रणी हैं उन्होंने सोनेट्स के कथ्य, तथ्य के वर्तमान और नेपथ्य को बखूबी परिभाषित किया, अभिव्यक्त किया। “ओ प्रिया” की एक रचना का पाठन कर अनुवाद को आदर प्रदान किया। प्रताप नारायण सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में अनुवाद के विभिन्न पक्षों की गहन और व्यापक समीक्षा की। अनुवाद उद्भव, विकास और विन्यास की उनकी मनमोहक प्रस्तुति थी। उन्होंने विनीत मोहन औदिच्य के ग़ज़ल लेखन की प्रशंसा की तथा “ओ प्रिया” की मुक्त कंठ से सराहना की। विनीत मोहन औदिच्य ने कहा कि अंग्रेजी भाषा के प्राध्यापक होने के कारण अंग्रेजी साहित्य से जुड़े हुए हैं पाब्लो की रचनाओं की विशिष्टता के कारण उन्होंने अनुवाद किया। “ओ प्रिया” की अपनी अनुदित रचना को पढ़कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि वह आगे भी हिंदी साहित्य को अपनी सेवाएं प्रदान करते रहेंगे। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रभुदयाल मिश्र ने विनीत मोहन औदिच्य के अनुवाद के कई रंगों का उल्लेख करते हुए “ओ प्रिया” को श्रेष्ठ अनुवाद व सहज अनुवाद कहा। उन्होंने पाब्लो नेरुदा की नायिका को वैदिक काल के एक प्रणय प्रसंग से जोड़कर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि युग कोई भी हो प्यार सदाबहार प्रक्रिया है। वैदिक मंत्रोच्चार संग अध्यक्ष ने अपनी बात पूर्ण की। “ओ प्रिया” के रचनाकार के आदरपूर्ण और भावनापूर्ण धन्यवाद ज्ञापन संग आयोजन पूर्ण हुआ।

धीरेन्द्र सिंह ने कहा कि हिंदी लेखन सपने सीमित दायरे में ही साहित्यिक गतिविधियां संजोए हुए है। वर्तमान हिंदी लेखन से अन्य भारतीय भाषाएं परिचित नहीं हैं। यदि आज के आयोजन में हिंदी के किसी एक पुस्तक के अनुवाद का बीड़ा कोई सम्मिलित रचनाकार उठाए तो यह इस आयोजन की एक विशिष्ट उपलब्धि होगी।

संचालक- धीरेन्द्र सिंह

आयोजन की प्रथम वक्ता डॉ. शरद सिंह ने सोनेट्स संग पाब्लो नेरुदा के जीवन पर भी प्रकाश डाला। विनीत मोहन औदिच्य के अनुवाद पक्ष की बारीकियों का विश्लेषण करते हुए “ओ प्रिया” के गुणवत्ता की प्रशंसा की। डॉ. शरद सिंह के संबोधन के बाद पुस्तक का विमोचन किया गया।

विशिष्ट वक्ता – शरद सिंह

प्रताप नारायण सिंह ने मुख्य अतिथि के रूप में अनुवाद के विभिन्न पक्षों की गहन और व्यापक समीक्षा की। अनुवाद उद्भव, विकास और विन्यास की उनकी मनमोहक प्रस्तुति थी। उन्होंने विनीत मोहन औदिच्य के ग़ज़ल लेखन की प्रशंसा की तथा “ओ प्रिया” की मुक्त कंठ से सराहना की।

मुख्य अतिथि – प्रताप नारायण सिंह

डॉ. शैलेश गुप्त वीर ने अनुवाद के व्यावहारिक पक्षों तथा अनुवाद मरीन प्रयुक्त सावधानियों को प्रस्तुत किया। डॉ. शैलेश स्वयं कई भाषाओं के साहित्य अनुवाद कर चुके हैं इसलिए बहुत करीब से अनुवाद की नसों के स्पंदनों को मुखर स्वर में अभिव्यक्ति प्रदान किए । अनुवाद एक कला है इसे खूबसूरती से प्रतिपादित किया। “ओ प्रिया” के अनुवाद की उन्होंने भूरि-भूरि प्रशंसा की।

विशिष्ट वक्ता- शैलेश वीर

केशव मोहन पांडेय ने अपने संबोधन के आरंभ में साहित्यिक धमाका कर दिया। उन्होंने घोषित किया कि शीघ्र ही “ओ प्रिया” भोजपुरी में अनुदित की जाएगी। केशव मोहन पांडेय हिंदी के अतिरिक्त भोजपुरी लेखन के शीर्ष लेखकों में गिने जाते हैं। इन्होंने अपनी घोषणा के बाद कहा कि “ओ प्रिया” सोनेट्स प्रणय गाथा है इसलिए प्यार अपनी वर्चस्वता जीवन में बनाए रखता है और फिर इनके संबोधन में प्यार की ऐसी बयार चली कि सम्पूर्ण कार्यक्रम प्यार की विभिन्न सुगंध से गुलाबी हो उठा।

विशिष्ट वक्ता – केशव मोहन पांडे

वीणा शर्मा वशिष्ठ का सम्बोधन अपनी एक विशेष शैली और अंदाज लिए था। अत्यधिक मासूमियत भरे लहजे में उनका संबोधन था जो इनका स्वाभाविक अंदाज है। “ओ प्रिया” पर बोलते हुए अनुवाद, प्रयुक्त शब्दावली, सम्प्रेषण आदि पर चर्चा करते इतनी भावुक हो उठीं कि प्रण ले बैठीं कि आजीवन “ओ प्रिया” को अपने हृदय में संजोए रखेंगी।

वीणा वशिष्ठ

लिली मित्रा ने कहा कि अनुवाद सेतु के रूप में जोड़ने का कार्य करता है और रचना स्थल के भौगोलिक व सांस्कृतिक परिवेश का भी प्रभावी चित्रण करता है। अनुदित साहित्य एक गहन और सघन वृहद भ्रमण कराता है। लिली मित्रा ने एक विशिष्ट बात कही। उन्होंने कहा कि पाब्लो ने अपनी प्रेयसी के साथ इतना उत्तम और प्रीतपरक व्यवहार किया कि उन्हें पढ़कर प्रेमिकाएं अपने प्रमियों से कुछ अधिक अपेक्षाएं करने लगेंगी।

लिली मित्रा

अनिमा दास जो हिंदी सोनेट्स लेखन की नई पारी की प्रणेता और अग्रणी हैं उन्होंने सोनेट्स के कथ्य, तथ्य के वर्तमान और नेपथ्य को बखूबी परिभाषित किया अभिव्यक्त किया। “ओ प्रिया” की एक रचना का पाठन कर अनुवाद को आदर प्रदान किया।

अनिमा दास

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रभुदयाल मिश्र ने विनीत मोहन औदिच्य के अनुवाद के कई रंगों का उल्लेख करते हुए “ओ प्रिया” को श्रेष्ठ अनुवाद व सहज अनुवाद कहा। उन्होंने पाब्लो नेरुदा की नायिका को वैदिक काल के एक प्रणय प्रसंग से जोड़कर यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि युग कोई भी हो प्यार सदाबहार प्रक्रिया है। वैदिक मंत्रोच्चार संग अध्यक्ष ने अपनी बात पूर्ण की।

अध्यक्ष- प्रभुदयाल मिश्र

विनीत मोहन औदिच्य ने कहा कि अंग्रेजी भाषा के प्राध्यापक होने के कारण अंग्रेजी साहित्य से जुड़े हुए हैं पाब्लो की रचनाओं की विशिष्टता के कारण उन्होंने अनुवाद किया। “ओ प्रिया” की अपनी अनुदित रचना को पढ़कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि वह आगे भी हिंदी साहित्य को अपनी सेवाएं प्रदान करते रहेंगे।

विनीत मोहन औदिच्य (अनुवादक – ‘ओ प्रिया ‘)

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ashrutpurva

1 Comment

  • मेरे द्वारा अनूदित #ओ_प्रिया के विमोचन की शानदार कवरेज के लिए आदरणीय Dhirendra Singh जी एवं अश्रुत पूर्वा वेबसाइट के आदरणीया Lily Mitra जी सहित समस्त पदाधिकारियों एवं आयोजन में उपस्थित समस्त प्रतिष्ठित साहित्यकार अतिथियों का हार्दिक अभिनंदन सह अतिशय आभार 💐🙏😊

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