मनस्वी अपर्णा II
१२१२ ११२२ १२१२ ११२/२२
ये सिलसिला भी कहां बार बार होता है
किसी-किसी पे ही तो ऐतबार होता है //१//
बड़े नसीब से मिलता है कोई ऐसा जो
तुम्हारे इश्क़ में तुमपे निसार होता है //२//
उलझ गई है नज़र मिलके तेरी नज़रों से
हसीन हादसा ये बार बार होता है //३//
क़रीब पाते हैं हम दूरियों में तुझको और
तेरा नज़दीकियों में इंतज़ार होता है //४//
छुपाएं कैसे इसे कैसे खुश नज़र आएं
उदास चेहरा ही तो इश्तेहार होता है //५//
फिसल ही जाती है कोशिश तमाम करके भी
किसे यूं जिंदगी पे इख़ितयार होता है //६//
सवाले वस्ल पे क्या दें जवाब इसका तो
जी दिल के मिलने पे दारोमदार होता है //७//
//२//
१२१२ ११२२ १२१२ ११२/२२
तेरे भरोसे पे दुन्या भुलाए बैठे हैं
ज़माने भर की उम्मीदें लगाएं बैठे हैं //१//
जहां पे चीखना लाजिम हो ऐसी हालत में
अजीब लोग हैं चुप्पी लगाएं बैठे हैं //२//
तुम्हारे साथ कभी दो क़दम चलेंगे हम
बड़े दिनों से ये हसरत छुपाएं बैठे हैं //३//
सभी का हाल तुम्हारे ही हाल जैसा है
ये सारे लोग भी ख़ुद को सताएं बैठे हैं //४//
बड़ी अजीब कशिश है तुम्हारी महफ़िल में
हमीं नहीं है सभी सर झुकाए बैठे हैं //५//
ये तेरी राह गुज़र तो नहीं हैं फिर भी हम
न जाने किसलिए पलकें बिछाएं बैठे हैं //६//
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