अश्रुत पूर्वा II
दिल्ली। कोरोना का खौफ खत्म होने केबाद लोगों का मिलना-जुलना शुरू हो गया है। ऐसे में कई लोगों को अब जुकाम भी होने लगा है। इन दिनों एक वीडियो चर्चित हुआ है, जिसमें जुकाम के उपचार के तौर पर एक व्यक्ति नाक में लहसुन डालते दिख रहा है। वैसे जुकाम के जो देसी इलाज बताए जाते हैं, उनमें यह तरीका भी शामिल है। एविडेंस बेस्ट मेडिसिन एंड न्यूट्रिशिन के डुआने मेलर और आस्टन यूनिर्विसटी में ही जैव चिकित्सा विज्ञान के जेम्स ब्राउन को जुकाम संबंधी प्रचलित मान्यताओं के संबंध में जांच करने को कहा गया। उनके मुताबिक जुकाम का कोई ठोस उपचार नहीं है।
उन्होंने पता किया कि क्या ठंड के कारण जुकाम हो सकता है? क्योंकि सर्दियों में अकसर लोगों को जुकाम हो जाता है। नाक, गले और सांस की नली में अन्य संक्रमणों की तरह जुकाम भी आमतौर पर एक विषाणु के कारण होता है। इस बात में थोड़ी सच्चाई हो सकती है कि ठंड लगने से जुकाम हो सकता है, क्योंकि जब तापमान में बदलाव होता है, तो उससे हमारे गले और सांस नली की परत में बदलाव आता है और इससे वायरस के लिए व्यक्ति की कोशिकाओं को संक्रमित करना आसान हो जाता है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि सर्दियों में अधिक जुकाम होने का बड़ा कारण यह है कि हम इस मौसम में घरों के भीतर, अन्य लोगों के निकट संपर्क में अधिक समय बिताते हैं, जो संक्रमण के फैलने के लिए अनुकूल स्थिति होती है।
जुकाम के उपचार के लिए प्रचलित तरीकों में नाक में लहसुन की कलियां डालना शामिल था, क्योंकि ऐसा दावा किया जाता है कि लहसुन सर्दी-खांसी की दवा है। मगर नाक में कुछ भी डालना आपकी नाक में बलगम के प्रवाह को रोकता है, इसलिए जब उसे हटाया जाता है, तो नाक से कफ बहने लगता है।
ऐसा दावा किया जाता है कि विभिन्न जड़ी-बूटियों जुकाम होने से रोकती हैं या जुकाम होने के बाद जल्द स्वस्थ होने में मददगार हैं। इसके लिए लोग उत्तर अमेरिका में पाए जाने वाले पौधों की प्रजाति इचिनेशिया का अक्सर जिक्र करते हैं। कुछ परीक्षणों से पता चला है कि यह जुकाम की रोकथाम में थोड़ा मददगार है, लेकिन सबूतों से यह साबित नहीं हुआ है, इससे बीमारी के स्तर में कोई खास बदलाव आया हो। हल्दी को जुकाम की रोकथाम में मददगार माना जाता है, लेकिन इस संबंध में भी मजबूत साक्ष्य नहीं हैं।
- आम तौर पर होने वाले जुकाम का कोई रामबाण उपचार नहीं है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी और डी लेने जैसे कुछ तरीके मददगार हो सकते हैं । सबसे अच्छा तो यह है कि खूब आराम कीजिए। खूब पानी पीजिए, ताकि शरीर में पानी की कमी नहीं हो। विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दियों में अधिक जुकाम होने का मुख्य कारण यह है कि हम इस मौसम में घरों के भीतर, अन्य लोगों के निकट संपर्क में अधिक समय व्यतीत करते हैं, जो संक्रमण के फैलने के लिए अनुकूल स्थिति होती है।
एक बार नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक लीनस पॉलिंग ने कहा था कि अधिक मात्रा में विटामिन सी कई वायरल संक्रमणों के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है। कोक्रेन समीक्षा ने पाया कि विटामिन सी जुकाम की रोकथाम नहीं करता, लेकिन कुछ लोगों में संक्रमण की अवधि को कम कर सकता है। क्रोकेन समीक्षा एक ऐसी बहुत मजबूत प्रणाली है जिसमें अनुसंधानकर्ता साक्ष्य का आकलन करते हैं।
रोजाना 200 मिलीग्राम विटामिन सी की खुराक को कम जोखिम वाला माना जाता है, इसलिए कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह जुकाम के प्रभाव को कम करने के लिए एक उचित रणनीति है। प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगों से पता चलता है कि विटामिन डी रोग प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण है और यह विषाणु से लड़ने में महत्त्वपूर्ण है, लेकिन समस्या यह हो सकती है कि कुछ लोगों में विटामिन डी का स्तर अपर्याप्त होता है। धूप से विटामिन डी मिलता है, लेकिन सर्दियों में धूप कम निकलती है।
इसी तरह जुकाम के उपचार में सदियों से चिकन सूप का इस्तेमाल किया जाता रहा है और शहद की तरह यह भी जुकाम के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है, लेकिन संक्रमण को दूर करने में इसका कोई खास प्रभाावी होने की संभावना नहीं है। अलबत्ता सूप में मौजूद पानी से शरीर में पानी की कमी पूरी होती है। जब हमें जुकाम होता है तो पानी की कमी अक्सर एक समस्या होती है। अधिकतर गर्म पेय पदार्थों की तरह यह ददर्नाक साइनस को दूर करने में मदद कर सकता है। (स्रोत : एजंसी)
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