नीता अनामिका II
छल कपट के चौसर पर
पासे गए सब सज
चले वचनबद्ध राम
राज-पाट सब तज…
वर्ष चौदह वनवास का
हिय से लिए लगाए
लक्ष्मण सीता साथ चले
भरत रोए पछताए…
भाग्य दुर्भाग्य किस्मत का
रच रहे थे खेल
लंकापति रावण के
मति भ्रम का
उनसे हो गया मेल…
किया हरण सीता का
साधु का वेश सजाए
भ्रमित सीता लांघ गई
रेखा जो लखन बनाए…
सीता जो जाती मान
प्रिय लक्ष्मण की बात
ना बीतती लंका में उनकी
अनगिनत अंधेरी रात…
हुआ छल घटा युद्ध
रच गया एक इतिहास
वाल्मीकि के शब्दों में
लौकिक काव्य अनुप्रास…
चौदह वर्ष के वनवास बाद
जब लौटे अयोध्या राम
सजी रंगोली विजय की
जगमग हुआ चौ धाम …
अमावस्या की तिमिर को
हरता जलता दीप
जैसे सागर तल में
मोती पाले सीप…
राजा हो या रंक
हर घर जलते दीप
दिवाली के पर्व में
अंतस हुए समीप…।
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