अश्रुत पूर्वा/ स्वास्थ्य चिंतन II
नई दिल्ली। सर्दियां शुरू हो गई हैं। दिन अब छोटे हो रहे हैं तो रातें लंबी। कुछ लोग देख रहे हैं कि उनमें ऊर्जा कम हो रही है और उतना सकारात्मक महसूस नहीं कर रहे हैं जितना वे आमतौर पर करते हैं। हालांकि ये भावनाएं कुछ लोगों के लिए अस्थायी हो सकती हैं। तीन में से लगभग एक शख्स लगातार सर्दियों में एक तरह के अवसाद में डूबने लगता है। इसे मौसमी भावात्मक विकार (एसएडी) कहा जाता है। क्यों होता है ऐसा? आइए जानते हैं।
इन दिनों तरह-तरह के आप गरम कपड़े पहन रहे हैं। समोसे-जलेबियां और गाजर का हलवा हाजिर है। गरमा गरम सूप या कॉफी पी रहे हैं। डार्क चाकलेट खा रहे हैं। फिर भी मूड है कि बेईमान हो रहा है। कमबख्त मन लगता नहीं किसी चीज में। दिल करता है कि रजाई या कंबल तान कर पड़े रहें। सर्दियों में ये मूड खराब रहता क्यों है। ये मौसमी भावनात्मक विकार आता ही क्यों है। दरअसल, इसके लक्षण हल्के से गंभीर तक अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन आम तौर पर इसमें जो बात सामने आती है- वह है आपका मूड धीरे-धीरे खराब हो जाना।
इस मौसम में कई चीजों में आपकी रुचि कम हो जाती है। जो चीजें कभी आपको खुशी देती थी, वह अब उतनी नहीं देती। इन दिनों आपके भूूख में भी बदलाव आता है। आप सर्दियों में भारी चीज भी पचा लेते हैं। सच बता तो ये है कि इन दिनों आप सामान्य से अधिक खाना खाने लगते हैं। यही नहीं इन दिनों आप खूब सोते भी हैं। इसके साथ ही आप कुछ बातों को लेकर निराश रहते हैं तो कुछ बातों को दिल से लगा लेते हैं। या बहुत बुरा महसूस करते हैं।
मौसमी भावनात्मक विकार की वजहों पर किसी भी शोध का कोई साफ निष्कर्ष सामने नहीं आया है। लेकिन इतना तो तय है कि यह बहुत जटिल मामला है। हालांकि कुछ शोधों से पता चलता है कि यह एक खराब हाइपोथैलेमस (मस्तिष्क का वह हिस्सा जो मूड, नींद और भूख जैसी जैविक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है) या बहुत अधिक मेलाटोनिन (एक ऐसा हार्मोन जो हमारे सोने-जागने को नियंत्रित करता है) के कारण हो सकता है। कुछ शोधार्थियों का मानना है कि यह एक सर्कैडियन क्रम बिगड़ने के कारण भी हो सकता है। यह हमारे शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया होती है, जो हमारे सोने-जागने को अपने नियंत्रण में रखती है।
- इन दिनों महिलाओं को मौसमी भावात्मक विकार का अनुभव होने की संभावना अधिक हो सकती है। कुछ लोग महसूस करते हैं कि मौसम बदलने और वसंत आने पर उनके लक्षणों में सुधार होने लगता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सर्दियों में लोग अपने इन लक्षणों से निपटने के लिए कुछ न करें। प्राकृतिक रूप से सुधार होने से पहले आप कुछ उपाय कर सकते हैं। ये उपाय क्या हो सकते हैं। आइए थोड़ा जानें।
मौसमी भावात्मक विकार वाले लोगों के लिए, मुख्य उपचारों में बातचीत करना खास तौर से उनसे जो आपके दिल के करीब हैं। या दवा लेना (जैसे एंटीड्रिप्रेसेंट) शामिल है। अनुसंधान से पता चलता है कि संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (जो हमारे परेशान करने वाले विचारों को चुनौती देने और हमारे व्यवहार को बदलने पर केंद्रित है) एसएडी के लिए एक प्रभावी उपचार है। संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (सीबीटी) अवसाद के लक्षणों को काफी कम करने में सक्षम है। प्रकाश चिकित्सा इस तरह के लक्षणों से निपटने के लिए एक अन्य तरह का उपचार है, जिसमें प्रभावित व्यक्ति को प्रतिदिन 20-30 मिनट एक तेज प्रकाश फैलाने वाले बॉक्स के सामने या नीचे बैठना होता है।
मौसमी भावात्मक विकार के उपचार के रूप में इस समय प्रकाश थेरेपी की भी जांच की जा रही है। एक अध्ययन से पता चला है कि अवसादरोधी दवाओं के संयोजन में उपयोग किए जाने पर प्रकाश चिकित्सा मौसमी भावात्मक विकार के लक्षणों के प्रबंधन का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।
कुछ और उपाय भी किए जा सकते हैं। जैसे बाहर जाना और कुछ प्राकृतिक उजाला प्राप्त करना एक ऐसी चीज है जो मौसमी भावात्मक विकार का अनुभव करने वाले लोग अपने लिए कर सकते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, दिन में अधिक प्राकृतिक प्रकाश प्राप्त करने से लक्षणों में सुधार करने में मदद मिल सकती है। यानी आप धूप में बैठिए। एक अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों को या तो रोजाना एक घंटे सैर के लिए जाना था या एक सप्ताह के लिए रोज 30 मिनट के लिए कृत्रिम प्रकाश बॉक्स का उपयोग करना था। रोज बाहर सैर पर जाने वाले प्रतिभागियों ने कृत्रिम प्रकाश के संपर्क में आने वालों की तुलना में सभी अवसादग्रस्त लक्षणों में महत्त्वपूर्ण सुधार दिखाया। हालांकि यह सही नहीं कि दिन के उजाले में लक्षणों में सुधार नहीं सकता है, फिर भी यह एक आसान और प्रभावी चीज हो सकती है जो लोग हर दिन अपने मूड को सुधारने के लिए कर सकते हैं।
हालांकि आप व्यायाम या योग करके और अपनी पसंद का आहार तथा पेय लेकर अवसाद को काबू कर सकते हैं। जब विशेष रूप से मौसमी भावात्मक विकार की बात आती है, तो ये सुझाव तो माने ही जा सकते हैं कि आप सर्दियों में रोज धूप में बैठें। संगीत सुनें। रचनात्मक कार्य करें। खास दोस्तों से बात करें। सुबह-शाम सैर के लिए निकलें। और खुश रहें।
Leave a Comment