डॉ. अतुल चतुर्वेदी II
सबसे बड़ी बात यह है कि बड़े लोग हमेशा कुछ बड़ा करने की सोचते हैं। उनका सोच तुम्हारी तरह लोन पर मकान लेने या सेल में सस्ता मोबाइल खरीदने जैसा टुच्चा नहीं होता। तुम्हारे साथ तो संकट ही यही है कि तुम कभी अपने मध्यवर्गीय सपनों से निजात ही नहीं पा सके। हमेशा महंगाई और सरकारों को ही कोसते रहे। तुम्हें खुदी हुई सड़क और स्वागतातुर मेनहोल के आगे कुछ दिखता ही नहीं। तुम्हारे तो गृहस्थी की नाव ही हिचकोले खाती रहती है। तुम क्रूज का आनंद क्या जानो। तुम ठहरे चांदनी रात में नौका विहार करने के अभ्यासी…।
तुम थैली और भांग के अंटे के आदी। तुम क्या जानो ड्रग्स का अपूर्व आनंद। बड़े लोग हमेशा बड़ा धमाका करते हैं। उनका सब कुछ बड़ा होता है। हर मूव बड़ा, हर स्कैण्डल बड़ा, हर घटियापन बड़ा। हां, इसमें चौंकने की बात क्या है… जब कोई घटियापन उम्मीद से भी ज्यादा बदतर हो तो बड़ा ही कहलाएगा न! वो रौंदना जानते हैं, लटकाना जानते हैं और सटीक वक्त पर जहाज से कूदना भी जानते हैं। बड़े हैं न तो जिम्मेदारी भी बड़ी है। समाज को संदेश भी बड़ा देना है… कुछ कैची टाइप का। धांसू सा। कह दिया… जो मन में आया औलाद के लिए। बड़े लोग हैं साहब, कौन जुबान पकड़े। लेकिन बेटे ने दिल पर ले ली और सच कर दिखाया। बड़े आदमी हैं हजारों की रिश्वत कैसे ले लें, नाक न कट जाएगी।
करोड़ों के घोटाले करेंगे। मैच फिक्स करेंगे, ड्रग्स की खेप उतरवाएंगे, रोड रेज में दस-पांच को कुचलेंगे। बड़े शौक जो हैं, बड़े एडवेन्चर, बड़ा थ्रिल। सब कुछ बड़ा ही करते रहे हैं वे। कारनामे से लेकर अफेयर तक। छोटापन इंसान के विकास को अवरुद्ध करता है। वो गलियों और गालियों में घिर कर रह जाता है। जबकि बड़ा सोच फूहड़ता की कीचड़ में खिलते कमल के समान है। डेक पर अर्द्ध नग्न थिरकने में जो मजा है वो तालाब की डुबकी में कहां? यहां ललनाओं संग जल विहार है, वहां भैंसों के संग मजबूरी। बड़े व्यक्ति की क्षमताएं बड़ी होती हैं, पहुंच और हाथ बड़े होते हैं। वो अकड़ना भी जानता है और यूटर्न लेना भी। वो चाहता है कि दुनिया उसके बड़प्पन से चमत्कृत हो।

- बड़ापन कायम रखना बहुत मुश्किल है आजकल। क्योंकि एक से बढ़ कर एक टुच्चे हैं इन दिनों। वो कुछ ऐसा अव्वल घटियापा कर देंगे कि आपके मंसूबे धरे रह जाएंगे। मानो टुच्चई किए बिना न हो पाएगा रौब गालिब। वो सरेआम बलात्कार कर घूमेंगे। वो रात को सड़कों पर स्टंट ड्राइविंग करेंगे। वो जनता का पैसा चुरा कर विदेश भाग जाएंगे। बाप सस्ता गुटखा बेचेगा तो वो घर की शान बेचेंगे, ईमान बेचेंगे।
बड़ापन कायम रखना बहुत मुश्किल है आजकल। क्योंकि एक से बढ़ कर एक टुच्चे हैं इन दिनों। वो कुछ ऐसा अव्वल घटियापा कर देंगे कि आपके मंसूबे धरे रह जाएंगे। मानो टुच्चई किए बिना न हो पाएगा रौब गालिब। वो सरेआम बलात्कार कर घूमेंगे। वो रात को सड़कों पर स्टंट ड्राइविंग करेंगे। वो जनता का पैसा चुरा कर विदेश भाग जाएंगे। बाप सस्ता गुटखा बेचेगा तो वो घर की शान बेचेंगे, ईमान बेचेंगे। अरे बेचो तो कुछ बड़ा बेचो न, ये क्या कोचिंग किट बेच रहे हो स्कैमट्रिक बेचो डैड…। बहुत बेच लिए स्वयं को। अब कमाया हुआ बेचो न। कुछ मेगा या लार्जर… यह एक्स्ट्रा लार्ज का जमाना है। ईमान बेचो, देश की प्रतिष्ठा बेचो ऐसा कुछ सेंसेशनल बेचो न प्लीज।
बिगड़ा नवाब गिड़गिड़ाता है समर्थ बाप से। आप अब पैकअप करो… मुझे संभालने दो। ब्रांड वैल्यू की चिंता न करो। वे तो मधुमक्खियां हैं। रस देख चिपक जाएंगी। आप छत्ता बड़ा करो, छाता बड़ा करो और सब कुछ बर्दाश्त करने के लिए छाती बड़ी करो न… ।
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