नई आमद

आपसे मिलने आ रहा है अभिमन्यु

फोटो : साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

शेरलॉक होम्स एक ऐसा काल्पनिक जासूस है जो गुत्थियां सुलझा कर ही चैन लेता है। लेखक कोनन डॉयल के दिमाग की उपज इस किरदार को कौन नहीं जानता। पश्चिम से लेकर पूरब तक के करोड़ों पाठक इसके आज भी प्रशंसक हैं। इसी तरह हम सबके चहेते जेम्स बॉण्ड को भला कौन भूल सकता है। ‘007’ के गुप्त नाम से मशहूर यह पात्र हम सब की स्मृतियों में ताजा है। शेरलॉक के आने के कोई 60 साल बाद एक अंग्रेज लेखक इसे हम सबके सामने लेकर आए। एक ऐसा पात्र जिसके शब्दकोश में ‘असंभव’ जैसा कोई शब्द नहीं है।

तेज रफ्तार गाड़ियां, बंदूकों और तकनीक से लैस जेम्स बॉण्ड के आगे हमारे देसी जासूस कहां टिकते हैं। इयान फ्लेमिंग के इस काल्पनिक पात्र ने न केवल उपन्यासों में बल्कि 2012 तक 22 फिल्मों में अपना धमाल मचाया। आज भी हमें किसी को चिढ़ाना हो, तो हम अक्सर कह देते हैं कि बड़े जेम्स बॉण्ड बने फिरते हो, तुम्हें इतना भी नहीं पता। …चिढ़ाया तो हमने भी अभिमन्यु को, मगर वह ऐसा जासूस नहीं कि किसी मजाक से नाराज हो जाए और ऐसे जासूसों की तरह भी नहीं कि केस जटिल हो तो हार मान कर बैठ जाए।

पंजाब की मिट्टी का बेलौस युवा दिल्ली के कमीनेपन का अदरक की चाय की चुस्कियों की तरह मजा ले रहा था। स्मार्टफोन और तकनीक के हवाले हुई इस दुनिया में अपराध आज भी उतना तकनीकी नहीं है। क्रूर सा दिखता इंसान मक्खी भी मारने में परहेज करता तो कोई नरम दिल की पहचान वाला इंसान को मार कर ही अपना बदला पूरा समझता है। अभिमन्यु को पता है कि अपराध को समझने के लिए इंसान और उसके परिवेश को समझना होगा…।’ जासूसी की दुनिया के इस नए किरदार से जल्द ही रू-ब-रू कराने जा रहे हैं चर्चित भारतीय लेखक मुकेश भारद्वाज।

‘जासूसी के पेशे में कदम जमा रहे अभिमन्यु के आत्मविश्वास ने वशिष्ठ परिवार से लेकर आरामतलब पुलिस महकमे को परेशान कर दिया। किशोर वशिष्ठ की मौत की जगह पर वो न आता तो पुलिस इसे आत्महत्या का मामला मान कर केस बंद कर देती और पूरा परिवार बुजुर्गवार के अंतिम संस्कार में जुट चुका होता। ऐसा क्या है अभिमन्यु में जो पुलिस से लेकर वकील की दलील पर भारी पड़ता है। कभी कासानोवा चार्म को भुनाता तो कभी घोर नैतिक हो जाता। पंजाब की मिट्टी का बेलौस युवा दिल्ली के कमीनेपन का अदरक की चाय की चुस्कियों की तरह मजा ले रहा था। स्मार्टफोन और तकनीक के हवाले हुई इस दुनिया में अपराध आज भी उतना तकनीकी नहीं है। क्रूर सा दिखता इंसान मक्खी भी मारने में परहेज करता तो कोई नरम दिल की पहचान वाला इंसान को मार कर ही अपना बदला पूरा समझता है। अभिमन्यु को पता है कि अपराध को समझने के लिए इंसान और उसके परिवेश को समझना होगा।

जासूसी की दुनिया के इस नए किरदार से जल्द ही रू-ब-रू कराने जा रहे हैं चर्चित भारतीय लेखक मुकेश भारद्वाज।  … तो अभिमन्यु से हम लोग जल्द ही मिलेंगे। रहस्य की कई गुत्थियां सुलझाते हुए वह आ रहा है। आपसे मिलने। उसे आपका ही इंतजार है। वह अपराध के पीछे की दास्तां बताएगा। मुकेश भारद्वाज के उपन्यास ‘मेरे बाद…’ को पढ़ कर आप हैरत में पड़ जाएंगे। इस जासूस की हर मुस्कान के पीछे एक कहानी है।

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