अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। इन दिनों नेपाली उपन्यास ‘फूलंगे’ चर्चा में है। आखिर क्यों न हो। इसका अंग्रेजी अनुवाद जो आ रहा है। पेंग्विन रैंडम हाउस इंडिया (पीआरएचआई) ने यह जानकारी मीडिया से साझा करते हुए बताया कि फूलंगे का अंग्रेजी संस्करण 17 अप्रैल को आएगा।
‘फूलंगे’ दार्जिलिंग के लेखक लेखनाथ छेत्री ने लिखा है। यह अब ‘फ्रूट्स आॅफ द बैरन ट्री’ नाम से आएगा। इस उपन्यास की कथा, एक अलग राज्य के लिए विफल गोरखा आंदोलन के इर्द-गिर्द घूमती है। बता दें कि मूल उपन्यास ‘फूलंगे’ को 2021 में नेपाल के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘मदन पुरस्कार’ के लिए चुना गया था। यह नेपाल का सबसे बड़ा साहित्यिक पुरस्कार है।
‘फूलंगे’ के अंग्रेजी संस्करण का अनुवाद अनुराग बासनेट ने किया है। लेखक लेखनाथ छेत्री ने एक बयान में कहा कि यह उपन्यास दार्जिलिंग और कलिम्पोंग के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले भारतीय गोरखाओं के बारे में बताता है, जो अपठित या अलिखित है। हमें खुशी है कि हम एक नई यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। जहां, हम हाशिये पर मौजूद लोगों की कहानी शेष भारत को बताने जा रहे हैं।
उपन्यास ‘फ्रूट्स आॅफ द बैरन ट्री’ अस्सी के दशक के आखिर में दार्जिलिंग में प्रतिद्वंदी राजनीतिक दलों के साथ-साथ राज्य के सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष का भी चित्रण करता है। अनुवादक बासनेट के अनुसार, फ्रूट्स आफ द बैरन ट्री का प्रकाशन बहुआयामी साहित्यिक आख्यानों की स्वीकृति है। इस तरह के साहित्यिक अनुवादों की स्वीकृति कई वास्तविकताओं को मान्य करने में अहम कदम है। फिलहाल यह उपन्यास सभी प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइट पर प्री-आर्डर के लिए उपलब्ध है। पाठक इसे खरीद सकते हैं। (यह प्रस्तुति मीडिया में आए समाचार पर आधारित)
‘फूलंगे’ दार्जिलिंग के लेखक लेखनाथ छेत्री ने लिखा है। यह अब ‘फ्रूट्स आॅफ द बैरन ट्री’ नाम से आएगा। इस उपन्यास की कथा, एक अलग राज्य के लिए विफल गोरखा आंदोलन के इर्द-गिर्द घूमती है।