पूजा त्रिपाठी II
बच्चों, तुम जब स्कूल से आकर थक जाते होगे तो सोचते होगे कि काश कोई होम वर्क पूरा कर देता। जब तुम्हारी फरमाइशों से तंग आकर मां भी कहती होगी कि मैं तुम्हारी पसंद की डिश नहीं बनाऊंगी तो सोचते होगे… काश कोई झट से पिज्जा-बर्गर-मैगी या चटपटे व्यंजन बनाकर खिला देता। या फिर जब बस स्टाप पर इंतजार करते बोर हो जाते होगे तो सोचते होगे कि काश कोई झट से हवा में उड़ कर स्कूल पहुंचा देता। क्या ऐसा संभव है? शायद आने वाले कई सालों बाद यह मुमकिन हो जाए। फिलहाल हम यहां चर्चा करेंगे ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ की। यानी एक ऐसे कृत्रिम मशीनी मानव की जो न केवल मनुष्य की असंभव उम्मीदों को पूरा कर दे बल्कि आगे चल कर उन्हें मात भी दे दे।
दरअसल, ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ कंप्यूटर साइंस की ही एक ब्रांच है, जिसका उद्देश्य एक ऐसे कंप्यूटर को तैयार करना है, जो मनुष्य की तरह व्यवहार करे। लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि सुपर इंटेलिजेट कंप्यूटर या रोबोट एक समय में पूरी मनुष्य जाति के लिए संकट न बन जाए। ‘स्पेस एक्स’ के एलन मस्क ने तो ट्विटर पर अपने समर्थकों को आगाह भी किया है। हालांकि रोबोट को अपना दोस्त बनाने पर विचार कर रहे देशों से निक बॉस्टर्म ने पूछा है कि सुपर इंटेलिजेंट कंप्यूटरों से मनुष्य किस तरह तालमेल बैठा पाएगा? कहीं यह उन पर हावी हो गए तो? निक ने अपनी पुस्तक ‘सुपर इंटेलिजेंस डेंजर्स स्ट्रेटजीज’ में कृत्रिम मशीनी मानवों पर विस्तृत चर्चा की है।
दिलचस्प बात तो यह है कि ‘स्पेस एक्स’ और टेस्ला मोटर्स के संस्थापक एलन मस्क उन लोगों में से हैं, जिन्होंने ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (एआई) यानी कृत्रिम मशीनी मानव तैयार करने के लिए बड़ा निवेश किया है। हालांकि उनका उद्देश्य कल आने वाली अगली पीढ़ी के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तैयार करने का है। मगर वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? सुपर इंटेलिजेंस कंप्यूटर के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले एलन मस्क का मानना है कि दुनिया भर के देशों में रोबोट जिस तरह बनाए जा रहे हैं वह भविष्य में दुनिया के लिए बड़ा खतरा हो सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर मशहूर प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी टेक्नालॉजी में बढ़ते प्रभाव के कारण मनुष्य जगत के अनिश्चित भविष्य की ओर हशारा किया है। हॉकिंग ने आगाह किया है कि एक समय टेक्नालॉजी इतनी समर्थ हो जाएगी कि वह खुद अपने बारे में सोचने लगेगी और उस समय के वातावरण में खुद को ढ़ाल लेगी। उन्होंने पिछले साल जॉनी डेप्स के ऊपर बनी फिल्म ‘ट्रासकेंडेंस’ की चर्चा की थी जिसमें उन हालातों का चित्रण किया गया है जब कंप्यूटर मनुष्य की क्षमताओं से आगे निकल जाएगा।
मशहूर प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी टेक्नालॉजी में बढ़ते प्रभाव के कारण मनुष्य जगत के अनिश्चित भविष्य की ओर हशारा किया है। हॉकिंग ने आगाह किया है कि एक समय टेक्नालॉजी इतनी समर्थ हो जाएगी कि वह खुद अपने बारे में सोचने लगेगी और उस समय के वातावरण में खुद को ढाल लेगी।
फोटो : साभार गूगल
हालांकि इन विचारों से अलग ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट’ के एक्सपर्ट के. कुर्नबेल एक दूसरा ही तर्क रखते हैं। उनका कहना है कि कृत्रिम मशीनी मानव धरती के मनुष्यों को कभी हाशिए पर नहीं कर पाएंगे। क्योंकि ऐसा करने से पहले पृथ्वी के बुद्धिमान मनुष्य अपनी क्षमता बढ़ा लेंगे। मनुष्य और ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ के बीच सीधा मुकाबला नहीं होगा। बल्कि होगा यह कि हम आधुनिक तकनीक ईजाद कर अपनी क्षमता बढ़ा लेंगे।
अभी ज्यादातर लोग ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेट’ के खतरे को भांप नहीं पाए हैं। फिर भी कुछ चिंताओं को ध्यान में रखते हुए और लोगों की शंकाएं दूर करने के लिए गूगल ने एथिक्स बोर्ड का गठन किया है जो रोबोट निर्माण संबंधी कार्यों और आर्टीफिशियल इंटेलिजेट पर नजर रख रही है यह इस बात का भी खयाल रख रही है कि रोबोट संबंधी परियोजनाओं का गलत गलत इस्तेमाल न हो।
दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन ने कई रोबोट कंपनियों को खरीदा है इनमें एक ब्रिटिश फर्म ‘डीप माइंड’ भी शामिल है। वह ऐसे सॉफ्टवेयर बनाती है जो यह कोशिश करती है कि कंप्यूटर मानव की तरह सोच सके । हालांकि ‘डीप माइंड’ के संस्थापकों में से एक ‘शेन लेग’ ने चेताया है कि ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेट’ इस सदी का सबसे बड़ा खतरा है और यह मानव जगत को खत्म करने में अहम भूमिका निभाएगा। शेन की चिंता वाजिब है कि अगर मान लीजिए परमाणु बमों की सुरक्षा में लगे ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेट’ कहीं गुल खिला दें तो हालात हाथ से बाहर होंगे। याद कीजिए फिल्म ‘टर्मिनेटर’ को जिसमें ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेट’ किस तरह परमाणु युद्ध छेड़ देते हैं।
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