डॉ. एके अरुण II
ज्यादातर मरीज एक हफ़्ता में ही घर पर रह कर ठीक हो रहे हैं। ओमिक्रॉन (कोरोना वायरस) हमारी नाक और सांस नली के ऊपरी हिस्से में ही रहता है, इसीलिए ज्यादा फैल रहा है। कोरोना का डेल्टा वारिएन्ट तो हमारे फेफड़ों में डेरा जमाकर उन्हें खराब कर देता था। इसीलिए ऑक्सिजन की जरूरत पड़ती थी। ओमिक्रॉन से संक्रमण में इसकी नौबत नहीं आती।
ओमिक्रॉन जितनी तेजी से फैल रहा है, उतनी ही तेजी से नीचे भी आएगा। उम्मीद है कि 10-15 दिनों के बाद इस तीसरी लहर का पीक भी आ जाएगा और फिर नए मामलों की संख्या कम होती जाएगी। यानी तकलीफ इसी महीने तक रहेगी। फरवरी के आखिर तक इसका खेल खत्म हो सकता है। मार्च में लगभग सामान्य जिंदगी शुरू हो जानी चाहिए। लेकिन अलर्ट रहें।

उम्मीद है कि 10-15 दिनों के बाद इस तीसरी लहर का पीक भी आ जाएगा और फिर नए मामलों की संख्या कम होती जाएगी। यानी तकलीफ इसी महीने तक रहेगी। फरवरी के आखिर तक इसका खेल खत्म हो सकता है। मार्च में लगभग सामान्य जिंदगी शुरू हो जानी चाहिए। लेकिन अलर्ट रहें।
चित्र : गूगल साभार
(ओमिक्रान) कोरोना का यह संक्रमण सबको हो सकता है, चाहे किसी ने वैक्सीन की दोनों डोज ही क्यों न ली हुई हों?
ओमिक्रॉन या कोरोना से बचने के लिये क्या करें।
- वैक्सीन लगवाएँ।
- घर से बाहर हर वक्त मास्क लगाकर निकलें।
- भीड़ में जाने से बचें।
- हाथों को साबुन-पानी या हैंड सैनिटाइजर से साफ करते रहें।
- किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोग अभी कुछ दिन तक घर से बाहर न निकलें।
यह लेखक के अपने चिकित्सकीय अनुभव पर आधारित निष्कर्ष है।
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