चिराग़ इंडिया ।।
1 II
तुम ज़माने की बात करते हो
दिल दुखाने की बात करते हो
इश्क़ में जान देते थे मुझ पर
किस ज़माने कि बात करते हो
नाम लेते हो बार बार मेरा
क्यूं मनाने की बात करते हो
अब भरोसा करूं तो कैसे करूं
रोज़ आने की बात करते हो
इश्क़ तुमने नहीं किया शायद
भूल जाने की बात करते हो
फख्र की बात इश्क़ में जलना
तुम बुझाने की बात करते हो
इक खिलौना सुकूं जो दे दिल को
ढूंढ लाने की बात करते हो
रौशनी वाला मैं चिराग़ नहीं
जो जलाने की बात करते हो
2 II
पेशवाई को कौन आए अब
कौन ज़हमत भला उठाए अब
वक़्त कटता नहीं बिना तेरे
मेरी ख़्वाहिश तू लौट आए अब
दम-ब-दम* इज़तिराब* बार-ए-ग़म*
कौन तन्हाई को मिटाए अब
दू-ब-दू* वस्ल-ए -यार की हसरत
आतिश-ए-दिल वही बुझाए अब
उसकी तस्वीर जो निशानी है
मेरे बेचैन दिल को भाए अब
ख़ून -ए-हसरत हसीन है दिल में
जाम-ए-इशरत* वही पिलाए अब
सख़्त जां ए चिराग़ हिम्मत कर
तू भी गर्दन को है हिलाए अब
3 II
सांस जब तक है, तेरा रास्ता मैं देखूंगा
दर्द अगर हद से बढ़ा थोड़ा बहुत रो लूंगा
अब ज़ुबां से न कभी नाम तेरा लूंगा मगर
दिल पुकारेगा तो मैं कैसे उसे रोकूंगा
दिल न मानेगा तो मैं उसकी तसल्ली के लिए
नाम तेरा ही कोई दूसरा मैं रख लूंगा
इक अमर प्रेम की चाहत दबी मेरे दिल में
तेरी खुशियों के लिए जान भी मैं दे दूंगा
एक मुफ़्लिस से मुहब्बत की ख़ता कौन करे
अपनी गुमनाम मुहब्बत की सज़ा सह लूंगा
ख़ुशनुमा शाम तेरा हाथ मेरे हाथों में
रोज़ प्यारा सा कोई ख़्वाब नया देखूंगा
सोचता रहता हूं दिन रात उसी को मैं चिराग़
उससे फ़ुर्सत मिले तो अपने लिए सोचूंगा
इज़तिराब- बेचैनी, व्याकुलता ,दम-ब-दम- पल-पल
बार-ए-ग़म- ग़मों का बोझ
दू-ब-दू * आमने सामने
जाम-ए-इशरत*-ख़ुशी का जाम
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