कविता काव्य कौमुदी

कुछ मुक्तक

फोटो: साभार गूगल

विभय कुमार II

II 1 II
इत्तेफ़ाक अच्छा था,
इश्तियाक अच्छा था।
ज़रा ही देर बस बैठे वो,
नसीब ख़ाक अच्छा था।।

II 2 II
बादलों में चित्र देखो,
खेल ये विचित्र देखो।
जो इसे समझा सके,
कोई सच्चा मित्र देखो।।

II 3 II
अदायें उसकी निराली देखी,
हर तरफ चेहरे पे लाली देखी।
सदका उतारने बढ़े जब हम,
जेब अपनी तो खाली देखी।।

II 4 II
ये असली नहीं जाली लगता है,
वक्त कुछ खाली- खाली लगता है।
सोचता हूँ कि कुछ सवाल करूँ,
दिल मेरा एक सवाली लगता है।।

II 5 II
तुमने मेरी दीद चुराई,
दीवाली चुराई, ईद चुराई।
तुम एक शातिर चोर हो जाना,
इन नयनों की नींद चुराई।।

II 6 II
ज़िन्दगी में यही बस काम किया,
जो लगा गिरने उसे थाम लिया।
बस इसे बना ली आदत हमने,
न इसका कोई भी ईनाम लिया।।

II 7 II
आने का वादा था,
ठीक ही इरादा था।
पर मुझे क्या मालूम,
झूठ कुछ ज़्यादा था।।

II 8 II
अगर बरसात हो जाये,
रुको तुम, बात हो जाये।
मैं बातें दिल की कह दूँ,
और मेरी बारात हो जाये।।

About the author

विभय कुमार 'दीपक'

इलाहाबाद ( उ. प्र.) निवासी एक अवकाशप्राप्त वन क्षेत्राधिकारी हूँ ।
जीवन गुज़रा एकान्त के प्राकृतिक सुन्दर एवं आकर्षक माहौल में । ख़्वाब पलते रहे निगाहों में, दिल में और ज़ेहन में भी । कवि हृदय होने के कारण विचार काव्य-रूप में सदैव उमड़ते- घुमड़ते रहते थे।अतः सेवानिवृत्ति के पश्चात पूर्णतः स्वतंत्र होते ही कलम से दोस्ती प्रगाढ़ बना ली । अनुभूतियों का दीपक जला, मन प्रसन्न हुआ और फिर जब कलम उठी तो शब्दों ने जुड़कर पंक्तियों का तथा पंक्तियों ने जुड़कर कविताओं, छंदों, गीत-गज़लों और मुक्तकों का स्वरूप ले लिया । फिर वही अनगढ़ विचार , संवेदनायें विधिवत कागज़ पर उतरने लगीं । ज़मीन से जुड़ा आदमी हूँ इसलिए अपने देहाती - गँवई विचारों के भार से पृष्ठों को लाद दिया । सरलता को ही अपनी क्षमता मानता रहा । साधारण- सामान्य सी ज़िन्दगी में ऊँचे- नीचे रास्तों पर चलते हुये जो कुछ भी दिल ने महसूस किया , दिमाग ने सोचा , होठों ने गुनगुनाया हिम्मत कर आप की सेवा में प्रस्तुत किया जो कि यदाकदा दैनिक जागरण , कादम्बिनी, अहा ज़िन्दगी जैसी पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशित भी होता रहा ।
मेरे विभिन्न विधाओं में किये गये प्रयास पुस्तकों के रूप में अलग - अलग प्रकाशनों से प्रकाशित भी हो चुके हैं :--
१. दीपक की रोशनी ( गीत / गज़ल संग्रह )
२. सितारों सा दीपक ( नवगीत )
३. एक दीपक जला ( नवगीत )
४. दीपक राग ( नवगीत )
५. गज़लों के दीपक ( गज़ल संग्रह )
६. जवाकुसुम ( मुक्तक संग्रह )

सम्पर्क --
मो० 9415279851, 8881739156
ईमेल - vibhai.kumar26@gmail.com

Leave a Comment

error: Content is protected !!