अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली, मार्च। चंद्रमा से 5,800 मील प्रति घंटे की रफ्तार से तीन टन वजनी अंतरिक्ष कचरा टकराने वाला है। बच्चों आपको याद होगा कि इसी बाल वाटिका में हमने आपको कुछ हफ्ते पहले इसकी जानकारी दी थी। अब वह समय आ गया है। बताया जा रहा है कि यह टक्कर इतनी भीषण होगी कि बहुत बड़ा गड्ढा बन जाएगा। यह इतना विशाल होगा कि इसमें कई वाहन समा सकते हैं।
जानते हो बच्चों, यह कचरा रॉकेट चीन का बताया जा रहा है। इसे दस साल पहले अंतरिक्ष में भेजा गया था और तब से यह भटक रहा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसकी भीषण टक्कर से चंद्रमा की सतह पर 10 से 20 मीटर तक का गड्ढा बन जाएगा और चंद्र सतह की धूल सैकड़ों किलोमीटर तक फैल जाएगी। बस यही चिंता का विषय है।
बच्चों, आपको बता दें कि अंतरिक्ष की निचली कक्षा में तैर रहे कचरे पर नजर रखना आसान होता है। अंतरिक्ष में भेजी जाने वाली वस्तुओं के किसी दूसरी चीज से टकराने की संभावना आम तौर पर कम ही होती है। हालांकि खगोलीय घटनाओं में रुचि लेने वाले अंतरिक्ष विशेषज्ञ इन पर जरूर नजर रखते हैं। इसी तरह के एक पर्यवक्षक बिल ग्रे ने जनवरी में इस रॉकेट कचरे की चंद्रमा से टक्कर होने संबंधी घटना का अनुमान लगाया था।
बच्चों जानते हो, वह कचरा क्या है? यह कचरा एक रॉकेट का अवशेष है जो 9,300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चंद्रमा के उस सूदूर स्थान से टकराएगा, जहां दूरबीन की नजर भी नहीं पहुंचती। उपग्रह तस्वीरों की मदद से टक्कर से होने वाले प्रभाव की पुष्टि करने में कई महीने लग सकते हैं।
फोटो: साभार गूगल
ग्रे एक भौतिकशास्त्री हैं। ये ग्रे ही थे, जिन्होंने इस रॉकेट के स्पेसएक्स का होने का संदेह व्यक्त किया था जिसके बाद कंपनी को आलोचना का सामना करना पड़ा, लेकिन एक महीने बाद ग्रे ने कहा कि यह 2015 में भेजा गया स्पेसएक्स कंपनी का रॉकेट नहीं है। उन्होंने कहा कि संभव है कि यह चीन का रॉकेट है जिसने 2014 में चांद पर एक परीक्षण सैंपल कैप्सूल भेजा था। कैप्सूल वापस आ गया, लेकिन रॉकेट अंतरिक्ष में ही भटकता ही रहा।
चीन के अधिकारियों ने कहा कि रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में आने पर जल गया था। हालांकि समान नाम वाले दो चीनी अभियान थे जिनमें एक थी यह परीक्षण उड़ान और दूसरा 2020 में चंद्रमा की सतह से पत्थरों के नमूने लाने का अभियान। जबकि पृथ्वी के पास अंतरिक्ष कचरे पर नजर रखने वाली अमेरिकी अंतरिक्ष कमान ने कहा है कि 2014 के अभियान से जुड़ा चीनी रॉकेट पृथ्वी के वायुमंडल में कभी वापस नहीं आया। (स्रोत : एजंसी इनपुट)
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