कविता काव्य कौमुदी

‘नितेश व्यास की कविताएँ’

तस्वीर-साभार गूगल

नितेश व्यास II

१ .संताप

प्रतीक्षाएँ
शून्य में बदलती आँखें

इच्छाएँ
चींटियों की रेंगती पंक्तियाँ

देह और आत्मा के बीच
झटकता हूँ जिन्हें बार-बार

सारे विचार पुराने बक्से की तह में पड़े
सामान की तरह धूल चाटते हैं

मेरा एकान्त
समय के चाकू से छीलता है
मेरी चेतना
जिसका चीत्कार उभर आता है शब्दों में कुछ-कुछ
तुम जिसे कविता कहते हो वो तो आँसुओं की भाप है
शब्द-शब्द हृदय का ताप है
नहीं नहीं… कविता नहीं
यह दुखती आत्मा का सन्ताप है।

2.जिजीविषा

तस्वीर-साभार गूगल

मैंने सबसे पहला युद्ध अपनी देह से लड़ा
और उसके बाद
न जाने कितने युद्धों से
बच निकल आया हूं मैं

न जाने कितनी त्रासदियों को दिया है मैंने चकमा
किसी अनजाने मोड़ पर अनायास ही मुड़ गया
महामारियां बुहारती रहीं सूनी सड़कें

दुखों के पहाडों को ढोया है आत्मा पर पवित्र संस्कारों की तरह,
न जाने कितने युगों से नहीं उतारा मैंने अपना बोझ

मैं चरैवैति के बहुत पहले से चल रहा हूं
चप्पलों के आविष्कार की कल्पना से
हजारों साल पुरानी है मेरी चाल
और खाल शायद उससे भी अधिक पुरानी
कि जितने शून्य जड़ती है राजनीति अपनी घोषणाओं में

पर मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं मैं यहां से भी
निकल भागूंगा इतनी दूर
अपने सारे असबाब को सिर पर लादे
और तुम्हें यक़ीन दिलाता हूं कि-
जाते-जाते समेट ले जाऊंगा अपने साथ
तुम्हारे पैरों तले की सारी पृथ्वी
जिसकी गोलाई मेरे छालों की रगड़ से
खुरदरी हो चुकी है।

३ चुप्पी

तस्वीर-साभार गूगल

थे शब्द जो
पाषाण वो
था मौन जो
जल सा घना
आकार दे बहता रहा
करता गया वो
शून्य का निर्माण मुझमें

पर है जो चुप्पी
एक अविचल सी
शिला बनकर अहिल्या है
जो बैठी

क्या कभी बोलेगी वो

एक बार छू-कर
देख लेता जो…

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नितेश व्यास

गज्जों की गली,पूरा मोहल्ला,भजन चौकी
जोधपुर, राजस्थान(३४२००१)
मो-9829831299

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