कविता काव्य कौमुदी

धुंधली – सी छाया

फोटो साभार:गूगल

ज्योतिष जोषी II

कभी पास से देखिए
मंडराती हैं छायाएं आपके आसपास
उनके धुंधले रूप चकित करते हैं
जब वे एकतान होती हैं आपसे
तनिक झुके नहीं आप कि
तन जाती हैं वे इठलाकर
जैसे खिली धूप में या
चांदनी में या फिर तेज रोशनी में आपकी छाया के साथ कई आकृतियां डोलती हैं साथ आपके
याद कीजिए एन इसी वक़्त
दिखेगा कोई चेहरा
या फिर अनेक चेहरे मुस्कुराएंगे अचानक
जिन्हें आप कहीं छोड़ आए हैं
या जिनकी स्मृति भी उतर गई है आपके जेहन से
जानते हैं ऐसा क्यों होता है?
इसलिए कि आप होते तो हैं एक पर एक नहीं होते
वे जो नहीं रहे वे भी होते साथ
जो हैं पर नहीं रहे आपकी याद में वह भी
और वह भी जो आपके खयाल में हैं
और वह भी जिनको खयाल में लाने की कोशिश करते हैं आप बारहा
इतनी भीड़ में रहते फिर भी लगता है आपको
अकेले हैं आप और इस तरह निरन्तर दूर होती आपकी आत्मा छोड़ती जाती है आपको रोज रोज थोड़ा थोड़ा
है न अजीब बात कि एक दिन
आप जीते जी मर जाते हैं
लोग तो तब जानते हैं जब आप
सिर्फ देह रह जाते है निस्पंद
और कहते हैं मर गए
पर आप तो मर चुके पहले ही
यह कोई नहीं जानता आप से ज्यादा
ज़िंदा होना अपने में गुजरना है
छायाएं भीतर उतर जब खोलती हैं शिराएं आपकी
आप बहते हैं नदियों सी
अपने में होते झरनों सी हंसते हैं
जीते हैं इसीलिए कि जीना
होम होना है
उतरना है पर्वत की चोटियों से
मरना लोप होना है राख बन
बिखरना और मिट जाना है बनकर एक धुंधली सी छाया।

About the author

ज्योतिष जोशी

साहित्य, कला, संस्कृति के सर्वमान्य आलोचक के रूप में
प्रतिष्ठित ज्योतिष जोशी ने आलोचना को कई स्तरों पर
समृद्ध किया है।
इनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं-सम्यक्, जैनेन्द्र संचयिता, विधा
की उपलब्धि : त्यागपत्र, आर्टिस्ट डायरेक्टरी, कला विचार,
कला परम्परा, कला पद्धति, प्रतीक-आत्मक (दो खण्ड),
(सम्पादन), जैनेन्द्र और नैतिकता, आलोचना की छवियाँ,
उपन्यास की समकालीनता, पुरखों का पक्ष, संस्कृति विचार,
साहित्यिक पत्रकारिता, विमर्श और विवेचना, भारतीय कला
के हस्ताक्षर, आधुनिक भारतीय कला के मूर्धन्य, आधुनिक
भारतीय कला, रूपंकर, कृति आकृति, रंग विमर्श, नेमिचन्द्र
जैन (आलोचना), सोनबरसा (उपन्यास) तथा यह शमशेर
का अर्थ |
कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित

हिन्दी अकादमी, दिल्ली के सचिव रह चुके श्री जोशी इन
दिनों केन्द्रीय ललित कला अकादमी (संस्कृति मन्त्रालय,
भारत सरकार) में हिन्दी सम्पादक हैं।

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