अभिप्रेरक (मोटिवेशनल)

वर्तमान में जियें और खुश रहें

फोटो : साभार गूगल

नीता अनामिका II

रोज शाम सिर्फ सूरज ही नहीं ढलता, अनमोल जिंदगी भी ढलती है। सच है कि हमारी अनमोल जिंदगी हर पल ढल रही है और समय हमारे हाथ से रेत की तरह फिसलता जा रहा है। रोज की भागदौड़ की जिंदगी में हम जीवन के कीमती पलों को खोते से जा रहे हैं। आजकल हमारे जीवन में जिस चीज की सबसे ज्यादा कमी है, वह है- खुशी। खुशी एक ऐसा शब्द है, जिसे सुनते ही मन में सकारात्मक भाव आने लगते हैं।

खुशी फूल की सुगंध की तरह है। जिसे पाकर मन खिल उठता है। ये तो तय है कि जीवन में कोई भी काम यदि सही तरीके से करना है तो खुशी के बिना सफल हो ही नहीं सकता। हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं।

ऐसे में हमारा जीवन नकारात्मक ऊर्जा की ओर अनचाहे रूप से धकेल दिया जाता है और हम उसके प्रभाव  में आ जाते हैं और उदासीनता हमें घेर लेती है। जीवन की उदासियों को परे धकेल कर आगे बढ़ें और अपनी खुशी को गले लगाएं। चाहे वे छोटी-छोटी खुशियां क्यों न हों।

उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी में,
पर बेवजह खुश रहने का मजा ही कुछ और है।

 सुख-दुख, धूप-छांव कुछ भी सदा के लिए नहीं होता। उसी तरह हमें जीवन में कई बार खुशी और उदासी दोनों का  सामना करना पड़ता हैं। लेकिन हमें परिस्थितियों से हार मान कर कभी दुखी नहीं होना चाहिए। दुख-सुख एक सिक्के के दो पहलू की तरह होते हैं। ये आप पर है कि आपका ध्यान किस पहलू पर केंद्रित है। कुछ खास बातें भी हमें ध्यान में रखनी चाहिए-

जीवन में खुश रहने के लिए हमेशा सही और गलत का चुनाव करना बहुत जरूरी है। जो इंसान सही या गलत का चुनाव नहीं कर पाता, वह कभी खुश नही रह सकता है।

साथ ही  एक बात और ध्यान रखिए अपनी सारी खुशियों को किसी एक जगह से पाने की अपेक्षा कभी न करें। आपकी सारी खुशियां भूल कर भी एक ही जगह केंद्रित न हों। आपके पास अपने या अपने जीवन में कुछ भी बदलने की शक्ति है। अपनी खुशी के लिए लड़ें।

  • …जो कुछ हमारे पास है उसे ही विशिष्ट समझें। खुशी आंतरिक वस्तु है जो दीर्घकालीन समय तक बनी रहती है। बाहरी साधनों से प्राप्त हुई प्रसन्नता क्षणिक होती है। तथा तब तक ही रहती है जब तक कि वे साधन हमारे पास हों। इसलिए खुशी का कारण स्वयं ही बनें किसी और को इसकी डोर न थमाने दें। हंसे, मुस्कुराएं। आपके हिस्से की खुशी बेसब्री से अपनी बांहें फैलाए आपका इंतजार कर रही है।

आपको छोड़ कर कोई भी आपकी खुशी को नियंत्रण में नहीं ले सकता। खुशी किसी भी बाहरी स्थितियों पर निर्भर नहीं करती, यह हमारे मानसिक दृष्टिकोण पर निर्भर करती है। खुशी एक भाव है इसे केवल इसे महसूस किया जा सकता है। कुछ लोग अपनी पसंद के काम को करके जीवन में खुशी अर्जित करते हैं। मजबूरीवश किया कार्य जीवन में उलझन, नकारात्मकता तथा उदासीनता के भावों को जन्म देता है।

इसलिए हमेशा वही करिए जो आपका दिल कहता है। खुशी हर पल में है। जीवन में छोटे बच्चे भी बहुत कुछ सिखा जाते हैं। आपने कभी छोटे बच्चे को गौर से देखा है। बच्चे अपने अधिकतर समय में खुश रहते हैं। कुछ पलों को छोड़ कर जब उनकी पसंद की वस्तु न लाई गई हो, नाखुश भले ही हों मगर तुरंत उन्हें भूलने के बाद प्रसन्न हो जाते हैं। फिर बड़े होकर हमें क्या हो जाता है कि सुनहरे पलों को हम कमियां गिनाने में बर्बाद कर देते हैं।

कुछ लोग अधिक धन कमा कर स्वयं को खुश करते हैं, तो कुछ लोग हर स्थिति में स्वयं को खुश रहने या संतुष्ट रखना सीखते हैं तो कुछ लोग अपनी पसंद के काम को करके जीवन में खुशी अर्जित करते हैं। जीवन में खुशी पाने के लिए कई अध्ययन एवं शोध प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें कुछ आम बातें सभी शोधों में स्पष्ट हो चुकी हैं वे इस प्रकार हैं-जीवन की इन बातों को खुशी के मंत्र कह सकते हैं, जिनमें पहला मंत्र है संतुष्टि। हमें छोटी-मोटी बातों से अधिक उत्साहित होने या अधिक उदास होने की बजाय हर स्थिति में संतोषी बनने की जरूरत हैं- दूसरा मंत्र है वर्तमान में जीना। हमारे अधिकतर दुखों का कारण अधिक आकांक्षाएं एवं भूत-भविष्य की बातें ही होती हैं। हम भविष्य  को लेकर भी अधिक चिंतित रहते हैं जिससे असुरक्षा एवं भय का कारण बनता है और हम बेवज़ह ही दुखी हो जाते हैं।

खुशी के संबंध में जितना भी वर्णन किया जाए वह असत्य अथवा आंशिक सत्य ही होगा, क्योंकि भावनाओं को केवल जीकर ही अनुभव किया जा सकता है, उन्हें समझा जा सकता है।

संसार में वस्तुएं सभी के लिए समान होती हैं, बस उसके प्रति हमारा नकारात्मक या सकारात्मक नजरिया ही हमें खुशी देता है। ऐसे लोगों की संगति करें जो सकारात्मक विचार रखते हैं। ऐसा करने से हम अपने विचारों में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। …तो हमारा जीवन जैसा भी है उससे संतुष्ट  रहना ही बेहतर। साथ ही जो कुछ हमारे पास है उसे ही विशिष्ट समझें। खुशी आंतरिक वस्तु है जो दीर्घकालीन समय तक बनी रहती है। बाहरी साधनों से प्राप्त हुई प्रसन्नता क्षणिक होती है। तथा तब तक ही रहती है जब तक कि वे साधन हमारे पास हों। इसलिए खुशी का कारण स्वयं ही बनें किसी और को इसकी डोर न थमाने दें। हंसे, मुस्कुराएं। आपके हिस्से की खुशी बेसब्री से अपनी बांहें फैलाए आपका इंतजार कर रही है।     

About the author

नीता अनामिका

नीता अनामिका कोलकाता के साहित्यिक समाज में जाना मान नाम हैं। वे लेखिका हैं, कवयित्री हैं। समाज सेविका भी हैं। वे साहित्यिक संस्था 'शब्दाक्षर' की राष्ट्रीय महामंत्री हैं। नीता सामाजिक संस्था 'वाराही एक प्रयास' की संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे अक्सर सामाजिक समस्याओं पर कविताएं और कहानियां लिखती हैं। उनकी ज्यादातर रचनाएं साहित्यिक पत्रिकाओं और प्रतिष्ठित समाचारपत्रों और ई-पत्रिकाओं में छपती रही हैं।

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