स्वास्थ्य

अब कोई बड़ी चुनौती नहीं वैस्कुलर ट्यूमर

फोटो प्रतीकात्मक

अश्रुत पूर्वा स्वास्थ्य संवाददाता II

किसी को पता चले कि उसके सिर में एक बड़ा सा ट्यूमर हो गया है तो उसके तो होश ही उड़ जाएंगे। खास तौर से तब जब कि ट्यूमर विशेष प्रकार का हो यानी वैस्कुलर ट्यूमर। स्वाभाविक है कि कोई भी व्यक्ति यह जान कर ही दहशत में आ जाएगा। ऐसा एक मरीज कुछ समय पहले विख्यात न्यूरो सर्जन डॉ सोनल गुप्ता के पास आया। इस मरीज की एमआरआई जांच से पता चला कि उसके ब्रेन में एक बड़ा ट्यमर है। उसमें ट्यूबरक्लोसिस का भी पता चला।    

डॉ. सोनल गुप्ता बताती हैं कि इस लिहाज से मरीज की हालत गंभीर थी। ट्यूमर के बड़े आकार को ध्यान में रखते हुए इसे आपरेशन कर हटाने का फैसला किया गया। वैसे भी कोई दवा ट्यूमर के आकार को कम नहीं कर रही थी। मरीज के गहन जांच के दौरान फोर्टिस अस्पताल के न्यूरो विभाग के डाक्टरों को यह देख कर आश्चर्य हुआ कि सेरिबेलम (यानी छोटा मस्तिष्क) के बायीं ओर रक्त वाहिकाओं से भरा एक बड़ा ट्यूमर है।

इस ट्यूमर को हटाने के लिए मरीज का तुरंत आपरेशन किया गया। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो उसके मस्तिष्क में तरल पदार्थ और जमा होता जाता। इससे मरीज के कोमा में जाने के साथ स्वास्थ्य संबंधी कई जटिलताएं पैदा होतीं। उसकी जान भी जा सकती थी।

ब्रेन इंजरी विभाग की प्रमुख डॉ. सोनल गुप्ता के मुताबिक जब आपरेशन शुरू किया तो हमने मरीज के मस्तिष्क में रक्तवाहिकाओं से भरा ट्यूमर देखा। रोगी का तत्काल एंजियोग्राम किया गया। इससे हमें ट्यूमर तक रक्त की आपूर्ति के स्रोत तक पहुंचने में मदद मिली।

ब्रेन इंजरी विभाग की प्रमुख डॉ. सोनल गुप्ता के मुताबिक जब आपरेशन शुरू किया तो हमने मरीज के मस्तिष्क में रक्तवाहिकाओं से भरा ट्यूमर देखा। रोगी का तत्काल एंजियोग्राम किया गया। इससे हमें ट्यूमर तक रक्त की आपूर्ति के स्रोत तक पहुंचने में मदद मिली। एंजियोग्राम की रिपोर्ट से साफ हो गया कि मरीज दुर्लभ प्रकार के संवहनी ट्यूमर से पीड़ित था। इसे मेडिकल की भाषा में ‘हेमांगीओब्लास्टोमा’ के रूप में जाना जाता है। यह अत्यधिक संवहनी ट्यूमर मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और रेटिना में हो सकता है।

डॉ. सोनल गुप्ता के मुताबिक न्यूरो इंटरवेंशन टीम के साथ विस्तृत चर्चा के बाद हमने एक एम्बोलिजेशन प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया। इसमें रक्त की आपूर्ति को कम करने के लिए ट्यूमर के भीतर गोंद जैसी सामग्री को इंजेक्ट करना शामिल है। मगर यह एम्बोलिजेशन भी मुश्किल था। और केवल 30 प्रतिशत रक्त आपूर्ति को ही कम किया जा सका। ऐसे में एक बड़े ट्यूमर को हटाना सचमुच बड़ी चुनौती थी।

डॉ. सोनल गुप्ता के मुताबिक सात घंटे तक चली बेहद ही बारीक शल्य प्रक्रिया के बाद रक्त वाहिकाओं से भरा वैस्कुलर ट्यूमर बिना किसी रक्तहानि के सफलतापूर्वक निकाल दिया गया। इसके बाद मरीज को दो दिन न्यूरो आईसीयू में रखा गया। उनकी लगातार निगरानी की गई। इसके बाद उन्हें पांच दिन न्यूरो वार्ड में रखने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

फोर्टिस अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग की निदेशक डॉ. सोनल गुप्ता ने बताया कि मरीज अब बिना किसी वील चेयर की मदद के चलने-फिरने में समर्थ है।

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