अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर भारत की हर उपलब्धि को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अभिव्यक्त किया जा रहा है। विकास के हर प्रतिमानों की चर्चा के साथ कला-संस्कति के क्षेत्र में हासिल उपलब्धियां भी भला पीछे कैसे रह सकती हैं। पिछले दिनों भारतीय कला शैलियों के विकास को प्रदर्शित करने के लिए सिंगापुर में भारत के कई हिस्सों के 85 कलाकारों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा 170 से अधिक कलाकृतियों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसे बड़ी संख्या में दर्शकों ने देखा और सराहा।
सिंगापुर के परिवहन मंत्री एस. ईश्वरन और भारतीय उच्चायुक्त पी. कुमारन ने ‘75 इयर्स आफ इंडियन आर्ट कैनवस टू एनएफटी’ शीर्षक वाली चार दिवसीय प्रदर्शनी का उद्घाटन पिछले दिनों सिंगापुर के आर्टपोडियम (कला आधारित समुदाय) के द आर्ट्स हाउस में किया। इसकी चर्चा सिंगापुर से लेकर भारत तक में हुई।
प्रमुख प्रदर्शनी आयोजक और आर्टपोडियम की संस्थापक कविता राहा ने चार दिन चली इस प्रदर्शनी के समापन के बाद कहा कि यह कुछ महत्त्वपूर्ण कहानियों को उजागर करने, कलाकारों की यात्रा और अनुभवों का जश्न मनाने और संपूर्ण भारत में कला शैलियों के बदलते विकास की खोज करने का उत्सव था।
प्रमुख प्रदर्शनी आयोजक और आर्टपोडियम की संस्थापक कविता राहा ने चार दिन चली इस प्रदर्शनी के समापन के बाद कहा कि यह कुछ महत्त्वपूर्ण कहानियों को उजागर करने, कलाकारों की यात्रा और अनुभवों का जश्न मनाने और संपूर्ण भारत में कला शैलियों के बदलते विकास की खोज करने का उत्सव था। उन्होंने कहा, कला के प्रत्येक हिस्से के पीछे हमेशा थोड़ा रहस्य, कुछ अनुभव और शायद कुछ इतिहास रहा है। इसे हमें जानना चाहिए।
कविता राहा ने कहा कि इस कला प्रदर्शनी में बंगाल स्कूल आफ आर्ट, बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप और मद्रास आर्ट्स मूवमेंट जैसे संस्थानों के अलावा आदिवासी और लोक कला के गोंड और पिचवाई कलाकार भी शामिल हुए। (यह प्रस्तुति मीडिया की खबरों पर आधारित)