नई आमद

प्रेम में भटकी वो लड़की बन गई मशहूर लेखिका

अश्रुतपूर्वा II

किसी कहानी में रोमांस के साथ रोमांच भी हो तो यह दिल के करीब हो जाता है। युवा लेखिका और ब्लॉगर अहाना अर्चना पांडेय का सद्य प्रकाशित उपन्यास ऐसा ही है, जिसे पढ़ना शुरू करें तो फिर खत्म करने का दिल चाहे। इन दिनों फिल्म और टीवी शृंखला के लिए पटकथा लिख रहीं अहाना ने अपने नए उपन्यास ‘क्रेज ऑफ जिम्मी’ में एक लड़की की कहानी पाठकों के सामने रखी है जो संघर्ष कर कामयाबी हासिल करती है। ‘क्रेज ऑफ जिम्मी’ रोमांस से भरपूर थ्रिलर उपन्यास है जिसकी संपूर्ण कथा समाज के ईर्द-गिर्द घूमती रहती है।

यह एक काल्पनिक उपन्यास है। कहना गलत नहीं होगा कि यह उपन्यास अन्य उपन्यास से थोड़ा भिन्न है। इस कहानी की नायिका अनन्या एमी एक मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की है, जो अपनी एक सहेली जेसिका के साथ दिल्ली के एक अपार्टमेंट में रहती है। वह आधुनिक माहौल में बेहद असहज महसूस करती है। वह एक पारंपरिक लड़की है। वह नशा करने की आदि नहीं है। वह क्लब जाना पसंद नहीं करती और छोटे पोशाक पहनना उसकी आदत में लेशमात्र भी शामिल नहीं है। इसलिए वह दिल्ली की आधुनिक युवतियों के बीच स्वयं को सहज नहीं पाती।

अनन्या का सपना है एक प्रसिद्ध और शक्तिशाली युवती बनना। जब वह प्रेमपाश में भटकने लगती है, तब एक समय ऐसा आता है कि वह अपने सपनों को व अपने अस्तित्व को स्थायित्व देने के लिए जिम्मी से दूर अपने शहर का रुख करती है। फिर कठिन परिश्रम व अनंत संघर्षों का सामना करते हुए एक विश्व प्रसिद्ध लेखिका और अमीर महिला बन कर उभरती है।

अनन्या एमी ड्रिसिक्यूफू नामक बीमारी से पीड़ित है या यों कहें कि उसके पास एक प्रकार की चमत्कारिक शक्ति है जिसके अनुसार वह अपने भविष्य से संबंधित घटनाओं को अक्सर अपने स्वप्न में पहले ही देख लेती है और हर स्वप्न का जिक्र अपनी डायरी में लिखती है किंतु उसे यह सब बातें याद नहीं रहतीं।

अनन्या को एक बेहद प्रसिद्ध और आकर्षक बिजनेसमैन से आकर्षण हो जाता है जिसे वह अपने स्वप्न में देखती है। जिम्मी जो इस कहानी का नायक है, वह एक सफल उद्यमी का बेटा है जो देश के सबसे सफल उद्यमियों की सूची में क्रमबद्ध है। वह अपने दोस्त के क्लब समारोह में दिल्ली आता है। संयोगवश जिम्मी का मित्र अनन्या का सहपाठी भी है इसलिए अनन्या भी उस समारोह में जाती है और जिम्मी व अनन्या की यहां पहली भेंट होती है। इसके बाद दोनों में प्रेम गहराता है।

इस उपन्यास में स्त्री और पुरुष में असमानता का जिक्र है। इसमें समाज में व्याप्त दहेज जैसी कुरीतियों को भी उठाया गया है। अनन्या का सपना है एक प्रसिद्ध और शक्तिशाली युवती बनना। जब वह प्रेमपाश में भटकने लगती है, तब एक समय ऐसा आता है कि वह अपने सपनों को व अपने अस्तित्व को स्थायित्व देने के लिए जिम्मी से दूर अपने शहर का रुख करती है। फिर कठिन परिश्रम व अनंत संघर्षों का सामना करते हुए एक विश्व प्रसिद्ध लेखिका और अमीर महिला बन कर उभरती है। अंतत: जिम्मी व अनन्या के मिलन के साथ कहानी का सुखद अंत होता है। कथानक अच्छा है। अहाना की भाषा में सहजता है।

मुंबई के पेन पॉकेट बुक्स प्रकाशन से छप कर आए इस उपन्यास का मूल्य 240 रुपए हैं।

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ashrutpurva

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