अश्रुत पूर्वा डेस्क II
नई दिल्ली। सबको हंसाने वाले हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव सबको रुला कर चले गए। गजोधर भैया सचमुच बहुत याद आएंगे। एक आलसी ग्रामीण के किरदार को अपने हाव-भाव और शब्दों से जीवंत कर देने वाले राजू ने अमिताभ बच्चन जैसा दिख कर खूब शोहरत हासिल की। मगर इसके साथ ही उन्होंने एक हास्य अभिनेता के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। उन्होंने लोगों को हंस कर संघर्ष से जीना सिखाया मगर वे खुद मौत से हार गए। श्रीवास्वत का 21 सितंबर 2022 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में निधन हो गया। वे वहां 41 दिन से भर्ती थे।
बतौर हास्य अभिनेता राजू श्रीवास्तव ने शीर्ष पर पहुंचने के बाद राजनीति की ओर भी कदम बढ़ाया। कुछ समय समाजवादी पार्टी में रहे और फिर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। इसका फायदा और नुकसान जो भी हो, मगर उन्होंने ईमानदारी से अपने दायित्व का निर्वहन किया।
कानपुर के राजू एक दिन इतनी शोहरत बटोर लेंगे किसने सोचा था। अपने अलग तरह के हास्य से रंगमंच और टेलीविजन ही नहीं सोशल मीडिया मंचों पर भी बरसों समां बांधे रखा। उनके हास्य में आसपास की चीजों, पशुओं और समाज के कई किरदारों पर आधारित चुटकुले होते थे। वे सब किरदारों को मंच पर ही जीवित कर देते थे। ऐसा गुण बिरले कलाकारों में ही होता है।

कानपुर के राजू एक दिन इतनी शोहरत बटोर लेंगे किसने सोचा था। अपने अलग तरह के हास्य से रंगमंच और टेलीविजन ही नहीं सोशल मीडिया मंचों पर भी बरसों समां बांधे रखा। उनके हास्य में आसपास की चीजों, पशुओं और समाज के कई किरदारों पर आधारित चुटकुले होते थे। वे सब किरदारों को मंच पर ही जीवित कर देते थे। ऐसा गुण बिरले कलाकारों में होता है।
एक समय था जब राजू श्रीवास्तव कभी मुंबई की लोकल ट्रेन में सफर का चित्रण प्रस्तुत कर हास्य पैदा करते थे। कभी शादी-ब्याह की दावत का दृश्य सामने रख लोगों को जम कर हंसाते थे। हालांकि उनकी पहचान शुरू में अमिताभ बच्चन की तरह दिखने से हुई थी, लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे वे अपनी पहचान बनाते चले गए। देखते ही देखते उन्होंने लाखों-करोड़ों लोगों को अपना प्रशंसक बना लिया। वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और लालू प्रसाद जैसे नेताओं और कलाकारों की ऐसी नकल करते थे कि दर्शक उन्हें देखते रह जाते थे।
राजू श्रीवास्तव ने कुछ फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार भी निभाए। वे फिल्म तेजाब (1988), मैंने प्यार किया (1989) और बाजीगर (1993) में दिखे। वहीं नब्बे के दशक में दूरदर्शन के चर्चित शो शक्तिमान में भी अभिनय किया। मगर उन्हें सबसे ज्यादा पहचान 2005 में द ग्रेट इंडिया लाफ्टर चैलेंज शो से मिली। वे खुद को एक आलसी ग्रामीण किरदार ‘गजोधर भैया’ के रूप में प्रस्तुत करते थे। वे इस किहदार में इतने रम गए कि उनके प्रशंसक उन्हें इसी नाम से पुकारने लगे थे।
कोई आठ साल पहले 2014 में कानपुर से लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने उनको टिकट दियाा। मगर उन्होंने इसे लौटा दिया और भाजपा में शामिल हो गए। प्रधानमंत्री ने उन्हें स्वच्छ भारत अभियान से जोड़ा और उन्हें उत्तर प्रदेश की फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष भी बनाया गया। वे इस पद पर अपने अंतिम समय तक रहे।
राजू श्रीवास्तव हास्य से परे अपना स्वस्थ आलोचनात्मक नजरिया रखने के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने ओटीटी मंच के शो ‘मिर्जापुर’ की हिंसक और अश्लील विषयवस्तु को लेकर आलोचना भी की थी। राजू के पिता रमेश श्रीवास्तव भी हास्य कवि थे। राजू जब कानपुर से मुंबई अपनी किस्मत आजमाने पहुंचे थे, तो उन्हीं दिनों फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन जख्मी हो गए थे। उस समय अस्पताल के बाहर खड़े होकर वे उनके लिए दुआ करते थे।
राजू श्रीवास्तव के भाई के मुताबिक वे मुंबई में फुटपाथ और पार्कों में सोए। झुग्गियों में भी रहे। टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार ने उन्हें एक बार एक कार्यक्रम में प्रस्तुति देते देखा तो हंसना मना है नाम के आडियो कैसेट शो करने की पेशकश की। यहीं से राजू श्रीवास्तव के जीवन में एक नया दौर शुरू हुआ था। इसके बाद तो वे हास्य जगत के सिरमौर हो गए।
(यह प्रस्तुति मीडिया से मिली सूचनाओं पर आधारित)
राजू श्रीवास्तव
जन्म- 25 दिसंबर 1963
निधन- 21 सितंबर 2022