व्यंग्य (गद्य/पद्य) हास्य-व्यंग्य

भोजन के लिए हेल्पलाइन नम्बर

गिरीश पंकज II

उसे भूख लगी थी। जैसे सबको लगती है। पर उसके पास भोजन नहीं था। जैसे बहुतों के पास नहीं होता। वह परेशान हो कर भोजन की तलाश में था। जैसे कोई पराजित नेता विजय की तलाश में रहता है। लेकिन विजयश्री उसकी हरकतों के कारण किसी दूसरे का वरण कर लेती है। खैर, तो वह भूखा बन्दा रोटी की तलाश में था। तभी किसी ने उसे पिछले दिनों शुरू की गई हेल्पलाइन-420 के बारे में बताया। इस नंबर पर डायल करो और अपनी भूख मिटा लो। सरकार की एकदम नई लेटेस्ट पहल है। आजकल सरकार अनेक तरह के हेल्प नंबर जारी कर रही है, जिसकी मदद से-ऐसा कहा जाता है कि-लोगों को हेल्प मिल जाती है। मिलती है या नहीं मिलती, यह शोध का विषय है। लेकिन हेल्पलाइन नंबर तो मौजूद रहता है। लोगबाग हेल्पलाइन नंबर डायल करके अकसर ख़ुद को हेल्पलेस ही महसूस करते हैं क्योंकि कोई ख़ास हेल्प तो मिलती नहीं। बस, नम्बर पर नम्बर डायल करते रहिए।

उस दिन एक गरीब बंदा भी इस चक्कर में फँस गया। वह गरीब तो था लेकिन समय के साथ चल रहा था इसलिए उसके पास बहुत सस्ता मोबाइल फ़ोन था। (अब तो कुछ भिखारी तक मोबाइलधारी हो गए हैं। भीख माँग-माँग कर जब वे बोर हो जाते हैं, तो पता चला वीडियो गेम खेलते हैं। मगर यह सब छुप-छुपकर करते हैं। खुले आम तो उनके हाथ में कटोरा ही नज़र आता है लेकिन जब कभी वीडियो गेम खेलने का मूड होता है, तो चालाक भिखारी किसी दीवार की आड़ ले लेते हैं) । यह नया-नया गरीब था। उतना चालाक नहीं था। साधारण मोबाइल से काम चला रहा था। जब उसे पता चला कि हेल्पलाइन नंबर 420 पर फ़ोन करके मनचाहा खाना बुलाया जा सकता है और भूख मिटाई जा सकती है, तो उसने हेल्पलाइन का नंबर मिलाया। वहाँ से किसी कन्या की सुमधुर आवाज़ आई, “हेल्पलाइन नम्बर-420 में आपका स्वागत है। अँग्रेज़ी में बात करने के लिए एक दबाइए। हिन्दी में बात करने के लिए दो दबाएँ और अगर हमारी केवल परीक्षा लेने के लिए आए हैं, तो कुछ मत दबाइए।”

भूखे ने दो नंबर दबाया।

दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, “रोटी खाने के लिए एक नंबर दबाइए। पराठा खाने के लिए दो नंबर दबाइए।”

भूखे ने एक नंबर दबाया। उसे उत्तर मिला, “सूखी रोटी खाने के लिए एक नंबर दबाइए, घी चुपड़ी रोटी पाने के लिए दो नंबर दबाएँ। पूड़ी खाने का मन है, तो तीन नंबर दबाइए और अगर हमारा सर खाने का मन है, तो जीरो दबाइए।”

बंदे को लगा, कोई बेवजह फिरकी ले रहा है इसलिए अंट-शंट निर्देश दे रहा है। उसे तो रोटी खानी थी, किसी का सर क्यों खाता। उसे तो सूखी रोटी खाने का अभ्यास था इसलिए उसने एक नंबर ही दबाया।

उधर से सुमधुर उत्तर मिला, “कड़क रोटी के लिए एक नंबर दबाइए, सामान्य रोटी के लिए दो नंबर दबाएँ।”

भूखे ने दो नंबर दबा दिया।

फिर वहाँ से वही सुमधुर आवाज़ आई, “दो रोटी पाने के लिए एक नंबर दबाइए। चार रोटी पाने के लिए दो नंबर दबाएँ।” बन्दे को जम कर भूख लगी थी। उसने दो नंबर दबा दिया।

फिर आवाज़ आई, “पंचतारा होटल वाली रोटी पाने के लिए एक दबाएँ, साधारण होटल की रोटी के लिए दो दबाएँ और ढाबे की तंदूरी रोटी के लिए तीन दबाएँ।”

भूखे ने सोचा पंचतारा होटल का बड़ा नाम सुना है इसलिए उसने एक नम्बर दबा दिया।

उधर से आवाज़ आई, “अब अपना आधार नंबर यहाँ दर्ज करें।”

भूखे के पास आधार कार्ड तो था लेकिन नंबर भरने में वह हड़बड़ा गया और एक अंक कम भर दिया। उधर से मैसेज आया, सॉरी आपका आधार नंबर ग़लत है। फिर से ट्राई करें। “

इतना बोलने के बाद कॉल डिस्कनेक्ट हो गया। भूखा परेशान। उसने एक बार फिर हेल्पलाइन नंबर को रिंग किया। काफ़ी देर बाद फिर वही रिकॉर्डेड आवाज़ आई, “हेल्पलाइन नंबर 420 में आपका स्वागत है। अँग्रेज़ी में बात करने के लिए एक नंबर दबाइए। हिन्दी में बात करने के लिए दो नंबर और केवल मनोरंजन करना हो तीन दबाएँ। भक्ति संगीत सुनना है तो चार दबाएँ। मौसम का हाल जानना हो तो पाँच दबाएँ।”

भूखे ने दो नंबर दबाया। उधर से आवाज़ आई “सब्जी पाने के लिए एक नंबर दबाइए, रोटी पाने के लिए दो नंबर। हलुआ और पूरी खाना हो, तो तीन नम्बर दबाएँ।”

भूखे की तो गोया लॉटरी निकल गई। उस ने सोचा, पता नहीं हलुआ पूरी मिले-न-मिले। रोटी का भी भरोसा नहीं। चलो, अब सब्जी ही बुलवा लेते हैं, इसलिए उसने एक नंबर दबा दिया। उधर से आवाज़ आई, ” आलू की सब्जी पाने के लिए एक नंबर दिखाइए। भटे की सब्जी पाने के लिए दो नंबर दबाइए। भिंडी की सब्जी पाने के लिए तीन नंबर दबाइए और करेले की सब्जी पाने के लिए चार नंबर दबाइए। मिक्स वेजिटेबल के लिए पाँच दबाएँ।

भूखा सोचने लगा, करेले की सब्जी कड़वी होती है। वह ठीक नहीं रहेगी। भिंडी उसे पसंद नहीं है और भटे से भी उसे एलर्जी है, तो आलू की सब्जी ही ठीक रहेगी। मिक्स वेजिटेबल में अकसर बची-खुची सब्जी मिला दी जाती है इसलिए उसे बुलाना ठीक नहीं इसलिए उसने एक नंबर दबा दिया। सदाबहार आलू की सब्जी। नम्बर दबाते ही फिर उधर से आवाज़ आई, “आलू की रसेदार सब्जी पाने के लिए एक नंबर दिखाइए। भुजिया सब्जी पाने के लिए दो नंबर दबाएँ।”

युवक परेशान हो गया सोचने लगा, नंबर पर नंबर दबाए जा रहा हूँ। पता नहीं सब्जी कब आएगी। सामने वाले ने मेरा पता तो पूछा ही नहीं। शायद अंत में पूछे। उस ने आलू की सब्जी के लिए दो नंबर दबा दिया।

उधर से आवाज़ आई “बिना मिर्च की सब्जी खाने के लिए एक नंबर दबाइए। मिर्च और प्याज वाली सब्जी के लिए दो नंबर दबाइए। युवक ने मुस्कराते हुए दो नम्बर दबा दिया। फिर उधर से सुमधुर आवाज़ आई,” धन्यवाद, हम आपको आपकी मनचाही सब्जी भेजेंगे। कृपा अपना आधार नंबर डालिए और पता टाइप करें। “

युवक ने आधार नंबर सावधानी के साथ डाला। फिर वहाँ से आवाज़ आई, “अपना आधार नंबर ठीक से डालिए।”

भूखे ने एक बार फिर आधार नंबर चेक किया और ध्यान से डाला। दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, “कुछ तो गड़बड़ है। फिर ट्राई करें।”

भूखे ने फिर ट्राई किया तो इस बार आवाज़ आई, “धन्यवाद, हम आपके पते पर आलू की सब्जी भेज रहे हैं।”

भूखे ने सोचा, सब्जी तो आ रही है। चलो, एक बार फिर रोटी के लिए ट्राई करते हैं। उसने फिर हेल्पलाइन का नंबर डायल किया। इस बार कोई रिस्पांस नहीं आया। टूं… टूं …टूं की आवाज़ आती रही। बार-बार वह नंबर डायल करता रहा, मगर उसे कोई रिस्पांस नहीं मिला। भूखे ने सोचा, चलो कोई बात नहीं, सब्जी खाकर ही भूख मिटा लेंगे, या इस बीच कहीं से रोटी का जुगाड़ भी कर लेंगे।

भूखा अब तक सब्जी का इंतज़ार कर रहा है। पता नहीं वह कब आएगी। न सब्जी आई और न दोबारा हेल्पलाइन का नंबर ही लगा। अब वह हेल्प लाइन नम्बर-420 दबाने से डरता है। भूख मिटाने के लिए कुछ भी आता-जाता नहीं, बस बातें बड़ी स्वादिष्ट होती हैं। भूखा बन्दाव सोच रहा है, काश! मीठी-मीठी बातों से ही अपन का पेट भर जाता, तो क्या बात है।

About the author

गिरीश पंकज

जन्मस्थान- बनारस (सम्पूर्ण शिक्षा-दीक्षा-परवरिश छत्तीसगढ़ में )
शिक्षा- एमए (हिंदी), पत्रकारिता स्नातक ( प्रावीण्य सूची में प्रथम), लोक कला -संगीत में पत्रोपाधि। 
सम्प्रति- 35 वर्षों तक सक्रिय पत्रकारिता के बाद स्वतन्त्र लेखन करते हुए त्रैमासिक पत्रिका ''सद्भावना दर्पण' का प्रकाशन-सम्पादन।

प्रकाशित कृतियाँ- सात उपन्यास, पन्द्रह व्यंग्य संग्रह, दो ग़ज़ल संग्रह, एक लघुकथा संग्रह समेत 52 पुस्तकें प्रकाशित।

सम्मान - हिंदी सेवाश्री सम्मान (ट्रिनिडाड, वेस्ट इंडीज), अट्टहास सम्मान, श्रीलाल शुक्ल स्मृति व्यंग्य सम्मान (लखनऊ), लीलारानी स्मृति सम्मान (पंजाब), आर्य स्मृति सम्मान, रजीस्मृति सम्मान (नई दिल्ली ), गौरव भाष्य सम्मान (बैतूल), पंडित बृजलाल द्विवेदी सम्मान, माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान, रामेश्वर गुरु सम्मान, भोपाल मध्यप्रदेश सहित तीस से अधिक सम्मान।

error: Content is protected !!