अभिप्रेरक (मोटिवेशनल)

बोलिए ऐसे ‘प्रेम’ को अलविदा…!

राधिका त्रिपाठी II

जो प्रेम आपको अंदर ही अंदर तोड़ रहा हो। आप उस टूटन को व्यक्त करने में असमर्थ हो रहे हैं। बिना किसी वजह के आपकी आंखें नम हो रहीं हैं। और आप बस उसी एक व्यक्ति का इंतजार कर रहे हैं कि काश वह एक बार आपका हाल पूछ लेता या लेती तो अब समय आ गया है कि आप थोड़ा संभाल लीजिए खुद को।

 सामने वाला व्यक्ति अपनी व्यस्तता का हवाला देकर आप का फोन नहीं उठाता या संदेश (मैसेज) का जबाव अपनी सुविधा अनुसार देता है। यानी जब उसका मन होता है तभी उत्तर देता है, तो ऐसे रिश्ते को न्यूट्रल गियर पर ले आइए आप। अच्छे से समझ लीजिए कि वह एक सामान्य व्यक्ति है न कि आपके लिए व्यक्ति विशेष। उसे विशेष तो आपने बनाया और अपनी जिंदगी का सुख-चैन गंवा दिया।

अब वो आपसे ऊब चुका या चुकी है और पीछा छुड़ाना चाहता है, तो आप खुद को अपना कांधा दीजिए और सुकून से रो लीजिए और हां आप अपना रुमाल साथ ही रखिए। वो क्या है न कि रोते हुए कभी-कभी नाक से एक आध बुलबुले बाहर आने लगते हैं तो उन्हें पोछते रहिए। आप लड़की हैं तो रोने का कार्यक्रम खत्म करके किसी अच्छे ब्रांड की लिपस्टिक लीजिए और दोनों होठों पर लगाइए। आईने के सामने खड़े होइए और मुस्कुरा कर बोलिए। हाय मैं इतनी सुंदर हूं, मैं क्या करूं.!!

अगर कोई आपको इग्नोर कर रहा है तो दिल को थोड़ा आराम दें। किसी मित्र को आई लव यू बोलिए बेझिझक। सब कुछ आपके ऊपर है कि आप परिस्थिति को कैसे संभालते हैं। रो-धोकर और आंखें सूजा कर या मुस्कुरा कर? किस तरह जीना चाहते हैं? किसी व्यक्ति की वजह से दुखी होकर या मुस्कुराते हुए जीना चाहते हैं?

अगर आप पुरुष हैं तो बाजार जा कर हॉट सा चश्मा खरीदिए और आंखों पर लगाइए। हाथ दिल पर पर रख कर बोलिए… जब लाइफ हो आउट आफ कंट्रोल होठों को करके गोल सीटी बजा कर बोल भैया आल इज वेल…! तो यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सिर्फ भैया बोलना है न कि बहना…! बाकी तो चश्मा है ही आपको सलमान खान बनाने के लिए। और निकल पड़िए अपनी मनपसंद जगह पर घूमने…!

रिश्ते उतना ही निभाइए जितना आप निभा सकते हैं। अपने आप को किसी का मोहताज बिलकुल न बनाएं। अगर कोई आपको इग्नोर कर रहा है तो दिल को थोड़ा आराम दें। किसी मित्र को आई लव यू बोलिए बेझिझक। सब कुछ आपके ऊपर है कि आप परिस्थिति को कैसे संभालते हंै। रो-धोकर और आंखें सूजा कर या मुस्कुरा कर? किस तरह जीना चाहते हैं? किसी व्यक्ति की वजह से दुखी होकर या मुस्कुराते हुए जीना चाहते हैं?

 कभी-कभी हमारे शरीर में हार्मोंस बदलता है और हम न चाह कर भी उस इंसान के बारे में सोते-उठते-जागते सोचते रहते हैं। और खुद को अवसादग्रस्त कर लेते हैं। कभी-कभी ये अवसाद आपकी जिंदगी समाप्त कर देती है आप आत्महत्या जैसे आपराधिक कदम बिना सोचे समझे उठा लेते हैं। और अपने माता-पिता भाई-बहन और दोस्तों को रोता बिलखता छोड़ कर उस इनसान के लिए दुनिया से चले जाते हैं जिसे कोई फर्क नहीं पड़ता।

तो आप निकालिए ऐसे रिश्ते से बेदम रिश्ते से। ब्रेक लगाइए अपनी भावनाओं पर और खुद को मजबूत करिए। और अगर कोई दोस्त इस तरह के मानसिक अवसाद से ग्रस्त है, तो आप उसे डॉक्टर के पास ले जाइए। घुमाइए उसे। समझाइए कि जीवन चलते रहने का नाम है। रुके हुए पानी या रिश्तों से बदबू ही आती है।

About the author

राधिका त्रिपाठी

राधिका त्रिपाठी हिंदी की लेखिका हैं। वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बेबाक होकर लिखती हैं। खबरों की खबर रखती हैं। शायरी में दिल लगता है। कविताएं भी वे रच देती हैं। स्त्रियों की पहचान के लिए वे अपने स्तर पर लगातार संघर्षरत हैं। गृहस्थी संभालते हुए निरंतर लिखते जाना उनके लिए किसी तपस्या से कम नहीं है।

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