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दीपावली पर शुभता का प्रतीक रंगोली

अश्रुत पूर्वा डेस्क II

दीपावली के दिन हर घर में रंगोली बनाने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी घर के द्वार से प्रवेश करती हैं। इसलिए लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं। उसे सजाते हैं और द्वार पर रंगोली बना कर महालक्ष्मी का स्वागत करते हैं। घर की बेटी या बहू रंगोली बनाए इससे शुभकुछ हो ही नहीं सकता। सभी को बनाना चाहिए।
दीपावली के दिन प्रवेश द्वार पर रंगोली बना कर न सिर्फ मां लक्ष्मी का बल्कि अतिथियों का भी स्वागत किया जाता है। आंगन, में बरामदे में या बालकनी में विविध रंगों से बनी रंगोली हर जगह की कला को दर्शाती है। रंगोली के बीच वाला हिस्सा पूरी तरह से मां लक्ष्मी को समर्पित  होता है। मूल रूप से रंगोली कमल, मछली या चिड़िया या फिर सांप आदि के रूप में बनाई जाती है जो इंसानों और जीवों के बीच प्रेम का प्रतीक है। कई रंगोली ऐसी बनाई जाती है जिसे देखने से लगता है कि जैसे यह समय खत्म न हो। रंगोली में कमल बनाना मां लक्ष्मी का प्रतीक है।
रंगोली में दो त्रिकोण बनाना मां सरस्वती का प्रतीक है। यह त्रिकोण अच्छी बातों को ग्रहण कर बुरी चीजों को बाहर कर देता है। इस त्रिकोण के चारों ओर 24 पंखुड़ियां बनाई जाती हैं और फिर बाहर एक वृत्त बनाया जाता है जो मां लक्ष्मी के चरण कमल का प्रतीक माना जाता है। कई बार कमल की पंखुड़ियों को त्रिकोण आकार में बनाया जाता है। उत्तरी बिहार में रंगोली में मां लक्ष्मी के चरण बनाए जाते हैं। जिसमें पैर के आगे का भाग दरवाजे की तरफ बनाया जाता है।

रंगोली : पूजा त्रिपाठी

पूरे भारत में दीपावली बेहद उल्लास और श्रद्धा से मनाई जाती है। और इस दिन बनने वाली रंगोली अपने आप में न केवल रचनात्मकता बल्कि श्रद्धा का भी प्रतीक होती है। कई रंगोली ज्यामीतिय आकार जैसे वर्ग, वृत्त, स्वास्तिक, कमल, मछली, पेड़ और लताओं के रूप में बनाई जाती है।


भारत के हर राज्य में रंगोली बनाने का तरीका अलग-अलग है। आंध्र प्रदेश में अष्टदल कमल के रूप में बहुत सारे पैटर्न की रंगोली बनाई जाती है। तमिलनाडु में हृदय के आकार का कमल बनाया जाता है। इसमें आठ तारे बनाए जाते हैं। वहीं महाराष्ट्र में कमल को कई आकार देकर रंगोली बनाई जाती है जैसे शंख कमल, शेल कमल और तबक जिसका मतलब यह है एक ऐसी थाली जिसमें कमल की आठ पंखुड़ियां शुभ का प्रतीक मानी जाती हैं। वहीं गुजरात अकेला ऐसा राज्य है, जहां रंगोली में कमल के 1001 तरह के डिजाइन देखने को मिलते हैं। इसके अलावा पूजा के दौरान स्वास्तिक और शंख बनाने की परंपरा तो है ही।  
पूरे भारत में दीपावली बेहद उल्लास और श्रद्धा से मनाई जाती है। और इस दिन बनने वाली रंगोली अपने आप में न केवल रचनात्मकता का बल्कि श्रद्धा का भी प्रतीक होती है। कई रंगोली ज्यामीतिय आकार जैसे वर्ग, वृत्त, स्वास्तिक, कमल, मछली, पेड़ और लताओं के रूप में बनाई जाती है।
रंगोली बनाने में कई प्रकार की सामग्री का इस्तेमाल होता है। जैसे चावल का आटा, दाल और पत्तियां इत्यादि। पूरे भारत में रंगोली का सबसे अच्छा रंग सफेद माना जाता है। यह रंग शांति और शुद्धता प्रतीक है। ज्यादातर रंगोली चावल के आटे या उसके घोल से बनाई जाती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि चावल पूरे भारत में उन्नति का भी प्रतीक है। दूसरा शुभ रंग है पीला। हल्दी या पीले रंग से रंगोली का बाहरी हिस्सा बनाया जाता है। वहीं केसरिया और हरा रंग भी शुभ रंगों में शामिल किया जाता है। कई बार चावल को इन रंगों में रंग कर रंगोली बनाई जाती है।
वैसे बाजार में रंगोली के लिए कई रंग मौजूद हैं, लेकिन जहां तक दीपावली की बात है तो इस मौके पर चावल से ही रंगोली बनाई जाती है। अगर आप उनमें रंग भरना चाहते हैं तो चावल को शुभ रंग में रंग कर प्रवेश द्वार को रंगोली से सजाएं और महालक्ष्मी का स्वागत करें। वे अवश्य आपके द्वार पर आएंगी और घर में विराजेंगी। साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को सुख-शांति लाने के साथ सौगात भी देंगी।

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