धरोहर

धनु यात्रा महोत्सव का पचहत्तरवांं साल

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। ओड़ीशा का प्रसिद्ध धनु यात्रा महोत्सव एक बार फिर चर्चा में है। बरगढ़ में इस साल इस आयोजन के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस यात्रा की तैयारी शुरू हो गई है। यह आयोजन 11 दिन चक चलता है। महोत्सव के लिए महाराजा कंस की भूमिका के लिए प्रतियोगिता शुरू हो चुकी है। अब तक कोई 57 कलाकार इस भूमिका को निभाने के आगे आए है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय इस महोत्सव को राष्ट्रीय उत्सव का दर्जा दे चुका है। बता दें कि इसे गिनीज बुक में भी शामिल किया गया है। पिछले 23 साल से भगवान कृष्ण के मामा महाराजा कंस की भूमिका निभा रहे पुलिस अधिकारी गोपाल साहू इस बार नहीं दिखाई देंगे।
गोपाल साहू इस वर्ष 60 साल के हो गए। सेवानिवृत्त होने के कारण वे भूमिका नहीं कर रहे हैं। कड़क आवाज वाले साहू धनु यात्रा में कंस का अभिनय कर काफी लोकप्रिय हो गए थे। इसी के साथ धनु यात्रा महोत्सव समिति दो अन्य कलाकार भी सेवानिवृत्त होने के कारण अभिनय नहीं करेंगे। दूसरी भूमिकाओं के लिए भी दावेदार आगे आ रहे हैं। ग्यारह दिन चलने वाले इस महोत्सव की शुरुआत कोविड-19 के कारण दो साल के अंतराल के बाद आगामी 27 दिसंबर को हो रही है।

धनु यात्रा के दौरान कंस के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 11 दिन तक वह पूरे शहर पर शासन करता है और शहर उसकी राजधानी मथुरा में बदल जाता है। इस दौरान शहर का प्रत्येक नागरिक खुद को कंस की आज्ञाकारी प्रजा ही मानता है।

धनु यात्रा में अलग-अलग भूमिकाओं के लिए अब तक 223 कलाकारों ने आवेदन किया है। बुराई के खिलाफ अच्छाई की जीत के रूप में मनाई जाने वाली धनु यात्रा की शुरुआत देश की आजादी के उपलक्ष्य में एक उत्सव के रूप में 1947-48 में  हुई थी। तब से हर साल इसका आयोजन होता रहा है। बता दें कि महामंत्री विदुर की भूमिका के लिए 22 लोग आगे आए हैं, जबकि सात्यिकी के लिए चार, अक्रूर के लिए 17, नारद के लिए 14, उग्रसेन (कंस के पिता) की भूमिका के लिए सात, भगवान कृष्ण की मां देवकी के लिए आठ और वसुदेव की भूमिका के लिए 17 लोगों ने आवेदन किए हैं।
कलाकारों का चयन यहां टाउन हॉल में एक निर्णायक मंडल उनके अभिनय प्रदर्शन के आधार पर करता है। धनु यात्रा के दौरान कंस के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 11 दिन तक वह पूरे शहर पर शासन करता है और शहर उसकी राजधानी मथुरा में बदल जाता है। इस दौरान शहर का प्रत्येक नागरिक खुद को कंस की आज्ञाकारी प्रजा ही मानता है। एक बार 1990 के दशक के शुरू में कंस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बीजू पटनायक को अपने दरबार में तलब किया था। पटनायक ‘राजा’ के सामने पेश होने और उनसे ‘राज्य के मुद्दों’ पर चर्चा करने के लिए भुवनेश्वर से एक हेलिकॉप्टर से बारगढ़ गए थे।
इसी तरह एक बार कंस ने जिला पुलिस को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि सभी दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहनें। पुलिस बल ने इसका पालन किया था। शहर के एक निवासी ने कहा कि त्योहार के दौरान महाराजा कंस के हस्तक्षेप के कारण कई स्थानीय समस्याएं हल हो जाती हैं। (मीडिया में आई खबर की पुनर्प्रस्तुति)

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