बाल कविता बाल वाटिका

नितारा, आंखों का तारा

सांवर अग्रवाल II

ओ मेरी नितारा,
सभी की आंखों का तारा,
केवल तुम पीती हो मिल्क,
देखो हम लाए डेयरी मिल्क।

थोड़ी सी तो खाओ गाजर,
पेट को बनाओ सागर,
थोड़ा सा ले लो एप्पल,
फिर गाओ ट्विंकल ट्विंकल।

आओ तुमको खिलाएं आम,
एक बार तो बोलो, राम-राम,
तुम्हारा लाड़ लड़ाती नानी,
थोड़ी सी खा लो खुरमानी।

ये देखो क्या लाए हैं नाना,
मीठा रस भरा बेदाना,
ये देखो मामा लाए बनाना,
गुस्सा हो जाएंगे सब,
अगर नहीं मानोगी कहना।

चलो तुमको सैर करवा लाएं,
थोड़ा बाजार घुमा कर लाएं,
खूब खाएंगे जम कर चाट,
तुम्हारे हो जाएंंगे ठाठ-बाट।

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Ashrut Purva

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