बाल कविता बाल वाटिका

बोले दादाजी मुनकी से

सांवर अग्रवाल II

बोले दादाजी मुनकी से,
चल बाजार घुमा लाऊं,
कंधे पर बैठा कर तुम्हें,
सारी दुनिया दिखा लाऊं।

चहक उठी मुनकी ये सुन कर,
आंखों में सपने लेकर,
खूब चीज खरीदूंगी,
झूले पर बैठ इतराऊंगी।

चली मुनकी जोश में भर कर,
दादाजी की उंगली थामे,
इतने प्यारे दादाजी मेरे,
हमेशा भजते रामेय श्यामे।

कुर्ता पजामा पहन चले हंै,
सर पर लगाई काली टोपी,
लिए हाथ में एक बेंत है,
कलम जेब में बगल में कॉपी।

जिधर से भी गुजरते दादा,
सब करते उनको राम-राम,
मेला भी खूब घूमा हमने,
घूमते-घूमते हो गई शाम।

About the author

ashrutpurva

error: Content is protected !!