सांवर अग्रवाल II
आओ मिंकू चिंकू आओ,
देखो पापा आए हैं,
रंग बिरंगे उपहार पाकर,
देखो सब हरषाये हैं।
गुड्डी खड़ी कोने में,
टुकुर-टुकुर सब देख रही,
पापा की तस्वीर लगा सीने से
सिसकती सिसकती रो रही।
मिंकू चिंकू बोले पापा से,
गुड्डी के पापा कहां गए,
ये पक्की है दोस्त हमारी,
इसके आंसू हम कैसे पियेंं।
बोले पापा मिंकू से,
इसके पापा शहीद हुए,
दुश्मनों से सीमा पर,
जाकर वे खूब लड़े।
गुड्डी को बुलाया पापा ने,
न रोओ तुम मेरी बच्ची,
जैसे मिंकू चिंकू है मेरे,
तुम भी मेरी बिटिया अच्छी।
फिर पापा ने गुड्डी को भी,
बहुत से उपहार दिए,
खिल-खिल करती गुड्डी को,
पापा अंक में भींच लिए।
खुश हुई गुड्डी बहुत अब,
नहीं रोना उसको आता है,
हिलमिल-हिलमिल खेले अब वो,
सबका साथ सुहाता है।