बाल कविता बाल वाटिका

आओ हिंदी बोलें

सांवर अग्रवाल रसिवासिया II

सोनू मोनू रिंकी आओ,
हिंदी में तुम आम बनाओ,
क से कबूतर ख से खरगोश,
पिंकी को भी आया जोश।

हम सबकी टीचर अंशु दीदी,
रहती हैं पर वे बहुत बिजी,
लेकिन बच्चों आज रहेंगी वे फ्री,
सबको सिखाएंगी राजी राजी।

पुष्पा दी ने दिया होमवर्क,
सबको पूरा करना है,
जो नहीं करेगा इसको,
उसको बेंच पर खड़ा होना है।

हिंदी हमारी भाषा प्यारी,
सबसे मीठी सबसे न्यारी,
चुन्नू-मुन्नू तुम भी आओ,
जल्दी से तुम भी पढ़ जाओ।

हम सब बच्चे मिल कर,
हिंदी को पहचान दिलाएंगे,
विश्व के कोने-कोने में,
जन-जन तक पहुंचाएंगे।

2
लिखो हिंदी, बोलो हिंदी
पुष्पा आंटी ने बच्चों को बुलवाया,
साथ अपने प्रेम से बैठाया,
आओ बच्चों हिंदी सीखो,
अंग्रेजी हटाओ हिंदी बोलो।

हिंदी हमारी शान है,
हमारी इससे ही पहचान है,
लिखो हिंदी, बोलो हिंदी,
इसी में हमारा स्वाभिमान है।

चले गए अंग्रेज, अंग्रेजी छोड़ गए,
अपनी सभ्यता में हमको रमा गए,
छोड़ो उनको, अपनाओ अपनी भाषा,
दिखलाओ बच्चों तुम देश को नई दिशा।

हिंदी हमारी मारी-मारी फिरती है,
हर जगह अंग्रेजी, शर्म हमको नहीं आती है,
हिंदी को फिर ऊंचा उठाना है,
भारत माता कहे गर्व से,
हिंदी की सम्मान दिलाना है।

About the author

सांवर अग्रवाल

सांवर अग्रवाल कपड़े के कारोबारी हैं। असम के तिनसुकिया में वे रहते हैं। दो दिसंबर 1965 को जन्मे अग्रवाल स्वभाव से मृदुल और कर्म से रचनात्मक हैं। बातों बातों में अपनी तुकबंदियों से वे पाठकों और श्रोताओं को चकित कर देते हैं। वे लंबे समय से बाल कविताएं रच रहे हैं। सांवर अग्रवाल बाल कवि के रूप में चर्चित हैं।

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