नई दिल्ली, (अश्रुत पूर्वा)। कन्नड़ के प्रसिद्ध साहित्यकार चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि आजादी का साहित्य से गहरा संबंध है। स्वतंत्रता आंदोलन में समाज के सभी वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया। साहित्य ने आम जनता को मानसिक रूप से तैयार किया। श्री कंबार साहित्य अकादमी में ‘स्वाधीनता संग्राम में लेखक’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षीय वक्तव्य दे रहे थे। इस मौके पर अकादमी के सचिव के. श्रीनिवास राव ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि भारत की भूमि साहित्य की भूमि है। यहां जन्म से लेकर मृत्यु तक साहित्य महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गोष्ठी में भारतीय भाषाओं के कई साहित्यकार शामिल हुए। आर वेंकटेश (तमिल), बलवंत जानी (गुजराती), उषा किरण खान और राम वचन राय (भोजपुरी और मैथिली) विजयानंद सिंह (उड़िया), मधु आचार्य ‘आशावादी’ (राजस्थानी), चंद्रभान खयाल (उर्दू), दिनकर कुमार (असमिया), राजेद्र राव (हिंदी) और सोमा बंद्योपाध्याय (बांग्ला) आदि ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय भाषाओं के लेखकों-साहित्यकारों और पत्रकारों की भूमिका का जिक्र किया। वक्ताओं ने यह भी कहा कि ऐसे कई नाम हैं, जिन्हें आज हम याद तक नहीं करते।
टीम अश्रुत पूर्वा II
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