देवेश भारतवासी II
किसी महापुरुष ने कहा था कि इक्कीसवीं सदी में लोगों का रुझान किताबों से हटने लगेगा और सिनेमा तथा संगीत की ओर बढ़ने लगेगा। आज के दौर में किताब पढ़ना-लिखना तो दूर लोग किताब खरीदने से भी परहेज करने लगे हैं। डिजिटल क्रांति के दौर में पीडीएफ का चलन है। एक क्लिक में कोई भी किताब आपके स्क्रीन पर आ जाएगी। इतना कुछ होने के बावजूद भी वर्तमान परिदृश्य में भारत के कुछ लेखक वैश्विक स्तर पर अपनी किताबों का डंका बजवा रहे हैं। चेतन भगत उनमें से एक हैं।
चेतन भगत युवाओं में बेहद लोकप्रिय हैं। उनकी किताबें पसंद तो की जाती ही हैं, साथ ही बॉलीवुड भी उनके उपन्यासों पर फिल्में बनाता रहा है।
हर बार की तरह अमेज़न पर किताबें देख रहा था, अचानक चेतन की नया उपन्यास ‘400 डेज’ दिख गया। सोशल मीडिया पर उनसे जुड़े रहने के कारण सोचा कि चलो यह किताब मंगाते हैं। इस उपन्यास में कथा की शुरुआत केशव नामक एक युवा से होती है, जो आईपीएस बनना चाहता है। साथ ही एक प्राइवेट डिटेक्टिव एजंसी भी चला रहा है। केशव के घर वाले चाहते हैं कि वह डिटेक्टिव एजंसी पर ध्यान कम दे और पढ़ाई करके सेटल हो जाए। शादी जल्दी करने के लिए केशव की मां उसे समय-समय पर दो-चार बातें सुना दिया करती है।
कहानी में एक खूबसूरत मोड़ तब आता है जब एक नए किरदार आलिया अरोड़ा की एंट्री होती है। एक मॉडल जो अब एक मां और पत्नी है। केशव की ही सोसाइटी में रहने वाली आलिया एक परेशानी से जूझ रही है। उसकी 13 साल की बेटी सिया पिछले नौ महीने से गायब है। पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए हैं और सिया के लापता होने की घटना को एक कोल्ड केस मान लिया गया है। आलिया के परिवार वाले स्वीकार कर चुके हैं कि अब सिया कभी वापस न आ सकेगी, लेकिन आलिया अपनी बेटी को भूल नहीं पाई है। उसे केशव के बारे में पता चलता है और वह उससे मदद मांगती है।
बस यही है इस किताब का मुख्य सार। चेतन भगत ने इस किताब में तमाम पहलुओं को छुआ है। मै आपको पूरी कहानी नहीं बताऊंगा लेकिन उन पहलुओं के बारे में जरुर बात करूंगा जिससे आप यह तय कर सकें की यह किताब पढ़नी चाहिए या नहीं।
मीडिया ट्रायल – मीडिया के वजह से एक परिवार की जिंदगी कैसे बर्बाद हो सकती है इसकी नजीर आपको इस पुस्तक में मिलेगी। चेतन ने इस किताब के माध्यम से मीडिया पर प्रहार किया है। मीडिया कैसे किसी का इस्तेमाल कर अपनी टीआरपी बढ़ाता है वह आप इस किताब से समझ सकते हैं।
किशोरों की बातें – चेतन ने यह किताब लॉकडाउन के दौरान लिखी है। कहानी में जितने भी किरदार हैं। सब आधुनिक समाज के हैं। लापता सिया किशोर उम्र की की है। कहानी के माध्यम से चेतन ने यह बताया है कि एक किशोरी किस तरह सोचती है? क्या चाहती है? उसको कैसे लोग पसंद आते हैं? उसे सोशल मीडिया पर क्या पसंद है? साथ ही साथ उसकी उम्र के और लड़के-लड़कियां कैसा सोचते हैं? आप इस उपन्यास के माध्यम से भारत के आधुनिक बच्चों की सोच-समझ का एक आकलन कर सकते हैं।
चेतन भगत की भाषा सहज होती है। वे शुरुआत से अंत तक आपको कहानी में बांधे रखते हैं। उनके किरदार बनावटी नहीं होते बल्कि समाज के लोगों की कहानी मालूम पड़ती है। चेतन कुछ भी लिखते हैं तो रिसर्च करके लिखते हैं जो आप इस किताब से जान जाएंगे।
इलज़ाम भी लगता है चेतन भगत पर कि वे किताब इस उद्देश्य से लिखते हैं जिससे वह ज्यादा से ज्यादा बिक सके और उनकी किताबों से कोई वैल्यू ऐड नहीं होता। मगर ऐसा नहीं हैं। कुछ तो आप सीखते ही हैं। चेतन कुछ भी लिखते हैं तो पूरी कोशिश करते हैं कि उसे ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ें। यही कारण है की वे एक बेस्टसेलर लेखक हैं। 400 डेज केशव-सौरभ शृंखला की तीसरी कहानी है। ‘वन एरेज्ड मर्डर’ और ‘द गर्ल इन रूम 105’ के बाद चेतन इसे लेकर आए हैं। फाइव पाइंट समवन, टू स्टेट्स और हाफ गर्लफ्रेंड से चेतन को काफी ख्याति मिली थी। उनका इंडियन गर्ल भी चर्चा में रहा। दरअसल, चेतन ऐसा लिखते हैं जैसा युवा पढ़ना चाहता है। मिर्च-मसाले का बेहतर इस्तेमाल करना उन्हें आता है। उनकी लेखनी अक्सर सामने कैनवास पर दृश्य के रूप में चलने लगती है, परन्तु मै इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता की चेतन की किताबें वैल्यू ऐड नहीं करती।
चेतन क्या चंपक भी आप अगर पढ़ेंगे तो आपके जीवन में वैल्यू जरूर ऐड होगा। पढ़ना अपने आप में वैल्यू ऐड करना ही है। बशर्ते आपको पढ़ना आना चाहिए।
चेतन की एक खासियत यह भी है कि वे जब उपन्यास लिखते हैं तो बेबाकी के साथ लिखते हैं और उनके किरदार बनावटी नहीं असली लगते हैं।
कहानी में आगे क्या होता है? क्या आलिया को उसकी सिया वापस मिल पाती है? क्या केशव आईपीएस बन पाता है? अगर आप रहस्य, अपराध, रोमांच और प्रेम से संबंधित कुछ खास पढ़ना चाहते हैं तो यह उपन्यास आपको निराश नहीं करेगा। इसे वेस्टलैंड ने प्रकाशित किया है तथा यह अमेज़न पर भी उपलब्ध है। संभवत: बॉलीवुड जल्दी ही इस पर भी कोई फिल्म बनाए।
उपन्यास : 400 डेज
प्रकाशन : वेस्टलैंड पब्लिकेशंस
मूल्य : 156 रुपए (पेपरबैक)
किंडल एडिशन-129 रुपए
Leave a Comment