मनस्वी अपर्णा II
रोज की जिÞंदगी में हम कितने ही लोगों के संपर्क में आते हैं। मिलना-जुलना हमारे दैनिक जीवन का एक अहम अंग हैं। जितने भी लोगों से हम मिलते हैं, उनमें से कुछ हमें अच्छे लगते हैं तो कुछ बुरे। कुछ न अच्छे न बुरे…। यह हम सभी के साथ होता हैं। मोटे तौर पर हम ये सोचते हैं कि कोई हमें उसकी किसी खासियत की वजह से अच्छा लगता है या किसी बुराई की वजह से बुरा लगता है। कुछ हद तक ये बात ठीक भी है, लेकिन हम थोड़ा और विस्तार से सोचें तो हम पाएंगे कि हमें अच्छा या बुरा लगने वाला हर व्यक्ति हमेशा एक ही वजह से अच्छा या बुरा नहीं लगता बल्कि अक्सर ही अलग-अलग कारणों से उसका प्रभाव हम पर पड़ता है।
दरअसल प्रत्येक व्यक्ति में कोई एक खास आभामंडल जिसे अग्रेजी में ‘औरा’ भी कहते हैं मौजूद होता है और उसका सीधा असर हमारी मनोदशा पर पड़ता है। इसलिए हम जान पाएं या नहीं, लेकिन हमारे संपर्क में आने वाला हर व्यक्ति हमारे भीतर के किसी एक विशेष भाव को उत्प्रेरित कर देता है। जैसे किसी से मिलते ही हमारा प्रेम भाव जाग्रत होता है। कोई हमारे भीतर घृणा जगा देता है। कोई हमारे मन में छुपा बच्चा जगा देता है, तो किसी की उपस्थिति में हम किसी आध्यात्मिक आयाम को छू पाते हैं और भी कई भावनाएं हैं जो हम किसी के सानिध्य में अपने भीतर जागी हुई महसूस करते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति में हर तरह की भावनाएं छुपी हुई होती हैं। बेहतर तो यही होगा कि हम ऐसे लोगों से अपना सानिध्य बढ़ाएं जो हमारे भीतर से शुभ सार्थक और सुंदर को बाहर ला सकने में हमारी मदद करें। और उनसे यथासंभव बचने की कोशिश करें जो हमारे भीतर से अशुभ और असुंदर को बाहर लाने में उत्प्रेरक बनते हैं। चुनाव और पहचान दोनों ही हमेशा हमारे हाथ में होते हैं।
जो भी भाव हममें जागता है वह हमारे ही भीतर होता हैं, लेकिन किसी की उपस्थिति उस भाव को जगाने में कैटेलिटिक एजंट यानी उत्प्रेरक का काम करती है और जिस अनुपात में यह उत्प्रेरण होता हैं हमारी उस व्यक्ति के साथ उसी मात्रा में दोस्ती या दुश्मनी होती हैं। इसलिए सयाने लोग सोहबत को लेकर विशेष ध्यान देने की सलाह दिया करते थे।
प्रत्येक व्यक्ति में हर तरह की भावनाएं छुपी हुई होती हैं। बेहतर तो यही होगा कि हम ऐसे लोगों से अपना सानिध्य बढ़ाएं जो हमारे भीतर से शुभ सार्थक और सुंदर को बाहर ला सकने में हमारी मदद करें। और उनसे यथा संभव बचने की कोशिश करें जो हमारे भीतर से अशुभ और असुंदर को बाहर लाने में उत्प्रेरक बनते हैं। चुनाव और पहचान दोनों ही हमेशा हमारे हाथ में होते हैं। सही का चुनाव हमको ही शांत और सौम्य बनाएगा, हमारी छवि को सकारात्मक बनाएगा। इसके विपरीत हमारी मानसिक शांति और छवि पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
हमारा अचेतन हमें यह इशारा बहुत जल्दी दे देता है कि कौन हमारे भीतर क्या जागृत कर रहा है। अचेतन की सुनें और अपने लिए एक सकारात्मक छवि और खुश महसूस कराने वाली भावना जागृत करें।
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