मनस्वी अपर्णा II
जब से मनुष्य सभ्य हुआ उसने जो सबसे महत्त्वपूर्ण कोई खोज की है तो वह है भाषा की खोज…यह एक ऐसी खोज थी, जिसने एक दूसरे से संवाद को बहुत आसन कर दिया। भाषा की खोज के साथ जन्मे शब्द… जिनसे मिल कर कोई भाषा बनती है। शब्दों के बनने का सिलसिला जो एक बार शुरू हुआ तो फिर ये रुका ही नहीं। यह आज तक जारी है।
हर साल भाषा के मामलों में प्रतिष्ठित आॅक्सफोर्ड डिक्शनरी में कुछ नए शब्दों को जोड़ा जाता है, वो शब्द जो कि काफी प्रचलन में आ चुके होते हैं। ऐसा नहीं है कि शब्दों के पहले संवाद होता ही नहीं था, तब संवाद की कोई दूसरी भाषाएं थी। इशारे, आवाजें, चित्र और भाव ये सभी किसी समय में मनुष्य की भाषाएं रहीं हैं, लेकिन इनसे संवाद निश्चित रूप से ज्यादा कठिन होता होगा, शब्दों से संवाद अपेक्षाकृत अधिक सरल है।
शायद इसीलिए आज तक संवाद का कोई और तरीका शब्दों को कोई चुनौती नहीं दे पाया है, जिस रफ्तार से तकनीक हमारे जीवन में जगह बना रही है ये संभव है भविष्य की भाषा शब्दों की बजाय कोडिंग की हो। लेकिन हमारा आज तो शब्दों पर ही केंद्रित है।
गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि हम चारो तरफ से बस शब्दों से घिरे हुए हैं। हमारा अच्छा-बुरा, सही-गलत, सुंदर-असुंदर, प्रेम-घृणा हर भाव शब्दों की कैद में हैं। कुछ शब्दों का समायोजन तारीफ बन जाता है, तो कुछ शब्दों का समायोजन गाली, कुछ से प्रेम जाहिर होता है, कुछ से घृणा। कुछ अच्छे लगते हैं तो कुछ बहुत खराब …आपकी स्मृति पर छाया हर भाव शाब्दिक है। हमको सिर्फ और सिर्फ शब्द याद रहते हैं। अकबर के समय से एक कहावत बहुत मशहूर है ‘बातन हाथी पाइए, बातन हाथी पांव’ यानी आप अपनी बातों से पुरस्कार में हाथी पा सकते हैं या फिर हाथी के पांव के नीचे कुचले जाने की सजा… ये कहावत बड़ी प्रासंगिक है, शब्द मात्र से दुनिया इधर की उधर की जा सकती है, जैसे आपके धार्मिक आख्यान है। ये एक तरह के शब्दों का संग्रह हैं उनको सुनते ही आप कुछ और हो जाते हैं, उनके बारे में कुछ भी कह कर आपसे कुछ भी करवाया जा सकता है। आपका शिक्षण है… एक दूसरे तरह के शब्दों का संग्रह उससे आपकी समझ, जीवन यापन, स्टेटस सब तय होता है ये भी कि आप कितना पैसा कमाएंगे और कहां से? आपकी बोली … ये एक तीसरे तरह का शब्द संग्रह है ये आपकी भौगोलिक और सामाजिक स्थिति को स्पष्ट करेगा, आपके पारिवारिक और सामाजिक जीवन की दिशा तय करेगा। इसके और भी कई उदाहरण हैं, कुल मिला कर आपसे जुड़ी हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात शब्दों से संबद्ध है।
गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि हम चारो तरफ से बस शब्दों से घिरे हुए हैं। हमारा अच्छा-बुरा, सही-गलत, सुंदर-असुंदर, प्रेम-घृणा हर भाव शब्दों की कैद में हैं। गहराई से सोच कर देखिए तो ये शब्द सिवाय कुछ ध्वनियों के और है क्या? आपकी स्मृति पर छाया हर भाव शाब्दिक है। हमको सिर्फ और सिर्फ शब्द याद रहते हैं। अकबर के समय से एक कहावत बहुत मशहूर है ‘बातन हाथी पाइए, बातन हाथी पांव’ यानी आप अपनी बातों से पुरस्कार में हाथी पा सकते हैं या फिर हाथी के पांव के नीचे कुचले जाने की सजा… ये कहावत बड़ी प्रासंगिक है, शब्द मात्र से दुनिया इधर की उधर की जा सकती है।
चित्र: गूगल साभार
शब्दों के साथ दिलचस्प बात यह है कि वर्तनी वही, लिपि वही, उच्चारण वही लेकिन बस अर्थ बदला और मामला कहीं और जा पहुंचा, कोई आपको गाली देता है या बुरा कहता है, वह एक तरह का शब्द संयोजन है और उससे आप बहुत दुखी हो सकते हैं, मरने-मारने पर उतारू हो सकते हैं, अवसाद में जा सकते हैं,या फिर रो सकते हैं। कोई आपकी तारीफ करता है, आपको अच्छा कहता है, ये एक अलग ढंग का शब्द संयोजन है इससे आप खुश होते हैं, सकारात्मक महसूस करते हैं, कोई भी उद्देश्य पूरा कर सकते हैं, अपने आपको योग्य और समझदार समझ सकते हैं, उसके प्रति अनुग्रह और स्नेह रखते हैं।
गहराई से सोच कर देखिए तो ये शब्द सिवाय कुछ ध्वनियों के और है क्या? मान लीजिए कि एक रोज आप सुबह उठते हैं और पता चलता है कि आप अपने भाषा ज्ञान को पूरी तरह भूल चुके हैं, अब आपसे जो भी कहा जाएगा उससे आपका कितना तादात्म्य होगा? आपके लिए गाली और तारीफ दोनों एक समान होंगे… क्योंकि आपको अब पता नहीं है कि जो ध्वनियां उच्चारित की जा रही है उनका अर्थ क्या है? मुझे लगता है शब्दों के आविष्कार ने कुछ समय और कुछ क्षेत्रों में तो जीवन को आसन बना दिया लेकिन बहुत जगहों पर मुश्किल कर दिया।
हमारी कई मुसीबतों की जड़ बस शब्द हैं, कुछ न कहे गए होते तो बेहतर होते और कुछ कहे गए होते तो बेहतर होते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि यदि हम मानसिक शांति की दिशा में कोई कदम उठाना चाहते हैं तो हमको शब्दों को बस शब्द मानना सीखना होगा, उन पर कोई भाव आरोपित करने से जितना ज़्यादा हम खुद को बचा पाएंगे ज्यादा शांत होते जाएंगे।
Leave a Comment