साहित्यिक परिवार और परिवेश में जन्मी और पलीं डॉ, स्नेह सुधा नवल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज में 43 साल तक हिंदी साहित्य पढ़ाया। फिर वहां कुछ साल तक प्रधानाचार्य भी रहीं। ‘संत काव्य परंपरा में कवि अक्षर अनन्य का स्थान’ विषय पर उन्होंने डॉक्टरेट किया है। डॉ. स्नेह सुधा बालपन से चित्रकला से जुड़ी हुई हैं। इनके बनाए चित्रों की प्रदर्शनियां जागृति मंच, दौलतराम कॉलेज और साक्षरा में आयोजित की जा चुकी हैं। सहयोगी चित्रकार के रूप में इनकी कला का प्रदर्शन ताशकंद और अमेरिका तक में हो चुका है। इसके अलावा साहित्य कला परिषद, हिंदी अकादमी और रोटरी क्लब दिल्ली अपटाउन में भी दर्शकों ने इनकी कला को देखा और सराहा। डॉ स्नेह सुधा प्रतिष्ठित कवयित्री भी हैं। कला और साहित्य के कई पुरस्कार इन्हें मिल चुके हैं। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा मिला कबीर सम्मान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी भी इन्हें सम्मानित कर चुकी है।
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