अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। जरा सोचिए। देर रात गहरी नींद में सांस रुकने लगे तो क्या होगा? आप कहेंगे कि होगा क्या, आदमी की जान ही जाएगी। यह सच है। यह एक ऐसा रोग है जिसे चिकित्सक नींद में सांस संबंधी एक आम, लेकिन गंभीर विकार बताते हंै। डाक्टरी भाषा में कहें तो यह आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है।
इस समस्या से कोई भी ग्रस्त हो सकता है। मगर 50 साल या इससे अधिक आयु के लोगों तथा मोटापे से पीड़ित लोगों के प्रभावित होने की आशंका अधिक होती है। पिछले दिनों ऐसी चर्चा थी कि गायक-संगीतकार बप्पी लाहिड़ी के निधन का कारण आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया ही था। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस रोग की चपेट में अब युवा वर्ग भी आ रहा है।
दरअसल, ओएसए यानी आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नींद संबंधी एक गंभीर विकार है। इसमें सोते समय सांस रुक जाती है। अपने यहां अमूमन इस विकार पर अधिक चर्चा नहीं होती है। कभी भूले-भटके यह किसी को हो गया तो आदमी इसे सामान्य बात मान कर इसकी उपेक्षा ही करता है। मगर यह चिंता का विषय हो सकता है जब ऐसी स्थिति बार बार आए।

विशेषज्ञ कहते हैं कि ओएसए नींद संबंधी एक गंभीर विकार है। इसमें सोते समय सांस रुक जाती है। ओएसए पर खासकर भारत जैसे देशों में अभी अधिक चर्चा नहीं हुई है। इस विकार के सामान्य लक्ष्य खर्राटे लेना है। सुबह सिर में दर्द होता है। दिन में नींद आती है या थकान महसूस होती है। सुबह उठने पर मुंह सूखा लगता है। सांस रुकने के कारण इंसान अचानक जाग जाता है। घबराहट होती है। सांस उखड़ने लगती है। इससे मिजाज में भी बदलाव होता है।
फोटो: साभार गूगल
इस विकार के सामान्य लक्षण खर्राटे लेना है। सुबह सिर में दर्द हो सकता है। दिन में नींद आने की समस्या हो सकती है। या कोई थकान भी महसूस कर सकता है। सुबह उठने पर मुंह सूखा लगता है। इस विकार में सांस रुकने के कारण मनुष्य अचानक जाग जाता है। उस समय जबर्दस्त घबराहट होती है। सांस उखड़ने लगती है। चिकित्सकों के मुताबिक अगर इस रोग का समय रहते इलाज न नहीं किया जाए, तो उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा पड़ने या हृदय संबंधी अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक नींद के दौरान ऊपरी श्वांस मार्ग में बार-बार रुकावट होने और नींद टूट जाने का मतलब आपको आब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है। यह तब होता है, जब गले में कोमल ऊतकों, जैसे जीभ और कोमल तालू को सहारा देने वाली मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं। इसके लिए लोगों को नियमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। नींद की गोलियां लेने से भी बचना चाहिए। शराब से परहेज करना चाहिए। (एजंसी इनपुट)
नोट- यह आलेख जागरुकता के लिए है। रोग होने पर चिकित्सक से परामर्श लें।
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