अभिप्रेरक (मोटिवेशनल)

हमारे आसपास ही है परमात्मा

फोटो: साभार गूगल

मनस्वी अपर्णा II

जीवन कई बार हमको गहन परीक्षा के दौर से गुजारता है। यह समय हमारी शक्ति-सामर्थ्य और सकारात्मकता की परख का समय होता हैं। यह समय हमारे विश्वासों और मान्यताओं की परख का समय भी होता है। ये वो समय होता है, जिसे हम आम तौर पर बुरे दिन या कठिन समय कहते हैं। यह वो दौर होता हैं जब हम परिस्थितियों के आगे बस घुटने टेकने वाले ही होते हैं। हम आर्तनाद से भर उठते हैं। परमात्मा याद आ जाता है…।  हम बस हार ही चुके होते हैं कि कुछ ऐसा घटता है कि हम वापस अपनी ओर लौटने लगते हैं। अक्षम से सक्षम होने की दिशा में बढ़ने लगते हैं और हमे लगता है कि ईश्वर ने हम पर मेहरबानी की है या हमको बाल-बाल बचा लिया।

ऐसा शख्स ढूंढना कठिन होगा जिसने अपने जीवन में कभी परमात्मा को याद नहीं किया हो। हम सबको गाहे-बगाहे ईश्वर को याद करने की आदत होती है। अक्सर तो हम किसी दुख-पीड़ा या संताप में ईश्वर को याद करते हैं। या फिर तब जब किसी भी तरह की किसी अनहोनी से हम बच जाते हैं तो ईश्वर को धन्यवाद देते हुए याद करते हैं…। परमात्मा या भगवान या ईश्वर जो भी नाम हम दें वो मोटे तौर पर हमको इन्हीं दो तरह की परिस्थितियों में याद आता है। खास बात ये है कि हमारा परमात्मा ऊपर कहीं सातवें आसमान में बैठा हुआ है। हमारे मन चाहे रूपों में…किसी के लिए धनुर्धारी, तो किसी के लिए पवित्र क्रॉस पर, किसी के लिए एक संदेश वाहक तो किसी के लिए ध्यान में लीन… हमने जितना चाहा, जैसा चाहा अपनी क्षमता और कल्पना से उतना ही इस परमात्मा तत्व को विस्तार दिया। और यही वो छवि है जिसको हम परमात्मा के रूप में याद करते हैं।

हमारा सोचने और समझने का ढंग ऐसा हो गया है कि हमको सामने खड़ा जीवंत परमात्मा दिखाई नहीं देता बल्कि  हम तस्वीरों में, मूर्तियों में, छवियों में और शब्दों में उसे ढूंढते फिरते हैं…।

हर वो व्यक्ति जो मुसीबत से आपको बाहर निकाल लाने में प्रवृत्त रहा है, जो बुरे दिनों में आपके साथ खड़ा हुआ है। जिसने अपनी निजता को ताक पर रख कर आपकी यथासंभव मदद की है, जिसने आपको जीने का कोई नया आयाम सिखाया है। जिसने आपको अपने अस्तित्व के प्रति अहो भाव जगाने में सहायता की है, जो उस वक्त भी आपके साथ खड़ा था जब सारी दुनिया आपसे नाराज थी, आपके खिलाफ थी। वो जो हर हाल में आपके प्रति निष्ठावान और करुणावान है… ऐसा व्यक्ति जिस भी रूप में हो, जिस भी रिश्ते में हो, वो आपका अपना परमात्मा है। उसकी आपके प्रति करुणा वही कर रही है जो सच में यदि सातवें आसमान में कोई परमात्मा रह रहा होता तो आपकी पुकार से द्रवित होकर करता…।

फोटो: साभार गूगल

दरअसल हम रोज की जिंदगी में कितनी ही बार चलते-फिरते जीवंत परमात्मा से रू-ब-रू होते हैं लेकिन हमारी नजर इस तरह से कंडीशंड हो गई है कि हमको वह सामने होकर भी नजर नहीं आता।  उस चमत्कार और आशीर्वाद से अपनी आंखें फेर लेते हैं जो हमको यूं ही मिलता रहता है। जीवन हमको कई बार ऐसे लोगों से मिलवाता है जो हमारे लिए बहुत कुछ अभूतपूर्व करते हैं। हमारे जीवन की दशा और दिशा बदलते हैं। हम में कुछ शुभ जगाते हैं। जो हमारे अस्तित्व को एक नया आयाम देते हैं। हमको बेहतर बनाते हैं। हम में खुद के प्रति सकारात्मकता जागते हैं…। कुल मिला कर वो सब कुछ करते हैं जिसकी कामना हम परमात्मा से करते हैं।

हर वो व्यक्ति जो मुसीबत से आपको बाहर निकाल लाने में प्रवृत्त रहा है, जो बुरे दिनों में आपके साथ खड़ा हुआ है। जिसने अपनी निजता को ताक पर रख कर आपकी यथासंभव मदद की है, जिसने आपको जीने का कोई नया आयाम सिखाया है। जिसने आपको अपने अस्तित्व के प्रति अहो भाव जगाने में सहायता की है, जो उस वक्त भी आपके साथ खड़ा था जब सारी दुनिया आपसे नाराज थी, आपके खिलाफ थी। वो जो हर हाल में आपके प्रति निष्ठावान और करुणावान है… ऐसा व्यक्ति जिस भी रूप में हो, जिस भी रिश्ते में हो, वो आपका अपना परमात्मा है। उसकी आपके प्रति करुणा वही कर रही है जो सच में यदि सातवें आसमान में कोई परमात्मा रह रहा होता तो आपकी पुकार से द्रवित होकर करता…।

मैं अपने अनुभव से कह रही हूं मेरा परमात्मा कहीं और नहीं, मेरे आसपास बसता है जो अपनी अपरिमित करुणा से मुझे रोज यह अनुभव करवाता है। यह याद दिलवाता है कि परमात्मा होता तो ठीक ऐसा ही होता। हम सबको अपने जीवन में उन लोगों का महत्व जानना समझना चाहिए जिन्होंने हमको मुसीबत से उबारने में, अपने आप पर फिर से विश्वास कायम करने में अपनी क्षमताओं को पहचानने में मदद की है। सच में ये वही लोग होते हैं जिनके माध्यम से ईश्वरत्व हमको अपना अहसास करवाता है। आपके जीवन में जो भी इस झलक को लिए हुए आए उसका सम्मान और उसकी कद्र आपके जीवन को सच में बहुत-बहुत बेहतर बना सकती है।

About the author

मनस्वी अपर्णा

मनस्वी अपर्णा ने हिंदी गजल लेखन में हाल के बरसों में अपनी एक खास पहचान बनाई है। वे अपनी रचनाओं से गंभीर बातें भी बड़ी सहजता से कह देती हैं। उनकी शायरी में रूमानियत चांदनी की तरह मन के दरीचे पर उतर आती है। चांद की रोशनी में नहाई उनकी ग़ज़लें नीली स्याही में डुबकी ल्गाती है और कलम का मुंह चूम लेती हैं। वे क्या खूब लिखती हैं-
जैसे कि गुमशुदा मेरा आराम हो गया
ये जिस्म हाय दर्द का गोदाम हो गया..

Leave a Comment

error: Content is protected !!