अश्रुत पूर्वा II
आजकल लोग स्वास्थ्य के प्रति बेहद सजग हो गए हैं, खासकर कोरोना काल में। आज सेहत की चिंता सबको है। बात जब स्वास्थ्य की होती है तो स्वास्थ्यप्रद भोजन की भी बात उठती है। लोगों को अमूमन सामान्य सलाह दी जाती है और खासकर महिलाओं को कि खाना बनाते समय तेल और नमक की मात्रा पर ध्यान दें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपने आहार से इसे एकदम हटा देना चाहिए। ज्यादातर लोग सरसों तेल का इस्तेमाल करते हैं। आजकल रिफाइंड तेल का भी खूब इस्तेमाल होने लगा है। ज्यादा सजग लोग जैतून का तेल या इससे आगे एक्सट्रा वर्जिन जैतून का तेल भी इस्तेमाल करने लगे हैं।
निसंदेह जैतून का तेल कई तरह से फायदेमंद हो सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि जैतून तेल का सेवन खासकर एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल (ईवीओओ) सेहत के लिए फायदेमंद है। स्पैनिश प्रीडिमेड अध्ययन से पता चला है कि जिन महिलाओं ने एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून के तेल के साथ पूरक आहार खाया, उनमें उन महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर का खतरा 62 फीसद कम था, जिन्हें कम वसा वाला आहार लेने की सलाह दी गई थी। कई वैज्ञानिक अध्ययनों से निष्कर्ष निकालते हैं कि आहार से स्तन कैंसर से बचाव का मुख्य कारण ईवीओओ होता है। इस बात के भी प्रमाण हैं कि टाइप 2 मधुमेह और संभवत: अल्जाइमर रोग से भी जैतून तेल बचाता है। तो क्या अन्य प्रकार के खाना पकाने के तेल की तुलना में जैतून का तेल बेहतर होता है? यह सवाल मन में उठना लाजिमी है।
आपको बता दें कि अपनी वसा के साथ, एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल में कई प्राकृतिक पदार्थ होते हैं, जैसे पालीफेनोल्स। ये प्राकृतिक रूप से पौधों में पाए जाते हैं। इससे हृदय रोग से बचाव होता है।
अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि पालीफेनोल्स से शरीर को कई लाभ होते हैं, जैसे आंत माइक्रोबायोम में सुधार। शोध से पता चलता है कि जैतून के तेल में मौजूद पालीफेनाल कार्डियोवैस्कुलर बीमारी के कम जोखिम से जुड़े होते हैं। वास्तव में, जब शोधकर्ताओं ने इसके पालीफेनोल्स को इससे अलग कर दिया, तो उन्होंने पाया कि यह हृदय को बीमारी से भी नहीं बचाता है।
एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल में इतने उच्च स्तर के पालीफेनोल्स होने का कारण यह है कि इसका तेल निकालने के लिए इसे कुचला जाता है। जैतून के तेल के अधिक संसाधित संस्करण जैसे कि हल्का जैतून का तेल या स्प्रेड, इनमें उतने पालीफेनोल्स नहीं होते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन्हें बनाने के लिए अधिक प्रसंस्करण की जरूरत होती है, जिसके कारण अधिकांश पालीफेनोल्स नष्ट हो जाते हैं।
आपको बता दें कि अपनी वसा के साथ, एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल में कई प्राकृतिक पदार्थ होते हैं, जैसे पालीफेनोल्स। ये प्राकृतिक रूप से पौधों में पाए जाते हैं। इससे हृदय रोग से बचाव होता है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि पालीफेनोल्स से शरीर को कई लाभ होते हैं, जैसे आंत माइक्रोबायोम में सुधार।
फोटो-साभार गूगल
जबकि खाना पकाने के ज्यादातर तेल, जैसे सूरजमुखी का तेल या रेपसीड तेलस बीज से बने होते हैं। बीजों से तेल निकालना मुश्किल होता है, इसलिए उन्हें गर्म करने और साल्वेंट्स से तेल निकालने की जरूरत होती है। इसका मतलब है कि उत्पादन के दौरान बीजों में मौजूद अधिकांश पालीफेनोल्स नष्ट हो जाते हैं। कभी-कभी यह दावा किया जाता है कि रेपसीड तेल (जिसे कैनोला तेल या वनस्पति तेल भी कहा जाता है) एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल का एक स्वस्थ विकल्प है। हालांकि कुछ सबूत हैं कि कच्चे रेपसीड तेल (जिसका अर्थ है कि इसे खाना पकाने के दौरान गर्म नहीं किया गया है) अस्थायी रूप से कोलेस्ट्राल के स्तर को कम कर सकता है, वतर्मान में कोई सबूत नहीं है कि यह उच्च कोलेस्ट्राल से जुड़े रोगों के विकास के जोखिम को कम कर सकता है जैसे हृदय रोग।
जब एक तेल को बहुत अधिक तापमान पर गर्म किया जाता है तो यह हवा में आक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिससे तेल में मौजूद वसा टूट जाती है। इससे हानिकारक पदार्थों का निर्माण हो सकता है। रेपसीड तेल विशेष रूप से इस प्रक्रिया पर प्रतिक्रिया देता है जिसे आक्सीकरण कहा जाता है। खासकर जब गाढ़े तेल का तलने के लिए बार-बार उपयोग किया जाता है। एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल की स्थिरता का एक अन्य महत्वपूर्ण कारण यह है कि इसका मुख्य प्रकार का वसा मोनोअनसैचुरेटेड वसा है। यह एक स्वस्थ वसा और आक्सीकरण के लिए काफी प्रतिरोधी दोनों है। रेपसीड तेल में मोनोअनसैचुरेटेड वसा भी मुख्य प्रकार का वसा होता है। लेकिन एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल के विपरीत, रेपसीड तेल में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड नामक पालीअनसेचुरेटेड वसा का काफी उच्च स्तर होता है। एक और कारण यह है कि रेपसीड तेल को बहुत अधिक गर्म करना अच्छा नहीं होता है।
दूसरी ओर नारियल तेल की उपयोग करने के लिए एक स्वस्थ तेल के रूप में वकालत की जाती है। लेकिन इस तेल में संतृप्त वसा का उच्च स्तर होता है, जो कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (या एलडीएल) कोलेस्ट्राल के स्तर (कभी-कभी खराब कोलेस्ट्राल के रूप में जाना जाता है) को बढ़ा सकता है। इस बात के सबूत हैं कि नारियल के तेल में संतृप्त वसा हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाती है। जबकि एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून तेल के बारे में खास बात यह है कि भूमध्यसागरीय आहार के हिस्से के रूप में खाए जाने पर यह कहीं अधिक प्रभावी प्रतीत होता है। इस आहार में आमतौर पर सब्जियों, फलों, फलियां, अनाज, मछली और जैतून के तेल की मात्रा अधिक होती है। (स्रोत : एजंसी)
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