अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। पिछले दिनों दिल्ली की लोधी कॉलोनी में जर्मनी और भारत के कलाकारों के सहयोग से म्यूरल पेंटिंग ने समां बांध दिया। म्यूरल पेंटिंग यानी भित्ति चित्रों में उड़ती हुई एक मछली, रोलर स्केट्स पर बैठा उल्लू और साइकिल पर फ्लेंमिंगो जैसे अनोखे चित्र लोगों को लुभाते रहे।
इन सभी चित्रों की परिकल्पना दो महिलाओं ने की है। इनमें एक जर्मनी की ग्राफिक उपन्यास कलाकार हैं और दूसरी भारत की एक चित्रकार हैं जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में म्यूरल पेंटिंग के माध्यम से अपनी सृजनशीलता का बखूबी परिचय दिया।
इस क्रम में भारत और जर्मनी के सहयोग से बनी तस्वीर- फिश आउट आॅफ वाटर को बनने में दो हफ्ते का समय लगा।
पशु पक्षियों और वनस्पतियों के अलावा इन कलाकृतियों में एक नई संस्कृति अनेक रंगों के साथ दिखती रही।
वास्तुकार और चित्रकार आश्ती मिलर के मुताबिक, किसी के दिमाग में उपजी कल्पना की यात्रा करने का विचार महामारी के दौर में सामने आया जब लॉकडाउन लगा था। नियम ऐसे थे कि कोई कहीं यात्रा नहीं कर सकता था। इन कलाकृतियों में मुश्किल भरे उस दौर को चित्रित किया गया।
जर्मनी की युवा कलाकार ग्रेटा वॉन रिचतोफेन और मिलर ने पिछले दिनों मैक्स मुलर भवन (गुथे इंस्टिट्यूट) में कुछ प्रमुख अतिथियों से बातचीत की। गुथे इंस्टिट्यूट में सूचना एवं पुस्तकालय सेवा निदेशक अन्जा राइडबर्जर ने कहा कि रिचोफेन और मिलर म्यूरल पेंटिंग के अलावा चेन्नई में भी अपनी कला का प्रदर्शित करेंगी। यह गुथे इंस्टीट्यूट की एक बड़ी परियोजना ग्राफिक ट्रैवलॉग का एक हिस्सा है।
(एजंसी इनपुट)
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