अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। आधुनिक चित्रकार जैमिनी रॉय की कला और उनके जीवन पर एक किताब आई है। इसमें एक कलाकार के रूप में उनके उद्भव की यात्रा है। इस किताब में रॉय के जीवन के कई पहलुओं के साथ, कला को आजीविका और ध्यान का साधन मानने वाले कलाकार का भी चित्रण किया गया है। यहां बता दें कि जैमिनी रॉय को एक आधुनिक यूरोपीय चित्रकार के साथ स्थानीय लोक कला पर अपनी सूक्ष्म नजर रखने वाला कलाकार भी माना जाता है।
यह पुस्तक लिखी है अनुराधा घोष ने। उन्होंने इसमें जैमिनी रॉय के जीवन और कला के बारे में 1910 से लेकर उनके अंतिम दिनों तक का ब्योरा दिया है। यह किताब छापी है नियोगी बुक्स ने। इस पुस्तक का शीर्षक है- जैमिनी रॉय: अ पेंटर हू रीविजिटेड द रूट्स। इस पुस्तक में बंगाली लोक कला के आयामों से लेकर लोक कलाओं के विभिन्न स्वरूपों तक जैमिनी की कला यात्रा पर चर्चा की गई है।
जैमिनी रॉय की पहचान न केवल स्वदेशी पटुआ या कालीघाट पेंटिंग से रही है बल्कि बांकुड़ा के मंदिर भित्तिचित्र, टेराकोटा की मूर्तियां, फर्श की कला, लोकगीत, नृत्य और रीति-रिवाजों ने भी उनकी पहचान को गढ़ा।
लेखिका अनुराधा घोष का कहना है कि जरूरी और महत्त्वपूर्ण चीजों की गहराई पर हमारे जीवन में इसलिए ध्यान दिया जाता है क्योंकि उन्हें अपनाने के लिए हमें मूल जीवनशैली में रहना पड़ता है। जैमिनी रॉय के जीवन और उनकी कला से यह जाहिर होता था। (खबरों पर आधारित)