लेखक परिचय/ कवि परिचय

बालेंदु दाधीच : जो जीते हैं हिंदी के लिए

अश्रुतपूर्वा II

गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी की बड़ी मशहूर पंक्ति है- मैं अकेला ही चला था जानिब ए मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया। हम में से लाखों लोग हिंदी में जी रहे हैं। उससे कमा रहे हैं, रोटी खा रहे हैं। सबसे बड़ी बात कि हम लोग लिख रहे हैं, पढ़ा रहे हैं। खुद को पूरी शक्ति से अभिव्यक्त कर रहे हैं। भाषा इसी तरह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाती है और संरक्षित रहती है। यह एक नदी की तरह है, हम सब उसमें उतरते हैं और निकल लेते हैं। नदी की चिंता किसी को नहीं है।
….मगर भारत में एक ऐसा लेखक है जो इसकी चिंता कर रहा है। वह प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ भी है, जो हिंदी और अन्य भाषाओं को सदियों तक संरक्षित करने की दिशा में काम कर रहा है। वह चाहता है कि भाषा के मरने का रोना न रोया जाए क्योंकि हिंदी अगले सौ साल तक तो क्या बरसों-बरस सलामत रहेगी। वह नहीं चाहता कि कोई इस पर घोर शुद्धता का बांध बना कर इसे रोक दे। उसका एक ही उद्देश्य कि पूरी दुनिया हिंदी के तट पर आकर बैठ जाए, यह एक वैश्विक ग्लोबल भाषा बन जाए। इसके लिए वह दिन रात काम कर रहा है।
यह शख्स जो अपने काम का ढिंढोरा नहीं पीटता। जो निजी जीवन में बेहद स्पष्ट और विनम्र है। जो शिक्षा की तीनों मुख्य धाराओं विज्ञान, कला, और वाणिज्य में निष्णात है। पत्रकारिता से उसका गहरा नाता है। वह तीन राष्ट्रीय समाचारपत्रों से जुड़ा रहा। जो पत्रकारिता की सभी विधाओं (टीवी, वेब, रेडियो और अखबार) में पारंगत है, एक ऐसा व्यक्ति है- बालेंदु दाधीच। … बालेंदु जिनके काम को सभी सरकारों ने सराहा। वे अंग्रेजी आधारित प्रौद्योगिकी को हिंदी समर्थ बनाने के लिए लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं। यह जिम्मेदारी कुछ साल पहले माइक्रोसाफ्ट ने सौंपी थी।
खबर है कि भारत में बहुभाषी इंटरनेट के विकास के लिए बनी केंद्र सरकार की चार सदस्यीय गवर्निंग काउंसिल में उन्हें शामिल किया गया है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत बनी इस काउंसिल की अध्यक्षता भारतीय राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिल कुमार जैन करेंगे। यह छोटी सी खबर कई अखबारों में प्रकाशित हुई है। मगर इस खबर के बड़े मायने हैं। आपके पास कंप्यूटर है पर नेट की सुविधा नहीं है। अगर नेट की सुविधा है तो ज्यादातर सूचनाएं अंग्रेजी में उपलब्ध हैं। मोबाइल पर अब भी कई लोग हिंदी में लिख नहीं पाते। … तो हिंदी भाषियों की जो तकनीकी बाधाएं हैं, वह कैसे दूर हो यह बालेंदु दाधीच के जिम्मे रहेगा। यह बड़ा काम है हिंदी के लिए। भविष्य में संचार प्रौद्योगिकी का बड़ा हिस्सा हिंदी समर्थ होने जा रहा है।

इस काउंसिल की अध्यक्षता भारतीय राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिल कुमार जैन करेंगे। हिंदी भाषियों की जो तकनीकी बाधाएं हैं, वह कैसे दूर हो यह बालेंदु दाधीच के जिम्मे रहेगा। भविष्य में संचार प्रौद्योगिकी का बड़ा हिस्सा हिंदी समर्थ होने जा रहा है।

एक प्रसंग है। देश के सबसे तेज दौड़ने वाले चैनल में बालेंदु काम कर रहे थे। सुबह का बुलेटिन बनाने काम था। यह जिम्मा अक्सर उन्हें ही मिलता था। इससे उनके सहयोगी संपादक नाराज हो गए। उनका कहना था कि मैं तेजी से सॉफ्टवेयर पर बुलेटिन बना लेता हूं। मुझे यह काम क्यों नहीं दिया जा रहा। इस पर उन्होंने विनम्रता से जवाब दिया कि भाई, जिस सॉफ्टवेयर पर आप काम कर रहे हैं वह मेरा ही बनाया हुआ है। कोई बीस साल पहले हिंदी में काम करने के लिए सॉफ्टवेयर खरीदना महंगा पड़ता था। कंपनियां ही खरीद पाती थीं। तब ये बालेंदु ही थे जिन्होंने ‘माध्यम’ नाम से एक सॉफ्टवेयर (हिंदी वर्ड प्रोसेसर) विकसित किया और इसे निशुल्क वितरित किया। यह हिंदी के प्रति उनका अमूल्य योगदान था। इसके अलावा उन्होंने ‘स्पर्श’ नाम से इनस्प्रिक्ट टाइपिंग ट्यूटर भी विकसित किया। उनका बनाया वेब पोर्टल प्रभासाक्षी डॉट कॉम राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित रहा। वे तकनीक संबंधी कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए ग्यारह देशों में काम कर चुके हैं।
ऐसी बहुमुखी प्रतिभा के धनी लेखक में लेशमात्र भी अहंकार नहीं। यह विनम्रता परंपरा और विरासत में मिली है। महाप्रबंधक के पद से लेकर वाइस प्रेसिडेंट से ऊपर के दर्जे में पहुंच जाने पर भी वे अपने सहयोगियों और मित्रों से आज भी सहजता से मिलते हैं। फोन उठाते हैं बात सुनते हैं और संदेश का जवाब देने में देरी नहीं करते।
बालेंदु को राष्ट्रपति अपने हाथों से पुरस्कृत कर चुके हैं। उन्हें केंद्रीय गृहमंत्रालय का राजभाषा गौरव सम्मान मिल चुका है। इसके अलावा संसद के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्हें माइक्रोसॉफ्ट का सबसे प्रतिष्ठित इंटरनेशनल एबिलिटी अवार्ड भी मिल चुका है। मगर किसी अपेक्षा से परे इस लेखक और तकनीकीविद् का अनुसंधान आज भी जारी है। उनके लिए हर दिन हिंदी का है।

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ashrutpurva

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