सुभद्रा कुमारी चौहान II
मोहन से तो आज हो गई
है मेरी कुट्टी अम्मा।
अच्छा है शाला जाने से
मिली मुझे छुट्टी अम्मा।।
रोज सवेरे आकर मुझको
वह शाला ले जाता था।
दस बजते हैं इसी समय तो
यह अपने घर आता था।।
मोहन बुरा नहीं है अम्मा
मैं उसको करता हूं प्यार।
फिर भी जाने क्यों हो जाया
करती है उससे तकरार।।
यह क्या! कुट्टी होने पर भी
वह आ रहा यहां मोहन।
आते उसको देख विजयसिंह
हुए वहुत खुश मन ही मन।।
बोले-कुट्टी तो है मोहन
फिर तुम कैसे आए हो
फूल देख उसके बस्ते में
पूछा, यह क्या लाए हो।।
चलो दोस्ती कर लें फिर से
दे दो हम को भी कुछ फूल।
हमें खिला दो खाना अम्मा
अब हम जाएंगे स्कूल।।