अश्रुतपूर्वा II
गर्मी का मौसम शुरू हो गया है। ऐसे में अधिकतर लोग घूमने के लिए हिल स्टेशन जाते हैं। अगर आप भी इन छुट्टियों में किसी ठंडी जगह जाना चाहते हैं तो मणिकर्ण से बेहतर कुछ भी नहीं। मणिकर्ण में चारों तरफ हरियाली है। यहां का हरा-भरा मनोरम दृश्य देखने के लिए पर्यटक खिंचे चले जाते हैं। मणिकर्ण में ठंड ज्यादा पड़ती है। इसलिए यहां की पहाड़ियों पर बर्फ का मजा लिया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में कुल्लू से 45 किलोमीटर दूर मणिकर्ण में हिंदुओं और सिखों के धार्मिक स्थल हैं।
यहां आए थे गुरु नानक भी
मणिकर्ण का प्राचीन गुरुद्वारा दर्शनीय है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था है। गुरुद्वारे के अंदर गर्म पानी का चश्मा है। यहां लोग नहा कर दर्शन के लिए जाते हैं। इस गुरुद्वारे में गुरुनानक जी अपने पांच सहयोगियों के साथ रहे थे। इस गुरुद्वारे को गुरुनानक देव जी गुरुद्वारा कहा जाता है।
गर्म पानी का चशमा
मणिकर्ण में नहाने के लिए तीन जगह हैं। एक गुरुद्वारे के अंदर गर्म पानी का चश्मा और दो बाहर। कहते हैं इस पानी को पीने या नहाने से व्यक्ति के कष्ट दूर हो जाते हैं। इस पानी से रोग भी दूर हो जाते हैं। दूसरे चश्मे का पानी इतना गर्म होता है कि वहां आप खड़े भी नहीं हो सकते। सफेद पोटली में दाल-चावल भर कर इसे पानी में डुबो कर यहां आने वाले ज्यादातर पर्यटक पकाते हैं। अगर अपने साथ यह पोटली नहीं लाएं हैं तो यह बाजार में आसानी से आापको मिल जाएगी। मणिकर्ण के ज्यादातर होटलों और रेस्तरा मालिकों ने इसी पानी को पाइप के सहारे अपने होटलों में पहुंचा कर गर्म पानी की व्यवस्था की है।
दूसरी ओर मणिकर्ण में बहती नदी का पानी इतना ठंडा होता है कि हाथ डालने पर बर्फ बन जाए। इस नदी के पानी की तेज गति पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है। मणिकर्ण के उत्तरी तरफ हरिंदर पहाड़ है। कहते हैं इस पहाड़ के दर्शन मात्र से मनुष्य के सारे शोक-पाप मिट जाते हैं। दक्षिणी तरफ पार्वती नदी बहती है।
कुलांत पीठ
मणिकर्ण का कुलांत पीठ सबसे पवित्र स्थल है। यहां विष्णु कुंड सबसे पवित्र है। कहा जाता है कि भगवान शंकर यहीं आकर ठहरे थे। इस कुंड का पानी एकदम शुद्ध है। इस स्थल पर आकर मनुष्य का गुस्सा खत्म हो जाता है।
कुछ और भी है खास
मणिकर्ण को हिमाचल के लोग मणिमहेश भी कहते हैं। कुल्लू में काफी हिल स्टेशान हैं। मणिकर्ण में भगवान शिव और भगवान राम को समर्पित मंदिर है। यहीं पर खौलते पानी का कुंड भी है। कहते हैं यह कुंड भगवान शिव का बनवाया हुआ है। मणिकर्ण में एक छोटी सी जगह है लार्गी। यहां लोग मछली पकड़ने आते हैं।
ब्रजेश्वर महादेवमंदिर
मणिकर्ण से 15 किलोमीटर दूर ब्रजेश्वर महादेव मंदिर है। पिरामिड आकार में बना यह मंदिर आठवीं शताब्दी की याद दिलाता है। इस मंदिर में बेहतरीन पत्थर और मूर्तिकला का इस्तेमाल किया गया है। वह भी शिकारा शैली में।
कब जाएं और कैसे जाएं
वैसे तो मणिकर्म में पूरे साल पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। मगर सबसे बेहतर समय मार्च से जून तक का है। यहां सर्दियों में बेहद ठंड रहती है। इसलिए ऊनी कपड़े ले जाना न भूलें। मणिकर्ण जाने के लिए हवाई, रेल और सड़क यातायात का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मणिकर्ण को हिमाचल के लोग मणिमहेश भी कहते हैं। कुल्लू में काफी हिल स्टेशान हैं। मणिकर्म में पूरे साल पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। मगर सबसे बेहतर समय मार्च से जून तक का है।