आलेख बाल वाटिका

बच्चे क्यों चिपके रहते मोबाइल स्क्रीन से

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। आजकल बच्चे मोबाइल स्क्रीन पर घंटों नजरें गड़ाए रहते हैं। इससे उनकी आंखों पर तो असर पड़ ही रहा है साथ ही उनका मानसिक विकास भी थम सा रहा है। ज्यादातर माता-पिता इस को लेकर चिंतित हैं। बच्चों को मना करने पर वे जिद करने लगते हैं। कंप्यूटर स्क्रीन से अकसर किशोर भी चिपके रहते हैं। अब तो तीन-चार साल के बच्चों में भी आनलाइन गेम की लत लग रही है। मोबाइल से घंटों चिपके रहते हैं।    
पिछले दिनों एक सर्वेक्षण कंपनी ‘कंतार’ की सर्वे रिपोर्ट में दावा किया गया  कि भारत में गर्मी की छुट्टियों से पहले 85 फीसद अभिभावक, छुट्टियों के दौरान बच्चों के स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने को लेकर चिंता में हैं। वीडियो स्ट्रीमिंग मंच अमेजन के लिए किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 90 फीसद से ज्यादा अभिभावकों का मानना है कि स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से बच्चों की सक्रियता कम हो जाती हैं। चाहे वह टीवी का स्क्रीन हो या फिर कंप्यूटर-मोबाइल का।
इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश लोगों का मानना है कि स्क्रीन पर आदर्श समय दो घंटे से कम होना चाहिए। हालांकि, 69 फीसद लोगों ने बताया कि उनके बच्चे हर दिन स्क्रीन पर तीन घंटे से ज्यादा समय बिता रहे हैं। इस सर्वेक्षण में भारत के दस महानगरों और शहरों में छोटे बच्चों (तीन से आठ साल) के लगभग 750 अभिभावकों को शामिल किया गया।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग 96 फीसद अभिभावक अपने बच्चों को सीखने और मजेदार गतिविधियों से जोड़े रखने के लिए स्क्रीन-मुक्त उपाय ढूंढ रहे हैं। दरअसल, बच्चे नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक होते हैं। इसलिए कंप्यूटर और मोबाइल से जुड़े रहना चाहते हैं।
वैसे भी गर्मी की छुट्टियों के दौरान ज्यादा खाली समय होने के कारण बच्चों को व्यस्त रखना हर परिवार के लिए चुनौती होती है। माता-पिता इस पर उलझन में होते हैं। कंतार के सर्वेक्षण साफ है कि माता-पिता अपने बच्चों के स्क्रीन समय को कम करना चाहते हैं। कोई दो राय नहीं कि स्क्रीन-मुक्त गतिविधियां बच्चों को नए कौशल सीखने में सहायक हैं।

गर्मी की छुट्टियों में मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन पर बच्चे ज्यादा समय बिताते हैं। इससे ज्यादातर अभिभावक चिंता में हैं।  

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