बाल कविता बाल वाटिका

घर में आई लवली सी बबली

सांवर अग्रवाल II

बबली आई बबली आई,
हमारे घर में लक्ष्मी आई,
देखो उसके बाल है कर्ली,
लगती कितनी लवली लवली।

छोटे-छोटे हाथ हैं,
छोटे-छोटे पांव,
पापा-मम्मी लेकर उसको,
जाएंगे अब गांव।

भूख जब लगती उसको,
देखो रोने लगती है,
तुरंत मिलती दूध की बोतल,
फिर वो हंसने लगती है।

अरे-अरे देखो कपड़े किए गीले,
नहीं किसी की वो सुनती है,
करती है अपनी मनमानी,
हाथ-पांव खूब चलाती है।

बबलू को अब मिली बहन,
घर में छाया है चमन,
नहीं जाएगी अब राखी खाली,
बहन मिली मुझे नखरे वाली।

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Ashrut Purva

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