सांवर अग्रवाल II
बबली आई बबली आई,
हमारे घर में लक्ष्मी आई,
देखो उसके बाल है कर्ली,
लगती कितनी लवली लवली।
छोटे-छोटे हाथ हैं,
छोटे-छोटे पांव,
पापा-मम्मी लेकर उसको,
जाएंगे अब गांव।
भूख जब लगती उसको,
देखो रोने लगती है,
तुरंत मिलती दूध की बोतल,
फिर वो हंसने लगती है।
अरे-अरे देखो कपड़े किए गीले,
नहीं किसी की वो सुनती है,
करती है अपनी मनमानी,
हाथ-पांव खूब चलाती है।
बबलू को अब मिली बहन,
घर में छाया है चमन,
नहीं जाएगी अब राखी खाली,
बहन मिली मुझे नखरे वाली।