सांवर अग्रवाल II
बाबू बाबू ले लो आम
देखो अब तो हो गई शाम,
टोकरी अब भी आधी है
घर पर मुझको बहुत है काम।
आम फलों का राजा है
बच्चों को बहुत भाता है,
ले लो बाबू थोड़े से बचे,
खाने में मीठे रस भरे।
थोड़ा सा गर तुम ले लोगे,
टोकरी हो जाएगी हल्की
गर्मी देखो कितनी है,
खाने को मन करता कुल्फी।
आओ आओ बाबू आओ
लगड़ा, दशहरी, चौसा ले जाओ,
मम्मी मेरी बीमार है,
दवा की दरकार है।
ले लो बाबू बच्चे होंगे खुश,
अपको दुआाएं देंगे बहुत,
मेहनत हमारा काम है
मां ने सिखाया स्वाभिमान है।