बाल कविता बाल वाटिका

आओ चलो चांद को छू लें

सांवर अग्रवाल II

सोनू मोनू रिंकी चिंकी,
आओ आओ जल्दी आओ,
चलो छत पर चलते हैं,
चंदा मामा दिखते हैं।

भागी-भागी पिंकी आई,
भैया भैया मैं भी आई,
मैं भी चलूंगी चांद देखने,
मन ही मन मुन्नी हषार्यी।

चंदा मामा दूर के,
अब बन गए है टूर के,
एक दिन हम सब जाएंगे,
मामी भी ले जाएंगे।

भैया बोले छोटी से,
यान हमारा उतरा है,
बजाओ ताली जोर से,
चंदा देखो खिला-खिला है।

गुड्डी बोली फिर भैया से,
हम भी चांद पर जाएंंगे,
कुकर और राशन लेकर,
खाना वहीं बनाएंगे।

बच्चों बिलकुल बिलकुल,
हम घर भी वहीं बनाएंगे,
आने दो गणतंत्र दिवस को,
तिरंगा वहीं लहराएंगे।

About the author

सांवर अग्रवाल

सांवर अग्रवाल कपड़े के कारोबारी हैं। असम के तिनसुकिया में वे रहते हैं। दो दिसंबर 1965 को जन्मे अग्रवाल स्वभाव से मृदुल और कर्म से रचनात्मक हैं। बातों बातों में अपनी तुकबंदियों से वे पाठकों और श्रोताओं को चकित कर देते हैं। वे लंबे समय से बाल कविताएं रच रहे हैं। सांवर अग्रवाल बाल कवि के रूप में चर्चित हैं।

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