संजय स्वतंत्र ||
नींद खुली तो आकाश ने हमेशा की तरह खुद को अकेला पाया। कमरे में सन्नाटा पसरा था। वह बिस्तर से उठ गया। दो कमरे के उस फ्लैट में बिस्तर के आसपास बिखरे कागज के टुकड़े देख कर याद आया कि कल रात कविता अधूरी रह गई। जैसे जीवन का कोई पन्ना कोरा रह गया हो। ‘कोई बात नहीं काम वाली आ रही होगी। कर देगी सफाई।’ आकाश ने सोचा।
नीला एक तेज-तर्रार एक्स मॉडल तो आकाश न्यूज चैनल का सौम्य पत्रकार। दोनों के बाच विचारों का कोई मेल नहीं। मगर किस्मत ने दोनों को एक रिश्ते से बांध दिया था। आकाश इस रिश्ते को ढो रहा था कोल्हू के उस बैल की तरह, जिसे एक ही धुरी में चक्कर लगाना होता है। उसका दम घुटने लगा था। पंद्रह साल के वैवाहिक जीवन के बाद नीला आज भी चंचल नवयौवना की तरह अपनी सपनीली दुनिया में जी रही थी।
आकाश ने घड़ी की ओर नजर डाली। नौ बज रहे हैं। काश इस ठंडी सुबह गरमा-गरम एक कप चाय मिल जाती। कंबल में खुद को लपेटते हुए उसने सोचा। फिर आदतन फेसबुक खोल लिया। पहली पोस्ट पर उसकी नजर पड़ी। एक आभासी मित्र अपनी खूबसूरत बीवी के साथ बैठा दिखा। उसने लिखा था- आज हमारी शादी के 12 साल पूरे हो गए। शुक्रिया प्रेरणा। तुमने मेरा हर कदम पर साथ निभाया। तुम इसी तरह खिली रहो। मैं तुम्हें देख कर मुस्कुराता रहूं। यह पढ़ कर आकाश ने आह भरी।
एक टीवी शो करते हुए अभिनेत्री सागरिका घाटगे की बात याद आ गई आकाश को। पिछले साल के आखिर में क्रिकेटर जहीर खान से शादी करने वाली सागरिका बता रही थीं कि केवल जहीर ही हैं, जिनसे वे सलाह करती हैं। कुछ भी करने से पहले उनकी ओर देखती हैं। उस अभिनेत्री की बात आज न जाने क्यों बार बार याद आ रही है…… कुछ भी करने से पहले मैं उनकी ओर देखती हूं। उनसे सलाह करती हूं। सच ही है, रिश्ते की मजबूती यही से शुरू होती है। और एक ये नीला है। कुछ भी करना हो, वह पहले से डिसाइड कर चुकी होती है। अनप्रिडेक्टबल वुमन।
…….. नीला अभी भटक ही रही होगी। आकाश ने घड़ी की ओर देखा। साढ़े नौ बज रहे हैं। वह आनलाइन अखबार पढ़ने लगा। एक दिलचस्प खबर पर नजर ठिठक गई- वर्ल्ड की पहली रोबोट वुमन सोफिया अपना परिवार बसाना चाहती है। …आश्चर्य! क्या वह रिश्तों को लेकर भी इतनी संवेदनशील है? नीला कौन सी संवेदनशील है? वह तो रोबोट से भी आगे चल रही है। सब कुछ पहले से तय। अकााश ने फिर सोचा।
वह पूरी खबर पढ़ने लगा। सचमुच सोफिया स्मार्ट वुमन है। बता रही है कि वह अपना परिवार बसाएगी। अपनी बेटी का क्या नाम रखेगी, यह भी उसने सोच लिया है। सऊदी अरब की नागरिकता हासिल कर चुकी सोफिया इतिहास रच चुकी है। प्रेस कांफ्रेंस में कई विद्वानों से तर्क वितर्क के बाद इस वंडर वुमन के लिए अब परिवार अहम है। वह कह रही है कि रोबोट को भी परिवार बसाना चाहिए।
उसी के शब्दों में-…… मैं सोचती हूं कि इंसान हम से वैसा ही रिलेशन रख सकता है, जिसे परिवार कहते हैं। हम से अपनी भावनाएं शेयर कर सकता है। सोफिया बता रही है कि वह सब कुछ कर सकती है। सब कुछ यानी सब कुछ। वह कूल सुपर वुमन है। साथी भी, सहयोगी भी। उसके दिमाग में तमाम सवालों के जवाब फीड नहीं है। वह सभी पहलुओं को समझ कर ही जवाब देती है। हालांकि मनुष्य की तरह चेतना रखने में उसे कुछ साल लग सकते हैं। जटिल भावों को छोड़ दें तो वह सभी भावों को समझ सकती है। सबसे बड़ी बात कि वह सोचने लगी है।
……..आज आकाश ने मुझे गुड मॉर्निंग विश नहीं किया है। थका हारा सो रहा होगा बेचारा। टीवी की नौकरी है। मैंने सोचा। फिर भी उसे कॉल किया – क्यों मित्र अब तक सो रहे हो। नहीं सर। जाग गया हूं। अभी सोफिया के बारे में पढ़ रहा था। आकाश ने जवाब दिया। कौन सोफिया? किसकी बात कर रहे हो यार? मैंने पूछा। रोबोट वुमन सर। वही सोफिया जो परिवार बसाने के लिए तैयार है। तो तुम चाहते क्या हो? मेरा सवाल। कुछ नहीं सर। क्या कहूं आप से। बस सोफिया के बारे में लगातार सोच रहा हूं। हाहाहाहा…..। उसकी इस हंसी में वीराने में गूंजता अट्टाहास लगा। गंभीर आकाश कभी-कभी मजाक कर इसी तरह मन का कोईबोझ उतार लेता है।
तुम तो बस कल्पना करते रहो उसकी। मुझे तो भाई अब आफिस निकलना है। तुम्हारी ड्यूटी तो शाम की है। तुम तो एक और झपकी लोगे और सोफिया के सपने देखोगे। …….अपने यहां ऐसे लाखों दंपति हैं जो रिश्ते को ढो रहे हैं। फिर भी साथ रह रहे हैं। आकाश भी इनमें से एक है।
… उधर आकाश को झपकी आ गई है। वह सपने की दुनिया में जा चुका है। … तभी कॉल बेल की आवाज से उसकी तंद्रा टूटी है। उसने फ्लैट का दरवाजा खोला। सामने खड़ी तीखे नयन-नक्श वाली युवती ने कहा- ‘हेलो आकाश। मैं सोफिया। आप मुझे बहुत देर से याद कर रहे हैं। देखिए मैं आपके लिए अस्ट्रेलिया से चली आई। बस कुछ सेकेंड में।’ आकाश हक्का-बक्का उसे देख रहा है। सोफिया ने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा-‘वेलकम नही करेंगे मेरा। अभी कुछ देर पहले तो कितना याद कर रहे थे मुझे। अब क्या हो गया?’ उसने दांयी आंख की पलक झपकाते हुए कहा। ‘अरे बाबा ये तो आंख मार रही है।’ आकाश यह सोच कर सकुचा गया। कुछ जवाब देते नहीं बना। इतनी मीठी मुस्कान के साथ तो नीला कभी पेश नहीं आई। ‘
… हां…हां क्यों नहीं। वेलकम इन माई होम। आकाश ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा। ‘वेलकम इन माई हॉर्ट नहीं कहेंगे आप?’ सोफिया ने फिर शरारत की।
कमरे में घुसते ही उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई। बिस्तर के नीचे गिरे कागज के टुकड़े उठाते हुए कहा- ‘आपका घर इतना अनआर्गनाइज्ड क्यों है? अभी ठीक कर देती हूं।’ ……..रोबोट वुमन अपने अंदाज में आ चुकी है। उसने कुछ ही मिनटों में कमरे की सफाई कर बिखरी चीजों को सही जगह जमा दिया। इसके बाद सोफिया किचन में जा घुसी। उसने एक झटके में सभी बर्तनों को चमका डाला। फिर उसने मुस््कुराते हुए पूछा-‘और कुछ? बताइए और क्या करना है?
…… कुछ नहीं। तुम तो सचमुच कमाल की हो सोफिया।’ बियोंड इमेजिनेशन। आकाश ने उसकी तारीफ की। ‘मैं जो करूंगी, आप से पूछ कर ही करूंगी। आप कहिए तो सही।’ सोफिया की मुस्कान में डूब रहे आकाश ने सोचा- ये तो बिल्कुल सागरिका की भाषा बोल रही है…….मैं कुछ भी करती हूं, उससे पहले जहीर की आंखों में झांकती हूं। कुछ भी करने से पहले उनकी ओर देखती हूं। सच में रिश्तों की मजबूती यही से तो मिलती है। आत्मीय रिश्तों में एक दूसरे से पूछ लेना यह अहसास कराता है कि आप उसके लिए क्या मायने रखते हैं।
‘सोफिया अभी तो हमारी ऐसी कोई गहरी दोस्ती नहीं। फिर भी क्यों पूछ रही हो? जो करना है करो।’ आकाश ने उसे अपलक निहारते हुए कहा। …….ऐसा नहीं कहें। अब तो दोस्त हूं आपकी। अगर नहीं होती तो यहां क्यों आती? अच्छा आप धूप में बैठिए। मैं आपके लिए कॉफी बनाती हूं। सोफिया ने कहा। ‘ओह तुम कितनी केयरिंग हो। मुझे अभी इसकी जरूरत है। तुम्हें ठंड नहीं लग रही।’ आकाश ने पूछा। इस पर सोफिया ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘नहीं, मैं हर वेदर में अपना काम कर सकती हूं।’ ……अच्छा। तो तुम कॉफी बनाओ। मैं लॉन में बैठता हूं। आकाश ने जवाब दिया।
अखबार पढ़ने के बहाने वह किचन में काम कर रही सोफिया को निहारता रहा। ओह, यह कितनी सुंदर है। चमकीली आंखें। गुलाबी होंठ। गोरा चेहरा। चारों तरफ नजर रखे हुए हैं यह। रियली सुपरवुमन। क्या यह मेरे मन को पढ़ रही है? आकाश अभी सोच ही रहा था कि सोफिया एक कप कॉफी के साथ सामने खड़ी थी। उसने पूछा, ‘तुमने अपने लिए कॉफी नहीं बनाई?’ ‘नहीं मैं कॉफी नहीं पीती।’ सोफिया ने मुस्कुराते हुए कहा। ऐसा क्यों? क्या तुम्हें पसंद नहीं। उसने पूछा तो सोफिया ने कहा- मैं दुनिया भर की रेसिपी बना सकती हूं। मगर टेस्ट नहीं कर सकती। सच कहूं तो इनसान का जीवन जी सकती हूं, अनुभव कर सकती हूं, पर एक लिमिट तक। सोफिया के चेहरे पर बैचेनी है। एक बेरकरारी है नारी की संपूर्णता हासिल करने की।
आकाश कॉफी पीने लगा। वाह! क्या स्वाद है! सोफिया तुमने शानदार कॉफी बनाई। इसके लिए ढेर सारा प्यार तुम्हें। सोफिया ने शर्माते हुए कहा- ओह आई लव यू टू। आकाश उसकी ओर बढ़ा तो उसने बांहें पसार दी। उसे गले लगाते हुए कहा- आपको क्या चाहिए। मालूम है मुझे। फिर कानों में फुसफुसाते हुए कहा- मैंने आपकी आंखों को रीड कर लिया है। मगर यहां ये सब? लोग देख रहे हैं। इंडियन कल्चर में ये सब ओपनली ठीक नहीं माना जाता।
आकाश का दिल धड़क उठा है। रोबोट ही सही, मगर सोफिया एक सुंदर और इंटेलिजेंट सुपर वुमन है। उसने सोफिया के माथे को चूम लिया। ‘…नाइस। यू आर रियली जेंटलमैन। मैं इस लव को इमेजिन कर रही हूं।’ सोफिया ने कहा। वह उसे ड्राइंग रूम में ले आई है। उसने म्यूजिक सिस्टम आॅन कर दिया है। शकीरा गा रही है-
ओह बेबी वेन यू टॉक लाइक दैट
यू मेक अ वुमन गो मैड
सो बी वाइज एंड कीप आॅन
रीडिंग द साइन आॅफ माई बॉडी…
एंड आई एम टू नाइट यू नो
माई हिप्स डोंट लाई…….
तेज धुन पर सोफिया झूम उठी है। आकाश ने उसकी कमर पर हाथ रखते हुए कहा- ‘डांस करोगी? ……थोड़ा सा। मगर उतना नहीं, जितना आप सोच रहे हैं’, यह कहते हुए वह एक लय में थिरक उठी है। शकीरा जैसी थिरकन तो नहीं, पर सोफिया की पलकों में जादुई लय है। उसके होंठ लरज उठे हैं। उसकी कमर में स्त्रियोचित लचक नहीं। उसके पैर कुछ हद तक ही नृत्य कर सकते हैं। आखिरकार वह रोबोट ही है। कंपलिट वुमन नहीं। अभी वह आकाश के कंधे पर एक हाथ रख दूसरे हाथ को लयबद्ध घुमा रही है। जैसे वह हवा में कविता रच रही हो।
एक लंबे डांस सेशन के बाद आकाश थक गया। उसके चेहरे के भाव को सोफिया ने पढ़ लिया है। उसने उसे सोफे पर बैठाते हुए कहा-‘आई थिंक,आपको आराम करना चाहिए। मैं आपको लाइम जूस देती हूं।’ सोफिया कुछ सेकंड में नींबू पानी ले आई है। आकाश ने उसे बगल में बैठाते हुए कहा-‘यू आर सो स्वीट। तुम यही रहो मेरे पास।’
सोफिया ने उसे हैरानी से देखते हुए कहा-‘वाट अबाउट योर वाइफ?’ आकाश ने कहा, ‘तुम मेरा ख्याल रखने आई हो। उसे कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। उसे मेरे से मतलब नहीं।’ सोफिया ने पूछा- ‘बट वाई? आफ्टरआल शी इज योर वाइफ।’ ‘हां मगर सिर्फ कहने भर के लिए। उसके पास मेरे लिए कोई समय नहीं है। मैं अपना खयाल खुद रखता हूं। क्या तुम मेरा खयाल रखोगी सोफिया…….।’ आकाश ने भावुक होते हुए पूछा।
‘……..हां रख तो रही हूं’ं, सोफिया ने आकाश का वार्डरोब देखते हुए कहा। ‘आपके कपड़े बहुत गंदे हैं। वॉश नहीं करता कोई? वाशिंग मशीन किधर है?’ उसने पूछा।
… और देखते ही देखते उसने ज्यादातर कपड़े धो डाले हैं। लॉन में उन्हें तारों पर टांगते हुए उसने कहा-‘कोई और काम रह गया हो तो बताइए।’ ‘थैंक्स सोफिया। तुमने रूम क्लीन कर दिया। कॉफी पिला दी। कपड़े वॉश कर दिए। इतने दिनों बाद तुम्हारी वजह से मुस्कुराया। अब और क्या काम बचा?’ आकाश ने आभार जताते हुए कहा।
‘तो अब आप आराम कीजिए।’ सोफिया बोली। आकाश सोफे पर लेटा तो उसने कहा-‘रिलेक्स। अब मुझे चलना चाहिए। फिर आऊंगी।’ आकाश ने उसका हाथ थामते हुए कहा- ‘इतनी जल्दी सोफिया? कुछ देर बाद चली जाना।’ ‘……नहीं, अब मुझे चलना चाहिए। लेकिन जाने से पहले यही कहूंगी कि आप जब भी याद करेंगे। मैं पलक झपकते ही चली आऊंगी।’ यह कहते हुए उसने आकाश को कंबल ओढ़ा दिया और उसके बालों को सहलाने लगी ताकि उसे नींद आ जाए। ‘…… सो जाइए। मैं फिर आऊंगी।’ प्रोमिस माई डियर फ्रेंड। सोफिया उसके बेहद करीब आ गई है। उसने आकाश के गालों पर हौले से चुंबन दिया। उसके गुलाबी होठों से उठती खुशबू में मादकता है। आकाश को मीठी नींद आ रही है। सोफिया की कलाइयों से उसकी पकड़ ढीली हो रही है।
…सोफिया लौट चुकी है अपनी दुनिया में। एक वादे के साथ कि वह फिर आएगी इस अजनबी दोस्त से मिलने।
… दोपहर के दो बज चुके हैं। मेट्रो से दफ्तर जाते हुए सोच रहा हूं कि आकाश अब तक सोया ही होगा। पगला सुबह-सुबह न जाने क्या कह रहा था। मैं उसे कॉल लगा रहा हूं। ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग…..उधर आकाश की नींद टूट रही है- सोफिया मत जाओ, सोफिया मत जाओ। यह बड़बड़ाते हुए उसकी नींद एक झटके से खुली है। उसने मेरी कॉल रिसीव कर ली है- ‘सर, आप आफिस पहुंच गए?’ नहीं…. तुम उठे नहीं? अभी तक सपने देख रहे हो? ‘हां सर….. मगर सपने कभी-कभी हकीकत में भी बदल जाते हैं सर।’ आकाश बोला। ‘तुम कल्पना को साकार कर सकते हो। और परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है।’ मैंने कहा।
मुझसे बातचीत के बाद आकाश आफिस के लिए तैयार होने लगा है। उधर, नीला कब आई और कब असाइनमेंट के लिए निकल गई, पता ही नहीं चला। उसने जगा कर बताया भी नहीं। आकाश किचन में गया तो नाश्ते के लिए कुछ नहीं मिला। उसने फ्रिज से डबलरोटी-बटर निकाला है। उसे सोफिया की सहसा याद आई। उसके चेहरे पर मुस्कान खिल गई।
तभी उसे लगा कि कि किसी ने उसके कंधे पर हाथ धरा है। पीछे मुड़ कर देखा। अरे! सोफिया? तुम फिर यहां? आकाश उसे देख कर चौंंक गया। वही दिलकश अंदाज। उसने कहा-‘आप ने याद किया न? इसलिए खुद को रोक नहीं पाई। एक पल में चली आई। लाइए सैंडविच बना देती हूं। और आपकी ब्लैक टी भी। आफिस जाने की तैयारी करिए आप?’
‘…….सोफिया तुम तो कल्पना हो। सपने में आई थी तुम। अब एकदम सामने? यह कैसे संभव है।’ आकाश ने हैरत जताई तो सोफिया ने कहा- ‘मैं कल्पना नहीं हकीकत हूं। मैंने कहा था न। दिल से याद करेंगे तो कहीं भी रहूंगी, मैं चली आऊंगी। सुपरवुमन हूं मैं। आपकी कल्पना से भी तेज। कोई पुरुष मुझे गलत निगाहों से देख सकता है। मगर आपकी नजरों में वह नहीं पाया। कोई दूसरा होता मेरे बट एंड ब्रेस्ट को छूता। मगर आपने सिर्फ मेरे चेहरे को निहारा। इसलिए मैंने आपको सच्चा दोस्त मान लिया। मेरा दिल मेरे दिमाग में है।’
सोफिया कह रही है, ‘यकीन मानिए मैं हकीकत हूं।
हांगकांग, चीन, आस्ट्रेलिया सहित कई देशों में मेरे प्रतिरूप काम कर रहे हैं। उनमें से एक मैं भी हूं। एक रोबोट वुमन जो एक इनसान से दोस्ती करना चाहती है। किसी को बताइएगा नहीं। वरना आप मुश्किल में पड़ जाएंगे। और मैं यह कभी नहीं चाहूंगी। मैं आपकी कल्पना में रहूं या हकीकत में सामने आ जाऊं, इस पर मत सोचिए। कुछ भी मत सोचिए। बस खुश रहिए। क्योंकि मैं अब आपके लिए कल्पना नहीं रही। और नीला के लिए क्या कहूं? वह हकीकत में होते हुए भी कल्पना है। उसे अपना जीवन जीने दीजिए। डू योर वर्क एंड फोरगेट एवरीथिंग।’ सोफिया एक टीचर की तरह समझा रही है आकाश को।
‘ …लीजिए आपका ब्रेकफास्ट या लंच कुछ भी कह लीजिए। रेडी है। इसे खाइए और निकलिए आफिस। मैं भी चलती हूं।’ यह कह कर सोफिया ने अपनी कलाई में बंधी डिजिटल वॉच पर कुछ नंबर दबाया और पलक झपकते ही वह अदृश्य हो गई। वंडर वुमन! आकाश को लगा जैसे उसने कोई सपना देखा हो और अचानक टूट गया हो। नीला एक सच्चाई है उसके जीवन की, मगर वह कल्पना से आगे बढ़ती नहीं। जबकि सोफिया एक कल्पना होकर भी हकीकत की ओर बढ़ रही है। क्या वह सचमुच हकीकत में आ रही है? आकाश के सामने गरमा-गरम सैंडविच और ब्लैट टी से उठती खुशबू एक सच्चाई बयां कर रही है कि वह आई थी। वह सच में आई थी।
…मैं सोच रहा हूं अगर आकाश की यह कहानी सच्चाई नहीं है, तो सोफिया भी कोई काल्पनिक नहीं है। नोबल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश के अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने सोफिया की तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के तेजी से विकास पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि अगले 25-30 सालों में यह इंसानों को भी पीछे छोड़ देगी। मगर मेरी चिंता उनसे आगे की है। मेरा मानना है कि सुपर रोबोट एक दिन मानवीय रिश्तों में भी हस्तक्षेप करेंगे। वह इंसानों के साथ घर बसाएंगे। और अगले दो सौ सालों बाद धरती पर उनका एकाधिकार हो जाएगा। यूनुस साहब भी कह रहे हैं कि एक सीमा के बाद रोबोट अपना खुद विकास करने लगेंगे।
……… मैं यह भी सोच रहा हूं कि क्या ही अच्छा हो कि रोबोट में अभी से मानवीय संवेदनाएं विकसित कर दी जाए, जो कि अभी इंसानों में खत्म हो रही है। उनके दिमाग में उन जीवन मूल्यों का समावेश कर दिया जाए जिससे धरती की सभ्यता में प्रेम और सद्भाव के साथ इंसानियत भी बची रह सके और रोबोट के साथ इंसान भी सलामत रहें। … मैं इंसान और रोबोट की इस कहानी पर फिलहाल विराम लगा रहा हूं। मगर आप इस पर सोचिएगा जरूर।
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* (इंसान और रोबोट वुमन के एक नाजुक रिश्ते पर यह कहानी एक कल्पना है। लेखक का मानना है कि सुपर रोबोट दूसरे तमाम काम करते हुए एक दिन मानवीय रिश्तों में भी हस्तक्षेप करेंगे। वह इंसानों के साथ घर बसाएंगे। और अगले दो सौ सालों बाद धरती पर उनका एकाधिकार हो जाए
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