हरीश नवल II
बचपन से हम सब रामायण और महाभारत की कथाएं पढ़ते और सुनते आए हैं। रामकथा में हनुमान और महाभारत में भीम अतिशय बलशाली हैं। हम उनके पराक्रम और साहस से प्रेरणा लेते रहे हैं। बचपन में हमें आश्चर्य होता था कि हनुमान कैसे एक ही बार में बीस-बीस राक्षसों को पछाड़ देते हैं। शत्रु ने उनकी पूंछ में आग लगाई और उन्होंने सारी सोने की लंका को जला दिया। हनुमान में इतनी शक्ति थी कि वे समुद्र को उड़ कर पार कर गए।
महाबली भीम में इतना बल था जितना सौ हाथियों में होता है। वे भी दुष्टों सा संहार करने में हनुमान की तरह ही थे। हमने उनके पुत्र घटोत्कच के विषय में जाना था कि वह जब युद्ध में स्वर्गवासी होने लगे उनका कद विराट रूप से बहुत बढ़ गया और उनके पृथ्वी पर गिरने से कौरवों की कई अक्षोहणी सेना दब कर मर गई। बड़े होने पर हमें वे बातें काल्पनिक लगती थीं किंतु जब से हमने हिंदी और अन्य भाषाओं के सिनेमा को देखना शुरू किया हमें लगने लगा कि रामायण और महाभारत के वीर पात्रों से कहीं अधिक हमारे फिल्मी हीरो होते हैं।
एक सामान्य डील-डौला वाला हीरो अकेला ही शत्रु के अड्डों में घुस जाता है और बीस-बीस ऊंचे-लंबे और तगड़े गुंडों को बड़े आराम और प्यार से बुरी तरह पीटता है। यही नहीं यदि गुंडों के पास चाकू छुरे या पिस्तौल भी हो, तब भी हीरो निहत्था ही उनके शस्त्र छिन्न-भिन्न कर देता है और कभी-कभी तो उन्हीं के शस्त्र से उन्हें मार गिराता है। यदि फिल्मी हीरो पुलिस अफसर है तो बिना सिपाहियों को लिए अकेला ही मोटरसाईकिल या जीप पर निकल जाता है और डॉन के अड्डों को ध्वस्त कर देता है। ऐसा करके वह पुलिस का नाम रोशन करता है।
यदि हीरो डाकू, चोर, जेबकतरा या गुंडा है, तब वह भी अकेला ही रास्ते में खड़ी किसी भी कार या जीप को जो हमेशा उसके लिए खुली होती है और जिसकी चाबी कार में ही लगी होती है या नहीं भी होती तथा जिसमें पेट्रोल, कार की टंकी की सीमा से कई गुना अधिक भरा होता है, कार को उड़ा कर पीछा कर सिपाहियों और अन्य पुलिस अफसरों को मीलों-मील पीछा करवा कर और उनकी जीपें बर्बाद कर फरार हो जाता है तब हमें पुलिस की दशा पर हंसी आती है उसके जैसे गुंडों पर नाज होने लगता है।
जब एक दुबला पतला विशेषकर दक्षिण भारत की फिल्मों का हीरो एक ही मुक्के के प्रहार से पांच-छह गुंडों को हवा में पांच-छह फुट ऊपर उड़ा देता है और जब लुंगीधारी गुंडे हाथों में गंडासे लेकर उसकी ओर भागे चले आते हैं वह तनिक भी घबराता नहीं और ऐसी मुस्कान फेंकता है कि सिनेमा हॉल में बैठे दर्शक जान जाते हैं कि वह स्वागत करके सबको पछाड़ देगा और उसे खरोंच तक नहीं आएगी।
फोटो : साभार गूगल
हमारा हीरो भले ही वह चौथी कक्षा तक भी नहीं पढ़ा हो पर उसे इंजीनियरिंग, डॉक्टरी, विज्ञान आदि सारे विषयों का ज्ञान होता है। वह हवाई जहाज उड़ा सकता है। टाइम बम को डिफ्यूज कर सकता है। उसे किसी डिग्री, ट्रेनिंग और अनुभव की जरूरत नहीं होती। वह समस्त विद्याएं प्राप्त कर लेने के बाद ही जन्म लेता है।
हमारा हीरो चाहे लूट मार करे चाहे हत्या करे किंतु होता बहुत ही शरीफ है जिसे पुलिस कमिश्नर या मंत्री या न्यायाधीश या मिल मालिक अथवा गैंगस्टर की बेटी बहुत चाहती है और उसके लिए अपने घर परिवार को छोड़ने के लिए तैयार रहती है… जो काम भीम करते थे हीरो बखूबी कर सकता है लेकिन शक्ति प्रयोग के अतिरिक्त और भी जो जो कार्य हीरो करता है वे भीम के बस में कहां। हीरो बड़े सुर में बहुत लय में गा सकता है। जो गीत वह गाता है वह उसका तत्काल बनाया या बनता हुआ गीत होता है। हीरो किसी भी तरह के नृत्य में कुशल होता है वह ताल पर सही कदम उठाता है। वह डिजाइनर कपड़े पहनता है। भले ही अपनी बूढ़ी मां के साथ किसी झोपड़ी में ही रहता हो! अब सोचिए भला भीम क्या ये सब करने में दक्ष थे।
जब एक दुबला पतला विशेषकर दक्षिण भारत की फिल्मों का हीरो एक ही मुक्के के प्रहार से पांच-छह गुंडों को हवा में पांच-छह फुट ऊपर उड़ा देता है और जब लुंगीधारी गुंडे हाथों में गंडासे लेकर उसकी ओर भागे चले आते हैं वह तनिक भी घबराता नहीं और ऐसी मुस्कान फेंकता है कि सिनेमा हॉल में बैठे दर्शक जान जाते हैं कि वह स्वागत करके सबको पछाड़ देगा और उसे खरोंच तक नहीं आएगी।
कई बार तो हीरो दुश्मनों के लिए भी उत्तम समाजसेवा घोषित होता है। वह उन्हें मारने-पीटने के लिए एक वैन या बड़ी गाड़ी में आता है सबको मार पीट कर घायल कर देता है और फिर उन्हें अपनी वैन या बड़ी गाड़ी में भर कर उन्हें अस्पताल ले जाता है। जब-जब हीरो ऐसे अद्भुत अकल्पनीय शौर्य का प्रदर्शन करता है और दर्शक भीषण रूप से तालियां बजाते हैं, तब वे नहीं जानते कि सिनेमा हॉल या जहां भी फिल्म चल रही हो, वहां अपने छोटे-छोटे रूप बना कर या अदृश्य होकर (बतर्ज मिस्टर इंडिया) किसी कोने में छिपे रुआंसे होते हुए भीम फिल्मी हीरो को हाथ जोड़े निहार रहे होते हैं।
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