आलेख बाल वाटिका

जल्द ही चंद्रमा की सतह से टकराएगा रॉकेट का टुकड़ा

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अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। बच्चों, ऐसी चर्चा है कि साल 2015 में प्रक्षेपित किया गया एक रॉकेट कुछ सप्ताह बाद चंद्रमा से टकरा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो फिर क्या होगा? इस पर वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं। बता दें कि तेजी से बढ़ रहा अंतरिक्ष कबाड़ का यह टुकड़ा उस स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट का ऊपरी हिस्सा है जो ‘डीप स्पेस क्लाइमेट आॅब्जर्वेटरी’ उपग्रह को पृथ्वी से ले गया था। तब से यह बेहद ही बेतरतीब तरीके से पृथ्वी और चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है।

अंतरिक्ष में घूम रहे इस कबाड़ का क्या होगा। कोई नहीं जानता। अलबत्ता क्षुद्रग्रह पर नजर रखने वाले बिल ग्रे इस रॉकेट के प्रक्षेपित होने के बाद से चार टन के इस बूस्टर पर करीब से नजर रख हुए हैं। उन्हें पिछले महीने पता चला कि उनके आर्बिट-ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का अनुमान है कि यह बूस्टर नौ हजार किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से आगे बढ़ते हुए चार मार्च को चंद्रमा की सतह से टकराएगा। इस रफ्तार का अंदाजा लगा सकते हो बच्चों।

चिंता की एक बात यह भी है कि यह बूस्टर इस समय काफी कलाबाजियां खा रहा है। इससे ठीक-ठाक अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह कितने वेग से और कब चंद्रमा की सतह से जा टकराएगा। इसके चंद्रमा के दूसरी ओर टकराने की संभावना है, इसलिए यह पृथ्वी से दिखाई नहीं देगा। वैसे कुछ खगोलविदों का कहना है कि सतह से टकराना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन अंतरिक्ष पुरातत्वविदें के लिए यह काफी रोमांचक घटना है। चंद्रमा की सतह से टकराने से इसके अंधेरे वाले हिस्से में एक और नया गड्ढा बन जाएगा।

अंतरिक्ष में घूम रहे इस कबाड़ का क्या होगा, कोई नहीं जानता। अलबत्ता, क्षुद्रग्रह पर नजर रखने वाले बिल ग्रे इस रॉकेट के प्रक्षेपित होने के बाद से चार टन के इस बूस्टर पर बारीक नजर रख रहे हैं। उन्हें पिछले महीने पता चला कि उनके आर्बिट-ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर का अनुमान है कि यह बूस्टर नौ हजार किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से आगे बढ़ते हुए चार मार्च को चंद्रमा की सतह से टकराएगा।

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बच्चों, चंद्रमा के साथ संपर्क करने वाली मनुष्य की बनाई पहली चीज 1959 में सोवियत लूना 2 थी। वह एक असाधारण उपलब्धि थी क्योंकि ऐसा पहले कृत्रिम उपग्रह स्पुतनिक 1 के प्रक्षेपण के दो साल बाद ही हुआ था। इस मिशन में एक रॉकेट, एक प्रोब और तीन बम शामिल थे। एक बम ने सोडियम गैस का एक बादल छोड़ा था ताकि टक्कर को पृथ्वी से देखा जा सके। तत्कालीन सोवियत संघ नहीं चाहता था कि अतपूर्व मिशन को एक ‘अफवाह’ कहा जाए।

हम आपको बता दें कि साल 2009 में जापानी रिले उपग्रह ओकिना की तरह कई अंतरिक्ष यान पूर्व में कक्षा से बाहर निकल गए हैं। अन्य को उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद जानबूझ कर दुर्घटनाग्रस्त किया गया। नासा के एबब और फ्लो अंतरिक्ष यान को 2012 में जानबूझ कर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से टकराया गया था। जो भी हो इस खगोलीय घटना पर हम सब की निगाह रहेगी। (स्रोत : एजंसी)

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Ashrut Purva

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