धरोहर

छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय जीर्णोद्धार को यूनेस्को का पुरस्कार

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। धरोहर के प्रति सिर्फ चिंता ही नहीं, उस पर काम भी होना चाहिए। उसे कैसे संरक्षित किया जाए, इस पर भी जोर होना चाहिए। देश भर में ऐतिहासिक इमारतों का जिस तरह अब संरक्षण किया जा रहा है, उस पर विश्व की भी निगाह है। खास तौर से यूनेस्को भी महत्व दे रहा है। सौ साल पुराना छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय का जीर्णोद्धार हमारे सामने है। संग्रहालय की जीर्णोद्धार परियोजना को यूनेस्को का एशिया प्रशांत पुरस्कार प्रदान किया गया है।
पुरस्कार के लिए बने निर्णायक मंडल ने इस संग्रहालय परियोजना की सराहना एक ऐसी परियोजना के रूप में की जो विश्व धरोहर स्मारकों के संरक्षण के लिए मानक है। छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय मुंबई की विश्व धरोहर संपत्ति के विक्टोरियन गॉथिक और आर्ट डेको एन्सेम्बल का हिस्सा है। इसे पिछले दिनों घोषित यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कारों के तहत सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण श्रेणी में उत्कृष्टता पुरस्कार मिला है।

सौ साल पुराना छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय की जीर्णोद्धार परियोजना को यूनेस्को का एशिया प्रशांत पुरस्कार प्रदान किया गया है।

बता दें कि छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय की स्थापना 1922 में पश्चिमी भारत के प्रिंस आफ वेल्स संग्रहालय के रूप में की गई थी। अंतरराष्ट्रीय निर्णायक मंडल ने छह देशों भारत, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल और थाईलैंड से तेरह परियोजनाओं को इस वर्ष के पुरस्कार के लिए चुना गया।
यूनेस्को ने एक बयान में कहा कि निर्णायक मंडल ने मुंबई में एक प्रमुख निकाय संस्थान का जीर्णोद्धार करने से जुड़ी संग्रहालय परियोजना की सराहना की है। यह भी कहा गया है कि महामारी के दौरान विभिन्न चुनौतियों से निपटते हुए इस परियोजना के तहत उत्कृष्ट वास्तुशिल्प और इंजीनियरिंग समाधानों के माध्यम से संग्रहालय के क्षरण की समस्या को दूर किया गया। (मीडिया में आए समाचार की पुर्नप्रस्तुति)  

About the author

ashrutpurva

error: Content is protected !!