डॉ. एके अरुण II
विश्व को गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत देने वाले सर आईजैक न्यूटन स्वभाव से काफी गुस्सैल थे। लोगों से कम ही वास्ता रखते थे। उनके इसी व्यवहार के कारण उनके मित्र भी बहुत कम थे। न्यूटन अपने विचार भी सही ढंग से व्यक्त नहीं कर पाते थे। वे अपनी उपलब्धियों या खोज के बारे में बताने से संकोच करते कि कहीं वे हंसी के पात्र न बन जाएं।
बच्चों, शुरुआती दिनों में न्यूटन ने कई प्रकार के प्रयोग किए। न्यूटन के व्यवहार के कारण लोग उन्हें सनकी और पागल कहते थे। फिर भी लोगों की परवाह किए बगैर वे अपने शोध में लगे रहे और अंतत: एक महान वैज्ञानिक बन कर उभरे।
न्यूटन का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कोई बच्चा जब विज्ञान की दुनिया में कदम रखता है तो जिस वैज्ञानिक से सबसे पहले परिचित होता है वह हैं- सर आइजक न्यूटन। एक वैज्ञानिक जो भौतिकविद, गणितज्ञ, खगोलशास्त्री, दार्शनिक, अल्केमिस्ट, धर्मशास्त्री सभी कुछ। न्यूटन के सिद्धांतों ने संसार को नए रूप में देखने के परदे खोल दिए और आधुनिक भौतिकी व इंजीनियरिंग की बुनियाद रखी।
न्यूटन का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कोई बच्चा जब विज्ञान की दुनिया में कदम रखता है तो जिस वैज्ञानिक से सबसे पहले परिचित होता है वह हैं- सर आइजक न्यूटन।
यांत्रिक भौतिकी (मैकेनिकल फिजिक्स) की शुरुआत न्यूटन के गति के तीन नियमों से होती है। साइकिल से लेकर रॉकेट तक के निर्माण में कहीं न कहीं ये नियम जुड़े रहते हैं।
वैज्ञानिक तर्कशास्त्र की आधारशिला उन्होंने चार नियमों से रखी, जो इस प्रकार हैं :
(1) किसी प्राकृतिक घटना के पीछे एक और केवल एक पूर्णत: सत्य कारण होता है।
(2) एक तरह की घटनाओं के लिए एक ही प्रकार के कारण होते हैं।
(3) वस्तुओं के गुण सार्वत्रिक रूप से हर जगह समान होते हैं।
(4) किसी घटना से निकाले गए निष्कर्ष तब तक सत्य मानने चाहिए जब तक कोई अन्य घटना उन्हें गलत न सिद्ध कर दे।
न्यूटन ने बताया कि चीजों के पृथ्वी पर गिरने, चंद्रमा के पृथ्वी के परित: परिक्रमण, और ग्रहों के सूर्य के परित: परिक्रमण के पीछे एक ही कारक है जो गुरुत्वाकर्षण का सर्वव्याप्त बल है। साथ ही उन्होंने पहली बार द्रव्यमान और भार के बीच अंतर बताया। प्रकाश के क्षेत्र में काम करते हुए न्यूटन ने बताया कि सफेद प्रकाश दरअसल, कई रंगों के प्रकाश का मिश्रण होता है।
न्यूटन ने यह भी बताया कि प्रकाश बहुत सूक्ष्म कणिकाओं का तेज प्रवाह होता है। हालांकि हाइगेन्स तथा अन्य वैज्ञानिकों ने कणिका सिद्धांत को नकारते हुए तरंग सिद्धांत पर बल दिया। किंतु आज के परिप्रेक्ष्य में प्लांक की परिकल्पना तथा प्रकाश विधुत्ता प्रभाव ने न्यूटन सिद्धांत को काफी हद तक सही ठहरा दिया है। टेलेस्कोप के रंग-दोष को दूर करने के लिए न्यूटन ने परावर्तक दूरदर्शी का आविष्कार किया।